
मंगलवार को सरकार ने संसद में कृषि और उससे जुड़े मुद्दे के बारे में कई जानकारी दी. इसमें महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का मुद्दा भी शामिल है. इसके अलावा केरल में सुपारी किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है जिसके बारे में कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी. देश में खेती में लगी महिलाएं, पीएम कुसुम स्कीम और सैटेलाइट बेस्ड फसल मॉनिटरिंग के बारे में भी संसद में जानकारी दी गई. आइए जान लेते हैं कि सरकार ने क्या कहा.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय किसी भी आपदा से हुए जान-माल के नुकसान का डेटा अपने पास मेंटेन नहीं रखता है. हालांकि, महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 के दौरान बाढ़ और भारी बारिश की वजह से 26 नवंबर, 2025 तक 224 लोगों की जान गई है और 599 जानवरों की मौत हुई है और 3,598 घर और 75 लाक हेक्टेयर फसल वाले इलाके को नुकसान हुआ है.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में बताया कि केरल सरकार ने कासरगोड जिले में सुपारी की खेती की स्थिति का एनालिसिस करने के लिए एक टास्क फोर्स कमेटी बनाई है, जिसमें इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च-सेंट्रल प्लांटेशन क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, कासरगोड (ICAR-CPCRI) मेंबर है. टीम ने कासरगोड के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया और लीफ स्पॉट बीमारी की वजह से 5 परसेंट से 20 परसेंट तक पैदावार के नुकसान का अनुमान लगाया.
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि केंद्र मौजूदा एलिजिबिलिटी नियमों के अनुसार, महिला किसानों सहित किसानों के लिए कई स्कीम लागू कर रहा है. केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने eShram पोर्टल लॉन्च किया, और 25 नवंबर, 2025 तक, खेती और उससे जुड़े सेक्टर के 1625 लाख से ज्यादा वर्कर पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 8.04 करोड़ से ज्यादा महिला वर्कर शामिल हैं.
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे एनुअल रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में 76.9 प्रतिशत महिलाएं, शहरी इलाकों में 12.3 प्रतिशत महिलाएं, और कुल आबादी का 64.4 प्रतिशत हिस्सा खेती के सेक्टर में काम करता है.
ठाकुर ने लोकसभा को बताया कि FASAL प्रोग्राम के तहत, महालनोबिस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर 11 मुख्य फसलों (धान, गेहूं, जूट, कपास, गन्ना, सोयाबीन, अरहर, चना, सरसों, मसूर और रबी ज्वार) के लिए सैटेलाइट-बेस्ड प्री-हार्वेस्ट फसल प्रोडक्शन का अनुमान लगाता है. फसल मैपिंग के लिए मल्टीस्पेक्ट्रल और माइक्रोवेव सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि मौसम-बेस्ड और रिमोट-सेंसिंग मॉडल के जरिए पैदावार का अनुमान लगाने के लिए सैटेलाइट-बेस्ड इंडेक्स और मौसम डेटा का इस्तेमाल किया जाता है. FASAL प्रोग्राम 20 राज्यों और 557 जिलों को कवर करता है.
31 अक्टूबर, 2025 तक, प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) स्कीम के सभी हिस्सों के तहत कुल 9,466 मेगावाट बिजली लगाई जा चुकी है, यह जानकारी केंद्रीय नई और रिन्यूएबल एनर्जी और पावर राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा को दी. स्कीम के तहत फंड डिमांड, स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट की गई प्रोग्रेस और गाइडलाइंस के प्रोविजन के आधार पर जारी किए जाते हैं. राज्यों से मिली डिमांड के मुकाबले, 31 अक्टूबर, 2025 तक स्कीम के तहत 7,089 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं.