
सदाबहार या Periwinkle (विंका रोसिया) भारत में अपने सुंदर फूलों और औषधीय गुणों के कारण लोकप्रिय हो गया है. यह पौधा शुगर, बीपी और अन्य बीमारियों को रोकने में भी उपयोगी है. सजावटी और औषधीय दोनों ही उद्देश्यों के लिए इसकी मांग बढ़ रही है. सदाबहार गर्म, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय (Tropical and subtropical) जलवायु में अच्छा पनपता है. दिन का तापमान 24-30°C और रात का तापमान 15°C से अधिक होना चाहिए. इसे कम से कम 100 सेमी वर्षा या सिंचाई वाली जमीन की आवश्यकता होती है. यह पौधा धूप पसंद करता है, लेकिन आंशिक छाया में भी उग सकता है.
सदाबहार सभी प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन गहरी, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है. मिट्टी हल्की अम्लीय से उदासीन होनी चाहिए (pH 6.0-7.5). भारी, जलभराव वाली या अत्यधिक क्षारीय मिट्टी से बचें.
खेत को 3-4 गहरी जुताई करके खरपतवार मुक्त करें. मिट्टी में अच्छी तरह से गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाएँ. मिट्टी में पानी की निकासी सुनिश्चित करें और जरूरत पड़ने पर रेत मिलाएँ.
सदाबहार की बुवाई या रोपाई जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर में करें. सीधी बुवाई मानसून की शुरुआत में और रोपाई 45-60 दिन पुराने पौधों से करें.
सीधी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 2.5 किलोग्राम बीज और रोपाई के लिए 0.5 किलोग्राम बीज पर्याप्त है. बीजों को रेत में मिलाकर फैलाएँ. विशेष रासायनिक उपचार की आवश्यकता नहीं होती.
पौधों को 45x30 सेमी की दूरी पर लगाएँ. सीधी बुवाई में बीजों को समान रूप से फैलाएं.
खेत तैयार करते समय 10-25 टन गोबर की खाद मिलाएं. रोपाई में 20:50:75 किग्रा/हेक्टेयर एनपीके दें. रोपाई के 2 महीने बाद 50 किग्रा नाइट्रोजन टॉप ड्रेसिंग करें. सदाबहार की खेती न केवल औषधीय और सजावटी लाभ देती है बल्कि किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत भी है. सही जलवायु, मिट्टी, किस्म और उर्वरक के इस्तेमाल से किसान उच्च गुणवत्ता और अधिक उपज सुनिश्चित कर सकते हैं.
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