Kisan Diwas 2025: क्यों मनाया जाता है किसान दिवस? जानें पूरी कहानी

Kisan Diwas 2025: क्यों मनाया जाता है किसान दिवस? जानें पूरी कहानी

वैसे तो इस देश में किसानों की आवाज उठाने वाले कई बड़े नेता हुए, लेकिन किसान अपना मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को मानते हैं. चौधरी चरण सिंह भले ही देश के प्रधानमंत्री के पद पर रहे हों, लेकिन आज भी उनको लोग किसानों के नेता और मसीहा के तौर पर याद करते हैं.

किसान दिवसकिसान दिवस
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Dec 23, 2025,
  • Updated Dec 23, 2025, 6:00 AM IST

भारत की एक बहुत बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और हम किसानों पर. वैसे तो इस देश में किसानों की आवाज उठाने वाले कई बड़े नेता हुए, लेकिन किसान अपना मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को मानते हैं. चौधरी चरण सिंह भले ही देश के प्रधानमंत्री के पद पर रहे हों, लेकिन आज भी उनको लोग किसानों के नेता और मसीहा के तौर पर याद करते हैं. इसीलिए 23 दिसंबर को हर साल उनके जन्मदिन के दिन किसान दिवस मनाया जाता है. दरअसल, किसानों को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. किसानों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए देश हर साल 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाता है. आइए जानते हैं आखिर क्यों मनाया जाता है किसान दिवस?

क्यों मनाया जाता है किसान दिवस

देश में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है. ये दिन देश के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था. वह 1979-1980 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे और देश में कई किसानों के हित में योगदान दिया. दरअसल, किसान दिवस की शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी. उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. चौधरी चरण सिंह को भारतीय राजनीति में किसानों के सशक्त प्रतिनिधि और ग्रामीण भारत की आवाज़ माना जाता है. उनका पूरा राजनीतिक जीवन किसान, खेतिहर मजदूर और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान को समर्पित रहा.

"किसान खुश नहीं तो देश खुश नहीं"

चौधरी चरण सिंह का ये मानना था कि भारत में तब तक खुशहाली नहीं आ सकती, जब तक यहां का किसान खुशहाल न हो. यही वजह है कि उन्होंने देश की नीतियों में खेती-किसानों को केंद्र में रखा. वे हमेशा इस बात पर अडिग रहे कि किसानों को उनकी उपज का उचित लाभ मिले. आज भी यह मांग उतनी ही शिद्दत से उठाई जाती है. यही वजह है कि हालिया समय में किसान दिवस और चौधरी चरण सिंह की राजनीति और भी प्रासंगिक हो गई है.

पूर्व पीएम के जीवन की कहानी

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह बीएससी और लॉ ग्रेजुएट थे. उन्होंने आगरा से अपनी पढ़ाई की थी. परिवारवाद का विरोध करने वाले चरण सिंह जातिवाद के भी खिलाफ थे. पढ़ाई के दौरान उनके साथ कई ऐसी घटना हुई जिसके चलते उनका बहिष्कार किया गया. हालात ये थे कि हॉस्टल की मेस में पूरे एक महीने उन्हें खाना तक नहीं मिला. बावजूद इसके चौधरी चरण सिंह अपने विचार और फैसले पर कायम रहे. हमारे देश के किसानों के लिए उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए उन्हें सराहा जाता है.

भारत में किसानों का योगदान

भारत दुनिया की आज की तारीख में चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का सबसे अधिक योगदान होता है, क्योंकि देश में जाने वाले जितने भी नागरिक हैं, उन्हें भोजन की खाद्य सामग्री कृषि के कामों से ही प्राप्त होती है. ऐसे में अगर किसी भी देश में किसान ना हो तो उस देश के नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा और साथ में देश की अर्थव्यवस्था भी काफी नीचे चली जाएगी. भारत आज दुनिया का एक उभरता हुआ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है, जहां 60 फीसदी से अधिक जनसंख्या खेती-किसानी करती है.

किसान दिवस का क्या है महत्व

राष्ट्रीय किसान दिवस का मकसद भारतीय किसानों के योगदान को मान्यता देना और उनके जीवन में सुधार के लिए प्रयास करना है. इस दिन देशभर में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें किसानों को नई तकनीकों और योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है. यह दिन किसानों को अपनी चुनौतियों और लक्ष्यों पर चर्चा करने का अवसर देता है. साथ ही यह किसानों के संघर्षों को समझने और उनके समाधान खोजने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. आधुनिक विज्ञान और तकनीकों के उपयोग से किसानों को उनकी उत्पादकता बढ़ाने में सहायता देने में इस दिन का एक प्रमुख उद्देश्य है.

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