
मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन बी9 यानी फोलिक एसिड बहुत जरूरी है. फोलिक एसिड की कमी से शरीर कमजोर हो जाता है और व्यक्ति बीमार रहने लगता है. फोलिक एसिड को विटामिन बी के नाम से भी जाना जाता है. गर्भावस्था में शिशु के सही विकास और बालों को सुंदर बनाने के लिए फोलिक एसिड काफी कारगर होता है. वहीं इससे कैंसर जैसी गंभीर समस्या को दूर रखने और स्ट्रेस को कम करने में भी मदद मिलती है. अंडे, फल और सब्जी के अलावा मोटे अनाज भी फोलिक एसिड के लिए बेहतर विकल्प हैं. ऐसे में आइये आज जानते हैं किस मोटे अनाज में कितनी मात्रा में फोलिक एसिड पाया जाता है-
सामान्य तौर पर बाजार में मिलने वाले अनाजों में से चेना में सबसे अधिक फोलिक एसिड पाया जाता है. आईसीएआर की तरफ से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 100 ग्राम चेना (Proso Milets) में सबसे अधिक 85 ग्राम फोलिक एसिड होता है. वहीं, मोटे अनाजों की सूची में शामिल कोदो (Kodo Milets) में चेना के बाद सबसे अधिक 39.5 फोलिक एसिड पाया जाता है. हालांकि, चेना को पक्षियों को खिलाने वाले मोटे अनाज के तौर पर पहचान मिली हुई है-
| अनाज | फोलिक एसिड की मात्रा (प्रति 100 ग्राम अनाज में कितने ग्राम ) |
| चेना | 85 |
| कोदो | 39.5 |
| ज्वार | 39.4 |
| कुटकी | 36.2 |
| बाजरा | 36.1 |
| रागी | 34.7 |
| सवां | 30.5 |
| गेंहू | 30.2 |
| कंगनी | 15 |
| चावल | 9.3 |
स्त्रोत: ICAR
कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल करने की अपील की थी. मोटे अनाज बढ़ती वजन वाले बच्चों, डायबिटीज से परेशान लोगों और ज्यादा शारीरिक मेहनत करने वाले कामगारों और बूढ़े लोगों के लिए काफी जरूरी है. वही मोटे अनाज को पैदा करने में कम किसानों को कम मेहनत और कम पानी की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए सरकार मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, ताकि किसान इसकी खेती कर अपनी आय को भी बढ़ा सकें.
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दुनियाभर में साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट घोषित किया गया है. इसका शुभारंभ 6 नवंबर 2022 को रोम और इटली से किया जा चुका है. यह आयोजन विश्व में मोटे अनाज की वैश्विक मांग बनाने और लोगों के बीच इसके पोषक तत्वों की जानकारी देने के लिए किया जा रहा है. भारत सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय बाजार को इसके लिए चिन्हित करने का फैसला लिया था. उसके बाद भारत ने 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को 2023 को अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. वहीं भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट के रूप में घोषित कर दिया है. अब इसको सफल बनाने के लिए सरकार कई तरह की पहल कर रही है.
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