अग्रोनोमोई के बारे में जान‍िए सबकुछ, 2300 साल पहले ज‍िसके हाथ में होती थी भारत की कृषि व्यवस्था!

अग्रोनोमोई के बारे में जान‍िए सबकुछ, 2300 साल पहले ज‍िसके हाथ में होती थी भारत की कृषि व्यवस्था!

अग्रोनोमोई था भारत का पहला कृषि अधिकारी! 2300 साल पहले इसी के पास था किसान कल्याण का काम. प्रचीन भारत के बारे में जानकारी देने वाली किताब `इंडिका ` के रचनाकार और चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी दूत मेगस्थनीज के अनुसार, अग्रोनोमोई जनपद या जिले के अधिकारी होते थे. इनका काम विभिन्न विभागों के माध्यम से जिले का शासन चलाना था.  

क्या है अग्रोनोमोई?क्या है अग्रोनोमोई?
अनुज खरे
  • New Delhi ,
  • Feb 09, 2025,
  • Updated Feb 09, 2025, 10:35 AM IST

प्राचीन भारत में शासन और प्रशासन की व्यवस्था अत्यंत विकसित और व्यवस्थित थी. ईसा पूर्व 321-297 में चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में प्रशासनिक ढांचे का विस्तार और केंद्र से गांवों तक की प्रशासनिक सुव्यवस्था देखने को मिलती है. यूनानी लेखक मेगस्थानीज़ और स्त्रावो के अनुसार, इस काल में अग्रोनोमोई नामक अधिकारी कृषि और जल प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों का निरीक्षण करते थे. इन अधिकारियों को भारत के पहले कृषि अधिकारी के रूप में माना जा सकता है.

प्रचीन भारत के बारे में जानकारी देने वाली किताब `इंडिका ` के रचनाकार और चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी दूत मेगस्थनीज के अनुसार, अग्रोनोमोई जनपद या जिले के अधिकारी होते थे. इनका काम विभिन्न विभागों के माध्यम से जिले का शासन चलाना था. इन विभागों में भूमि तथा सिंचाई, कृषि, वन, काष्ठ-उद्योग, धातु शालाएं, खानें और सड़कों का निर्माण और प्रबंधन शामिल था. उनकी मदद के लिए अलग-अलग पदाधिकारी हुआ करते थे.

क्या था मौर्यों की प्रशासनिक हायरार्की

मौर्य प्रशासन संरचना में राजधानी पाटलीपुत्र में विभिन्न विभाग होते थे. जिनके अध्यक्ष मंत्रियों या महामात्यों के निरीक्षण में काम करते थे. केंद्रीय महामात्य और अध्यक्षों के अधीन निम्न स्तर के कर्मचारी होते थे, जिन्हें 'युक्त' और 'उपयुक्त' कहा जाता था, जो केंद्र और स्थानीय शासन के बीच संपर्क बनाए रखते थे.

राज्य प्रांतों में विभाजित था. प्रांत या प्रदेश विषयपति के अधीन थे. जबकि प्रांत के नीचे स्थानिक इकाई होती थी. स्थानिक को आज के जिले जैसा माना जा सकता है. इसका प्रशासक स्थानिक होता था जिसे आधुनिक कलेक्टर के सामान माना जा सकता है. इसके आधीन गोप होते थे, जो दस गांवों पर शासन करते थे.

मौर्यकालीन इस व्यवस्था में में अग्रोनोमोई के कार्यों में केंद्र और स्थानीय शासन के बीच संपर्क बनाए रखना प्रमुख था. आइए, विस्तार से जानते हैं 2300 ईसा पूर्व के इस पहले कृषि अधिकारी के कार्यों, उसकी प्रशासनिक व्यवस्था में भूमिका और उसके महत्व के बारे में... 

सबसे पहले जानते हैं कौन थे अग्रोनोमोई?

अग्रोनोमोई चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में कृषि और जल प्रबंधन से जुड़े अधिकारी थे. यूनानी लेखकों के अनुसार, इन अधिकारियों का मुख्य कार्य नदियों, जलाशयों, नहरों और भूमि की देखभाल करना था, ताकि लोगों को पानी की उचित आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। इन अधिकारियों की पहचान कौटिल्य के  अर्थशास्त्र में वर्णित 'अध्यक्ष' और अशोक के कई शिलालेखों में उल्लेखित 'राजुक' नाम के पद से की जाती है.

क्या थे अग्रोनोमोई के प्रमुख कार्य?  

  • जल प्रबंधन और सिंचाई व्यवस्था देखना. इसके प्रमुख कार्यों में शामिल था. 
  • अग्रोनोमोई का सबसे महत्वपूर्ण कार्य नदियों, नहरों और जलाशयों की देखभाल करना था.  
  • वे यह सुनिश्चित करते थे कि सिंचाई के लिए पानी की उचित व्यवस्था हो और किसानों को उनकी फसलों के लिए पर्याप्त जल मिले.
  • नहरों और जलाशयों का निरीक्षण करना और उनकी मरम्मत करवाना भी उनके कर्तव्यों में शामिल था.

भूमि का सर्वे और कर वसूली  

  • अग्रोनोमोई भूमि का सर्वे करते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि भूमि का सही उपयोग हो.  
  • वे कृषि भूमि से कर वसूलने का कार्य भी करते थे। इसके लिए वे भूमि की उत्पादकता और किसानों की आय का आकलन करते थे.  
  • भूमि के स्वामित्व से जुड़े विवादों का निपटारा करना भी उनके कर्तव्यों में शामिल था.

शिकारियों पर नियंत्रण

अग्रोनोमोई शिकारियों पर नियंत्रण रखते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि वन्यजीवों का अत्यधिक शोषण न किया जा सके. वे शिकार के नियमों का पालन करवाते थे और उल्लंघन करने वालों को दंडित करते थे.

सार्वजनिक सड़कों और पिलर्स का निर्माण

अग्रोनोमोई सार्वजनिक सड़कों के निर्माण और रखरखाव का निरीक्षण करते थे. वे दस-दस स्टेडिया (लगभग 1.8 किलोमीटर) की दूरी पर स्तम्भ या पिलर्स लगवाते थे, जो यात्रियों के लिए दूरी का संकेत देते थे.

पुरस्कार और दंड का अधिकार

'अग्रोनोमोई को लोगों को पुरस्कृत और दंडित करने का अधिकार था.वे किसानों और श्रमिकों को उनके अच्छे कार्यों के लिए पुरस्कृत करते थे, जबकि नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंड देते थे.  

अग्रोनोमोई का महत्व

  • कृषि और अर्थव्यवस्था का आधार  
  • अग्रोनोमोई की भूमिका कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण थी. उनके प्रयासों से सिंचाई व्यवस्था सुचारू रूप से काम करती थी, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ता था.  
  • भूमि के सर्वे और कर वसूली से राज्य की आय में वृद्धि होती थी.  

जनकल्याण और सामाजिक न्याय

  • अग्रोनोमोई का कार्य जनकल्याण से जुड़ा था। वे यह सुनिश्चित करते थे कि सभी लोगों को पानी और अन्य संसाधनों की उचित आपूर्ति सुनिश्चित हो.  
  • भूमि विवादों का निपटारा करके वे सामाजिक न्याय को बढ़ावा देते थे.
  • पर्यावरण संरक्षण
  • शिकारियों पर नियंत्रण और वन्यजीवों के संरक्षण के माध्यम से अग्रोनोमोई पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देते थे.  
  • अवसंरचना का विकास
  • सार्वजनिक सड़कों और स्तम्भों के निर्माण से यातायात और व्यापार को बढ़ावा मिलता था.  

कौटिल्य के अर्थशास्त्र और अशोक के शिलालेखों में इनके बारे में चर्चा है. अग्रोनोमोई की भूमिका को कौटिल्य के  अर्थशास्त्र में वर्णित 'अध्यक्ष' और अशोक के शिलालेखों में उल्लेखित 'राजुक' से जोड़ा जाता है. इन दोनों अधिकारियों के कार्य इस प्रकार हैं.  
अध्यक्ष: कौटिल्य के अनुसार, अध्यक्ष विभिन्न विभागों के प्रमुख होते थे और उनका कार्य प्रशासनिक निरीक्षण करना था.  
राजुक: अशोक के शिलालेखों में राजुक का उल्लेख है, जो स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी थे और जनता की समस्याओं का समाधान करते थे.  

अग्रोनोमोई तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अधिकारी था 

चन्द्रगुप्त मौर्य के समय के अग्रोनोमोई भारत के पहले कृषि अधिकारी थे, जिन्होंने कृषि, जल प्रबंधन और सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी भूमिका न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाने में सहायक थी, बल्कि जनकल्याण और पर्यावरण संरक्षण में भी उनका योगदान उल्लेखनीय था. आधुनिक कृषि और प्रशासनिक व्यवस्था में अग्रोनोमोई के सिद्धांतों से प्रेरणा ली जा सकती है. 

चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में अग्रोनोमोई की भूमिका यह दर्शाती है कि प्राचीन भारत में प्रशासनिक व्यवस्था कितनी विकसित और लोक कल्याणकारी थी. कृषि और जल प्रबंधन के क्षेत्र में सही नीतियों और प्रशासनिक नियंत्रण से समृद्धि और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में इस अधिकारी का बहुत महत्व था. 

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