राजस्थान सरकार ने प्रदेश में फैक्ट्री लगाने के लिए ली जाने वाली पर्यावरण मंजूरी की शर्त में थोड़ी ढिलाई की है. अब प्रदेश में व्हाइट कैटगरी वाले उद्योगों की संख्या 104 कर दी गई है. इन 104 उद्योगों को शुरू करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल से मंजूरी नहीं लेनी होगी. पहले यह संख्या 102 थी.
अब गैसीय ईंधन पर आधारित वन एमवीए तक सैंडस्टोन डीजल जनरेटर सेट और स्वच्छ ईंधन के साथ शहद बनाने वाली इकाइयों को इस लिस्ट में जोड़ा गया है.
राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने बताया कि व्हाइट कैटगरी के अंतर्गत ऐसी औद्योगिक इकाइयां शामिल है, जिनसे प्रदूषण नहीं फैलता. साथ ही इन उद्योगों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से मंजूरी नहीं लेनी होती. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में नए उद्यमियों को सस्टेनेबल प्रेक्टिसेस एवं बेहतर पर्यावरणीय प्रबंधन तकनीक अपनाने पर प्रोत्साहन के उद्देश्य से व्हाइट कैटगरी का विस्तार किया जा रहा है.
व्हाइट कैटगरी में ब्लू पोटरी, कोल्ड स्टोरेज, अगरबत्ती, हैंडलूम, जेम्स एंड ज्वेलरी, फ्लोरीकल्चर एंड हॉर्टिकल्चर, पांच हजार तक की संख्या के पोल्ट्री फार्म,के साथ गैसीय ईंधन पर आधारित वन एमवीए तक सैंडस्टोन डीजल जनरेटर सेट शामिल हैं. इसके अलावा स्वच्छ ईंधन के साथ शहद बनाने वाली इकाइयां सहित 104 प्रकार की औद्योगिक इकाइयां शामिल हैं.
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राजस्थान में चल रहे औद्योगिक क्षेत्रों को प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने चार कैटगरी में बांटा हुआ है. ये चारों श्रेणी प्रदूषण उत्सर्जन क्षमता के आधार पर बनाई गई हैं. इसके अंतर्गत व्हाइट, ग्रीन, ऑरेंज और रेड श्रेणी शामिल हैं. अग्रवाल कहते हैं कि विभिन्न तरह के माध्यमों एवं राज्य प्रदूषण मंडल के 25 क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिए इन इंड्रस्टीज की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है.
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प्रदेश में बनाए गए नए 19 जिलों में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के कार्यालय भी खोले जाएंगे, लेकिन फिलहाल मंडल के क्षेत्रीय अधिकारियों को नए जिलों का अतिरिक्त काम सौंपा गया है.
मंडल के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि मंडल के क्षेत्रीय अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में विस्तार किया गया है. इससे नए ज़िलों में भी प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जा सकेगी. प्रदूषण की मॉनिटरिंग से राज्य में प्रदूषण नियंत्रण एवं ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के क्षेत्र लगातार प्रगति होगी.