चावल खाने से डायबिटीज होता है या नहीं? एक्सपर्ट से जानिए इस सवाल का जवाब

चावल खाने से डायबिटीज होता है या नहीं? एक्सपर्ट से जानिए इस सवाल का जवाब

क्या चावल खाने से शुगर की बीमारी होती है या खून में शुगर का स्तर बढ़ता है? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है क्योंकि इसके बारे में कई धारणाएं हैं जिसे कुछ लोग सही तो कुछ लोग भ्रामक बताते हैं. ऐसे में आइए एक्सपर्ट से इस सवाल का जवाब जान लेते हैं.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 08, 2025,
  • Updated Jul 08, 2025, 4:06 PM IST

चावल को लेकर समाज में कई भ्रामक धारणाएं प्रचलित हैं, जिनमें सबसे आम यह है कि चावल खाने से शुगर या मधुमेह होता है. डायबिटीज के रोगी अक्सर ये सोचकर परेशान रहते हैं कि वो चावल खा सकते हैं या नहीं. इसे लेकर तमाम स्टडीज और रिपोर्ट भी आती रहती हैं. तो आइए जान लें कि आखिर पूरा मामला क्या है. इस पर जाने-माने राइस साइंटिस्ट और पूसा के पूर्व निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने किसान तक के पॉडकास्ट "अन्नगाथा" में बताया. उन्होंने इस मिथक पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया है कि इसमें कुछ हद तक सच्चाई है, लेकिन काफी हद तक यह एक भ्रामक प्रचार भी है. उन्होंने बताया कि भोजन के बाद रक्त में शुगर का स्तर बढ़ता है, जिसके आधार पर ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) नामक एक पैरामीटर विकसित किया गया है. जीआई के अनुसार, भोज्य पदार्थों को उच्च, मध्यम या निम्न जीआई में वर्गीकृत किया जाता है. चावल की कुछ किस्में उच्च जीआई वाली होती हैं (55% से ऊपर), जबकि कुछ किस्में निम्न जीआई (55% से कम) और अल्ट्रा-लो जीआई (45% से कम) वाली भी होती हैं. 

ग्लाइसेमिक इंडेक्स के बारे में समझें 

'किसान तक' से खास बातचीत में डॉ. अशोक कुमार सिंह ने यह भी बताया कि चावल को किस प्रकार खाया जाता है, यह भी महत्वपूर्ण है. दाल के साथ उचित मात्रा में चावल खाने से उसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो जाता है. ब्राउन राइस और परबोइल्ड राइस (उसीना या सेला चावल) का जीआई भी कम होता है क्योंकि वे पचने में अधिक समय लेते हैं, जिससे शुगर धीरे-धीरे रक्त में घुलती है. उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों के आंकड़ों का हवाला दिया. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे मुख्य रूप से चावल खाने वाले राज्यों में मधुमेह की दर 10% से कम है, जबकि पंजाब और हरियाणा जैसे गेहूं खाने वाले राज्यों में यह दर 12% से अधिक है. यह दर्शाता है कि केवल चावल को मधुमेह का दोषी नहीं ठहराया जा सकता. विशेषज्ञ ने जोर दिया कि मधुमेह एक आनुवंशिक और जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है. यदि किसी व्यक्ति में मधुमेह के जीन हैं और उसकी जीवनशैली निष्क्रिय है (जैसे व्यायाम न करना, गतिहीन आदतें), तो उसे मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है. हालांकि, सही जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है. चावल को अकेले विलेन बनाना गलत है.

डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा, कुछ किस्में ऐसी हैं चावल की जिनमें जीआई इंडेक्स 55% से कम होती है जिनको हम लो जीआइ में रखते हैं. अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के द्वारा 45% से भी कम जीआई है उसको अल्ट्रा लो जीआई में रखा गया है. शुगर को लेकर इस बात पर भी निर्भर करता है कि चावल को हम किस प्रकार से खाते हैं. चावल को अगर दाल के साथ मिला करके खाते हैं और एक उचित मात्रा में बराबर बराबर मिला के खाते हैं तो जीआई इंडेक्स की वैल्यू कम हो जाती है. तो जो लोग चावल खा रहे हैं और चावल अच्छा लगता है, यह ध्यान रखें कि उसमें दाल की मात्रा अच्छी खासी हो. उसके साथ मिला के खाएं तो जीआई कम हो जाएगी.

जीआई से तय होता है शुगर लेवल 

डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा, ब्राउन राइस जो होता है जब हम सिर्फ ऊपर से छिलका हटा देते हैं, जो चावल बचता है उसको हम ब्राउन राइस बोलते हैं. ब्राउन राइस की भी जीआई कम होती है क्योंकि ये पचने में ज्यादा समय लेता है तो शुगर धीरे-धीरे रिलीज होती है तो अचानक शुगर की मात्रा ब्लड में नहीं बनती है. इसी तरह उसना या सेला चावल के साथ भी यही बात है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में मुख्य रूप से भोजन में चावल खाते हैं.

सुबह, दोपहर, शाम तीनों टाइम यहां के लोग चावल ही खाते हैं. लेकिन इन राज्यों में डायबिटीज़ 10% से कम लोगों को है. उत्तर भारत में पंजाब में और हरियाणा में मुख्य रूप से भोजन गेहूं की रोटी खाते हैं, चावल नहीं खाते हैं, कई घरों में तो चावल शायद हफ्ते में एक बार बनता होगा. लेकिन वहां डायबिटीज़ का प्रोपोर्शन 12.4 और 12.7% है. ऐसे में अगर चावल दोषी है तो तेलंगाना, आंध्र और ओडिशा में डायबिटीज़ रोगियों की संख्या ज्यादा होनी चाहिए.

डायबिटीज एक जेनेटिक डिजीज

उन्होंने बताया कि डायबिटीज़ एक जेनेटिक डिजीज है और इसके जीन हम अपने माता पिता से प्राप्त करते हैं और अपनी संतति को प्रदान करते हैं, अगर वो जीन हमारे अंदर है. अगरह हम अपनी लाइफ स्टाइल को ठीक से नहीं रखते जैसे कि हम प्रॉपर व्यायाम नहीं करते हैं, भाग दौड़ नहीं करते हैं, एक्सर्साइज़ नहीं करते हैं, सेडेंटरी लाइफ हैबिट है, कुर्सी पर बैठ कर काम करना है और हमारे अंदर ज़ीन ससेप्टिबिलिटी का है तो हमको शुगर होगा ही होगा. लेकिन अगर हम जीन होने के साथ साथ भी अगर अपनी लाइफ स्टाइल को चेंज करते हैं, तो इसकी संभावना कम है. इसलिए डॉक्टरों की भाषा में कहा जाता है शुगर या डायबिटीज़ एक लाइफ स्टाइल डिजीज है.

इसलिए चावल को विलेन नहीं बना सकते. इसी में एक चावल काला नमक है. यह ऐसा चावल है जो सुगंधित चावल होता है, छोटे दाने का होता है और उसका जीआई बहुत कम होता है. इसमें जीआई करीब-करीब मीडियम मान के चलिए. इसमें 55 के आसपास जीआई होती है. इसे डायबिटीज के लिहाज से अच्छा मान सकते हैं.

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