केंद्र सरकार ने बीते दिनों गन्ने के रस, चीनी के सिरप, बी हैवी मोलसेस से इथेनॉल बनाने पर लगे प्रतिबंध हटाया था. इससे पहले केंद्र सरकार ने 6 दिसंबर 2023 को इस पर प्रतिबंध लगाया था. कुल जमा गन्ने से इथेनॉल बनने का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद बाजार में चीनी के दामाें में तेजी दर्ज गई है. मसलन, शेयर मार्केट में चीनी के शेयर प्राइस 3 से 7 फीसदी तक उछले हैं, लेकिन क्लाइमेक्स अभी बाकी है. इस साल चीनी के दामों में अभी और तेजी दर्ज होने की संभावना है. सीधी सी बात इस साल चीनी महंगी हो सकती है. इसके पीछे का मुख्य कारण ब्राजील, पेट्रोल और MSP से जुड़ा हुआ है. क्योंकि नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF) ने चीनी की MSP अब 4200 रुपये क्विंटल करने की मांग की है.
आइए आज की कड़ी में इस पर विस्तार से बात करते हैं. समझते हैं कि क्याें चीनी महंगी हो सकती है. इसके पीछे का मुख्य कारण क्या हैं. देश में चीनी का उत्पादन कितना होगा. इस पूरी कवायद में किसानों के हिस्से क्या आएगा.
इस पूरी कहानी पर आगे बढ़ने से पहले समझते हैं कि देश में वित्त वर्ष 25 में चीनी का उत्पादन कितना होने का अनुमान है. एक्सपर्ट के अनुसार इस साल देश में चीनी उत्पादन 35 मिलियन मीट्रिक टन हाे सकता है. जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 28 मिलियन मीट्रिक टन अनुमानित है. कुल जमा 7 मिलियन मीट्रिक टन चीनी सरप्लस रहने का अनुमान है.
चीनी के दामों में बढ़ोतरी के पीछे का मुख्य कारण ब्राजील, पेट्रोल और MSP से जुड़ा हुआ है. MSP के मुद्दे को विस्तार से समझें तो ये विषय चीनी की MSP 4200 रुपये क्विंटल करने की मांग से जुड़ा हुआ है. इसको लेकर NFCSF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने किसान तक के साथ विशेष बातचीत में बताया कि 2018 में केंद्र सरकार ने चीनी की MSP 3100 रुपये क्विंटल तय की थी. इसके बाद से गन्ने के FRP में प्रति क्विंटल कई बार बढ़ोतरी हुई है, लेकिन, चीनी की MSP स्थिर है. तो वहीं इन 5 सालों में शुगर मिल्स की लागत में कई तरह से बढ़ोत्तरी हुई है. उन्होंने बताया कि शुगर फैक्ट्रीज गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करती हैं. इन विषयों काे ध्यान में रखते हुए फेडरेशन ने केंद्र सरकार ने चीनी का MSP 3100 रुपये क्विंटल से 4200 रुपये क्विंटल करने की मांग की है. जो केंद्र सरकार के समक्ष विचारधीन है.
देश में चीनी के दामों में तेजी के पीछे का मुख्य कारण पेट्रोल से जुड़ा हुआ है, जिसको लेकर केंद्र सरकार ने बीते दिनों फैसला लेते हुए गन्ने के रस, चीनी के सिरप, बी हैवी मोलेसस से इथेनॉल बनाने को मंंजूरी दी है. असल में केंद्र सरकार पेट्रोल में इथेनॉल के समिश्रण की योजना पर काम कर रही है. जिसके तहत साल 2013-14 में पेट्रोल के अंदर इथेनॉल समिश्रण 1.5 फीसदी था, जो जुलाई 2024 में बढ़कर 15.8 फीसदी हो गया. केंद्र सरकार की तरफ से निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल का समिश्रण किया जाना है.
वहीं डीजल में भी 5 फीसदी इथेनॉल समश्रिण की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. हालांकि इस पर अभी प्रयोग चल रहे हैं, लेकिन पेट्रोल में साल 2025 तक 20 फीसदी का सम्मिश्रण लक्ष्य पूरा करना है. इसके लिए गन्ने और चीनी पर लोड पड़ना तय है. ऐसे में चीनी के दामों में बढ़ोतरी की आशंका बनी हुई है.
चीनी के दामों में बढ़ोतरी की एक मुख्य वजह इंटरनेशनल भी है. असल में दुनिया में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक ब्राजील में पिछले दिनों आग लगने की वजह से बड़ी मात्रा में गन्ने की फसल खराब हुई है. माना जा रहा है कि इससे ब्राजील में चीनी उत्पादन 10 फीसदी तक प्रभावित हो सकता है. इसके मद्देनजर इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की 3 फीसदी तक कमी हो सकती है. इससे इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की कीमतों में तेजी आएगी. जिसका असर भारत में भी देखने को मिल सकता है. हालांकि भारत सरकार ने जून 2022 से चीनी एक्सपोर्ट पर बैन लगाया था, जो अभी जारी है, लेकिन माना जा रहा है कि एक्सपोर्ट बैन रहने के बावजूद भी भारत के चीनी के दामों में तेजी रहेगी.
चीनी की MSP में बढ़ोतरी की मांग हो रही है. वहीं दूसरे कारणों की वजह से भी चीनी के दामों में बढ़ोतरी होने की संभावना है, लेकिन सवाल ये है कि इस पूरी कवायद में गन्ना किसानों को क्या मिलेगा. क्या गन्ने के FRP में बढ़ोतरी होगी. इसको लेकर महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी गन्ने की FRP में बढ़ोतरी की मांग करते हैं. साथ ही राजू शेट्टी इथेनॉल उत्पादन से होने वाली कमाई में किसानों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए एक अलग से सिस्टम बनाने की भी वकालत करते हैं.
वहीं NFCSF के डायरेक्टर और बागपत को ऑपरेटिव शुगर मिल्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष वीरेंद्र राणा कहते हैं कि बीते महीने मुंबई में NFCSF की बैठक हुई थी. इसमें चीनी की MSP 4200 रुपये क्विंटल करने को लेकर चर्चा हुई थी. अगर ऐसा होता है तो प्रति किलो चीनी के दाम 11 रुपये की बढ़ोतरी की है. हमने इस बढ़ाेतरी में किसानों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें गन्ने की FRP पर बोनस देने की योजना पर विचार करने की मांग की है.