Pulse Procurement: हर साल बढ़ता MSP, फिर भी क्यों नहीं बढ़ रही दलहन की खरीद

Pulse Procurement: हर साल बढ़ता MSP, फिर भी क्यों नहीं बढ़ रही दलहन की खरीद

Pulse Procurement: सरकार की नीति सही दिशा में है, लेकिन दलहन और तिलहन की खरीद को लगातार और भरोसेमंद बनाने की जरूरत है. इससे किसान प्रोत्साहित होंगे, देश की आयात निर्भरता घटेगी और महंगाई पर भी काबू पाया जा सकेगा.

Decline in purchase of pulse cropsDecline in purchase of pulse crops
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 02, 2025,
  • Updated Jun 02, 2025, 5:50 PM IST

Pulse Procurement: भारत में सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज खरीदती है. लेकिन हाल के आंकड़ों से साफ है कि गेहूं और चावल जैसे जल-गहन (water-guzzling) अनाजों की खरीद दलहन (pulses) और तिलहन (oilseeds) के मुकाबले कहीं अधिक है. जबकि भारत को दलहन और तिलहन का आयात भारी मात्रा में करना पड़ता है, जिससे विदेशी मुद्रा का नुकसान और महंगाई बढ़ती है.

क्या दिखा RBI की रिपोर्ट में?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 फसल वर्ष में:

  • सरकार ने कुल 77.86 मिलियन टन अनाज खरीदा (52.26 मिलियन टन चावल और 26.26 मिलियन टन गेहूं).
  • वहीं, दलहन की खरीद सिर्फ 4.6 मिलियन टन और
  • तिलहन की खरीद सिर्फ 0.6 मिलियन टन रही.

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MSP का उद्देश्य और असलियत

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का उद्देश्य होता है कि किसान को उसकी लागत पर कम से कम 50% मुनाफा मिले. सरकार हर साल दलहन और तिलहन के MSP बढ़ाकर किसानों को इन्हें उगाने के लिए प्रोत्साहित करती है. फिर भी, इन फसलों की खरीद में स्थिरता और भरोसे की कमी दिखती है.

दलहन की खरीद में उतार-चढ़ाव

राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ सालों में दलहन की खरीद कुछ इस प्रकार रही:

  • 2019-20: 2.8 मिलियन टन
  • 2020-21: 0.81 मिलियन टन
  • 2021-22: 3.3 मिलियन टन
  • 2022-23: 2.8 मिलियन टन
  • 2023-24: सिर्फ 0.69 मिलियन टन

इससे पता चलता है कि सरकार की खरीद नीति में लगातार उतार-चढ़ाव रहा है.

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सरकार की नई पहल

2025-26 के बजट में यह घोषणा की गई है कि 2028-29 तक अगले चार वर्षों तक तूर (अरहर), उरद और मसूर की 100% खरीद की जाएगी. यह खरीद PM-AASHA योजना के अंतर्गत की जाएगी, जिससे देश को दलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश है.

सहकारी संस्थाओं की भूमिका

सरकार ने खाद्य मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को मिलकर काम करने के निर्देश दिए हैं, जिससे राज्य की सहकारी संस्थाएं किसानों से दलहन और तिलहन की सीधी खरीद कर सकें. इससे किसानों को बेहतर दाम मिलने की संभावना है.

तो फिर अनाज की खरीद ज्यादा क्यों है?

  • गेहूं और चावल जैसे अनाज का बाजार योग्य अधिशेष (marketable surplus) अधिक होता है.
  • भारत को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत करीब 80 करोड़ लोगों को राशन देना होता है, जिसके लिए गेहूं और चावल का स्टॉक जरूरी होता है.

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