
भारत के चाय उत्पादक पिछले कुछ दिनों से राहत की सांस ले रहे हैं. दरअसल पिछले दिनों नेपाल से आने वाली चाय की खेप को भारत ने खारिज कर दिया है. फूड रेगुलेटर की तरफ से तय फूड सिक्योरिटी स्टैंडर्ड पर नेपाल की चाय खरी नहीं उतर सकी. चाय के 50 प्रतिशत से ज्यादा नमूने फेल हो गए हैं. कोर्ट के दस्तावेजों में यह जानकारी सामने आई है. अब भारतीय उत्पादकों की वह दलील और मजबूत हो गई है, जो लंबे समय से हिमालयी पड़ोसी देशों से होने वाले आयात पर सख्ती की मांग करते आ रहे थे.
कोलकाता हाई कोर्ट में टी बोर्ड द्वारा दायर एक एफिडेविट में खुलासा हुआ है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के स्टैंडर्ड के अनुपालन की जांच के लिए लिए गए 43 नमूनों में से 22 सैंपल टेस्ट में फेल हो गए हैं. अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार इस हलफनामे के अनुसार कुल 27,570 किलोग्राम चाय को नष्ट किया गया क्योंकि वह टी बोर्ड की तरफ से तय स्टैंडर्ड को पूरा करने में असफल थी. जबकि यही बोर्ड भारत में चाय इंडस्ट्री का रेगुलेटर है.
हालांकि खराब क्वालिटी के चलते नष्ट की गई चाय की मात्रा, एक साल में भारत में आने वाली नेपाली चाय की कुल मात्रा के मुकाबले बहुत कम है. वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल ने भारत को 1.595 करोड़ किलोग्राम (15.95 मिलियन किग्रा) चाय का निर्यात किया. नेपाल की ऑर्थोडॉक्स किस्म की चाय दार्जिलिंग चाय से प्रतिस्पर्धा करती है, जबकि CTC किस्म दोआर्स और तराई क्षेत्रों में पैदा होने वाली चाय से मुकाबला करती है. सस्ती होने के कारण, नेपाली चाय पर बाजार में कीमतों को गिराने का आरोप लगता रहा है. इसके अलावा, दार्जिलिंग चाय, जो एक GI टैग्ड कृषि उत्पाद है, के साथ नेपाली चाय मिलाने की गलत ट्रेडिंग परंपरा भी बड़े स्तर पर अपनाई जा रही है.
नेपाल से आने वाली चाय की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिए भारत सरकार ने इसकी आवाजाही को तीन चेकपोस्ट्स, जोगबनी, रक्सौल और पानीटंकी, तक सीमित कर दिया है. इसके अलावा, 19 सितंबर 2023 को वाणिज्य मंत्रालय के तहत एफएसएसएआई, कस्टम्स और टी बोर्ड की एक मीटिंग में यह फैसला लिया गया था कि कस्टम्स नेपाली चाय की हर खेप की 100 प्रतिशत जांच करेगा और हर महीने उसके परीक्षण परिणाम टी बोर्ड के साथ साझा करेगा. कोर्ट के दस्तावेजों से पता चलता है कि कस्टम्स न तो नेपाली चाय पर 100 प्रतिशत टेस्टिंग कर रहा है और न ही परिणामों को टी बोर्ड के साथ नियमित तौर पर साझा कर रहा है. टी बोर्ड इन परिणामों को सार्वजनिक डोमेन में जारी करना चाहता है ताकि पारदर्शिता बढ़ाई जा सके. अभी तक टी बोर्ड की तरफ से इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है.
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