Agri Tip: क्या आप जानते हैं कैसे होती है अरंडी की खेती? जानिए इसकी पूरी कहानी

Agri Tip: क्या आप जानते हैं कैसे होती है अरंडी की खेती? जानिए इसकी पूरी कहानी

अरंडी की खेती कम पानी में उगने वाली लाभकारी फसल है. इस गाइड में आप जानेंगे कि सही बीज कैसे चुनें, खेत की तैयारी, सिंचाई, उर्वरक और कीट-रोकथाम के तरीके. बीज से कटाई तक पूरी जानकारी पाकर आप अपनी फसल की उपज और आमदनी बढ़ा सकते हैं. यह गाइड खासकर भारतीय किसानों के लिए तैयार किया गया है.

Castor farming: कैसे करें अरंडी की खेतीCastor farming: कैसे करें अरंडी की खेती
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Nov 13, 2025,
  • Updated Nov 13, 2025, 2:32 PM IST

अरंडी (Castor) एक ऐसी फसल है, जिसे गर्म मौसम और कम पानी में भी उगाया जा सकता है. यह तेल वाली फसल है, जिसे तेल निकालने के लिए उगाया जाता है. भारत में अरंडी की खेती प्रमुख रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में होती है. अगर आप किसान हैं और अरंडी की खेती करना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी.

अरंडी की मिट्टी और जलवायु

अरंडी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या हल्की बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. यह फसल बहुत ज्यादा पानी की मांग नहीं करती, लेकिन बारिश या सिंचाई के दौरान मिट्टी गीली होनी चाहिए. अरंडी को 25°C से 35°C तापमान में अच्छा विकास मिलता है. ठंडी या ज्यादा बारिश वाली जगह इस फसल के लिए ठीक नहीं होती.

बीज का चयन और बोवाई

अरंडी की खेती की शुरुआत अच्छी क्वालिटी के बीज से होती है. बीज स्वस्थ और रोग-मुक्त होने चाहिए. किसानों को स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार बीज चुनना चाहिए. बीज बोने से पहले इसे हल्के गरम पानी में भिगोकर अंकुरण को तेज किया जा सकता है.

बीज की बोवाई आमतौर पर बुवाई मशीन या हाथ से की जाती है. अरंडी के लिए पंक्तियों के बीच 45-60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 30-45 सेंटीमीटर की दूरी उपयुक्त होती है. यह दूरी पौधों को पर्याप्त स्थान देती है ताकि वे अच्छा विकास कर सकें.

सिंचाई और उर्वरक

अरंडी को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन खेत में शुरुआत में हल्की सिंचाई पौधों को मजबूत बनाती है. पौधों के बढ़ने के दौरान 2-3 बार हल्की सिंचाई करना फायदेमंद होता है.

उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग जरूरी है. मिट्टी की जांच करवाकर ही उर्वरक की मात्रा तय करें.

अरंडी की देखभाल और रोग-रोकथाम

अरंडी की फसल में खरपतवार जल्दी बढ़ जाते हैं, इसलिए बुवाई के बाद 20-25 दिन में एक बार जुताई करना आवश्यक है. साथ ही, इस फसल में एफिड और बीटल जैसे कीटों की समस्या हो सकती है. समय पर कीटनाशक का उपयोग फसल को नुकसान से बचा सकता है.

कटाई और उपज

अरंडी की फसल लगभग 5-6 महीने में तैयार हो जाती है. जब बीज पूरी तरह पक जाएं और पत्तियां सूखने लगें, तब फसल को काटा जाता है. कटाई के बाद बीज को सुखाकर तेल निकालने के लिए तैयार किया जाता है.

अरंडी की खेती से किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं क्योंकि इसका तेल और बीज दोनों बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं.

अरंडी की खेती कम पानी में भी अच्छी फसल देती है और किसानों के लिए लाभकारी होती है. सही बीज, उचित सिंचाई, उर्वरक और समय पर देखभाल से आप अरंडी की अच्छी फसल उगा सकते हैं.

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