पीपीवी और एफआर अधिकांश किसानों के लिए बिल्कुल नया शब्द हो सकता है. लेकिन, इसके बारे में हर किसान को जानना बहुत जरूरी है. दरअसल पौधों की नई किस्मों के विकास और पादप के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और उसमें सुधार कराने के लिए कृषक और पौधों के किस्म के अधिकारों के संरक्षण के लिए साल 2001 में एक अधिनियम बनाया गया, जिसे पीपीवी और एफआर अधिनियम (पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण) का नाम दिया गया. इस अधिनियम के तहत किसानों को कई अधिकार दिए गए हैं. आइए उन सभी अधिकारों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ये अधिकार किसानों को अपने बीजों को किसी भी तरह से उपयोग करने का अधिकार देता है. असल में किसान अपने खेत के उत्पाद को उपयोग में लेने, बुआई के बाद फिर से बुआई करने और अन्य किसानों को बांटने के लिए स्वतंत्र होते हैं.हालांकि, इस अधिनियम के तहत वे सुरक्षित किस्म के ब्रांडेड बीज की बिक्री नहीं कर सकते हैं. कुल मिलाकर इस नियम के तहत किसान अपने खेत में खेती के बाद उत्पादित किए गए बीजों को किसी भी उपयोग में ले सकते हैं.
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जिस बीज को पंजीकृत किया गया है. उसे बेचते समय पैकिंग पर उसकी बीज को क्रेडिट देना अनिवार्य है. ऐसा न होने पर किसान पीपीवी और एफआर अधिनियम 2001 के तहत किस्म पर क्रेडिट न देने पर नया पौधों की किस्म विकसित करने वाले पर क्षतिपूर्ति का दावा कर सकता है. इसके अलावा किसानों को पंजीकृत किस्म का बीज उचित मूल्य पर प्राप्त करने का अधिकार है. इस अधिनियम के तहत संरक्षित किस्म का बीज किसानों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराए जाने का अधिकार है.
पीपीवी और एफआर अधिनियम ऐसा अधिनियम है, जिसमें पौधे की किस्म को विकसित करने वाला प्रजनक और किसान को वाणिज्य लाभ प्रदान कराता है. लाभ में शामिल किसानों के अधिकारों का सबसे महत्वपूर्ण घटक है. इसमें पौध प्रजनक को नई किस्म के विकास के लिए पौध अनुवांशिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं.
इस नियम के तहत आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पौधों और संसाधनों को बचाने और उनके विकास के प्रयास में लगे ग्रामीणों और आदिवासी समुदाय के किसानों को राष्ट्रीय जीन निधि से सहायता और पुरस्कार देने का अधिकार प्राप्त है. इसके तहत साल में 5 पुरस्कार देने का प्रावधान किया गया है जिसमें से 10 लाख रुपये और स्मृति चिन्ह दिए जाते हैं. इसके अलावा 10 किसानों को पादप जीनोम संरक्षण के तहत 1-1 लाख रुपये तथा स्मृति चिन्ह दिए जाते हैं. साथ ही 15 किसानों को पादप जीनोम संरक्षण का प्रमाण पत्र दिया जाता है. पुरस्कार पाने वाले लोगों का वैज्ञानिकों की समिति में चयन हो सकता है.
पीपीवी और एफआर अधिनियम उन फसलों के बीजों का पंजीकरण करने का अधिकार देता है जो विशिष्टता, एकरूपता और स्थाई होने की आवश्यकता को पूरा करता है. इसमें किस्म को पीपीवी और एफआर पोर्टफोलियो में शामिल होने के बाद पंजीकृत किया जाता है. पंजीकृत हो जाने के बाद यह किस्म पौधा प्रजनक अधिकार के अंतर्गत आ जाती है.
इस अधिनियम के तहत पंजीयन के दौरान किसी भी तरह के लगने वाले शुल्क में छूट देने का अधिकार भी देता है इसमें स्पष्टता, स्थिरता और समानता जैसे अन्य पंजीकृत सेवाओं में छूट का प्रावधान है. इसके साथ साथ जब किसी अन्य व्यक्ति द्वारा विकसित की गई किस्म के विकास के लिए किसान नई या पुरानी किस्म का प्रयोग स्रोत सामग्री के रूप में करता है तो किसानों से इसके व्यवसाय से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है.
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