मराठावाड़ा में किसानों की आत्‍महत्‍या के मामले 20 फीसदी बढ़े, राजस्‍व विभाग की रिपोर्ट में सामने आई जानकारी

मराठावाड़ा में किसानों की आत्‍महत्‍या के मामले 20 फीसदी बढ़े, राजस्‍व विभाग की रिपोर्ट में सामने आई जानकारी

Maharashtra Farmers Suicide Issue: राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से 26 जून 2025 के बीच मराठवाड़ा में 520 किसानों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में 20% अधिक है. बीड में सबसे अधिक 126 आत्महत्याएं हुईं, इसके बाद संभाजीनगर, नांदेड़ और परभणी जैसे जिले रहे.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 08, 2025,
  • Updated Jul 08, 2025, 1:33 PM IST

महाराष्‍ट्र में किसानों की आत्‍महत्‍या की समस्‍या नासूर बनती जा रही है. आत्‍महत्‍या के मामलों लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. खासकर राज्‍य के मराठवाड़ा क्षेत्र के 8 जिलों में यह स्थित‍ि भयावह होती जा रही है. मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में इस साल जनवरी से जून (26 जून तक) के बीच 520 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि‍ पिछले साल इसी अवधि में 430 किसानों ने आत्‍महत्‍या की थी. यानी साल के पहले 6 महीनों आत्‍महत्‍या के मामले 20 प्रतिशत ज्‍यादा हैं. यह जानकारी राज्य राजस्व विभाग की रिपोर्ट में दी गई है.

बीड में 126 किसानों ने दी जान

पीटीआई के मुताबिक, मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र में सबसे अधिक आत्महत्या करने वाले जिलों में बीड जिला शामिल है, जहां चालू कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में 126 किसानों ने आत्महत्या की. मराठवाड़ा के आठ जिलों में जनवरी से जून 2024 के बीच 430 किसानों ने आत्महत्या की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में इसी अवधि (26 जून तक) के दौरान इस क्षेत्र में 520 किसानों ने आत्महत्या की. इससे किसानों की आत्महत्या में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी-जून 2024 की अवधि के दौरान भी, 101 किसान आत्महत्या मामलों के साथ बीड जिलों में शीर्ष पर रहा. इस वर्ष, 313 योग्य मामलों में से 264 में प्रभावित परिवारों को अनुग्रह राशि दी गई है, जबकि 146 मामले जांच के दायरे में हैं. साथ ही, 61 मामले मुआवजे के लिए अयोग्य पाए गए, जो पिछले साल जनवरी-जून में 20 से तीन गुना अधिक है. 

जून 2025 तक इतने किसानों ने की आत्‍महत्‍या

बीड - 126
छत्रपति संभाजीनगर - 92 
नांदेड़ - 74 
परभणी - 64 
धाराशिव - 63  
लातूर - 38 
जालना - 32 
हिंगोली - 31

महाराष्‍ट्र में किसानों की दुर्दशा पर हंगामा

महाराष्‍ट्र में इन दिनों की किसानों की दुर्दशा पर राजनीति भी तेज है. पि‍छले दिनों लातूर के बुजुर्ग किसान जोड़े का बिना बैल हल से खुद खेत जोतने का वीडियो वायरल हुआ था. विपक्ष ने इसे लेकर महायुति सरकार पर हमला बोला था. वहीं, हाल ही में राहुल गांधी ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से महराष्‍ट्र में 767 किसानों की आत्‍महत्‍या का दावा कर सरकार की नीतियों पर हमला बोला था. इस दौरान उन्‍होंने कर्जमाफी का मुद्दा भी उठाया.

महाराष्‍ट्र में किसानों की प्रमुख समस्‍याएं

महाराष्‍ट्र में कई जिले लगातार सुखाड़ सामना करते हैं. ऐसे में यहां हर बार खेती से मुनाफा नहीं मिलता. कई बार उल्‍टा नुकसान हो जाता है. 

बहुत से किसान बैंक, साहूकार, सहकारी समिति/सोसायटी से कर्ज लेकर खेती करते हैं. नुकसान होने पर कर्ज और बढ़ जाता है. अंत में कर्ज न चुका पाने के कारण आत्‍महत्‍या जैसा कदम उठा लेते हैं.

महाराष्‍ट्र में एक ओर जहां सुखाड़ बड़ी समस्‍या है तो वहीं, अचानक हुई बेमौसम भारी बारिश और अनि‍यमित मौसम की घटनाएं भी खेती और फसलों पर बुरा असर डालती है. इससे नुकसान के चलते भी किसान गंभीर आर्थ‍िक संकट में फंस जाते हैं.

फसलों का मूल्‍य: महाराष्‍ट्र में प्‍याज, सोयाबीन, गन्‍ना, हल्‍दी आदि की बड़े क्षेत्र में खेती की जाती है. इसके अलावा भी अन्‍य फसलों की खेती होती है. लेकिन, राज्‍य के किसान हर साल सोयाबीन, प्‍याज, हल्‍दी की सही कीमत न मिलने को लेकर समस्‍याओं का सामना करने की बात कहते हैं.

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