
आपने खेजड़ी का नाम सुना होगा. खेजड़ी के नाम से भले ही परिचित न हों, लेकिन शमी का नाम जरूर जानते होंगे. वही शमी का पेड़ जिसकी पूजा होती है. तभी इसे थार का कल्पवृक्ष भी कहते हैं. अब आप इसे जरूर जान गए होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि खेजड़ी और उससे निकलने वाली सांगरी कई मायनों में लाभदायक है. यहां तक कि स्वास्थ्य के साथ-साथ कमाई के लिहाज से भी इसका बहुत नाम और काम है. आइए, खेजड़ी और सांगरी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी जान लेते हैं.
खेजड़ी का सबसे बड़ा काम पोषण देना है. खान पान में इसका इस्तेमाल कई तरह के रोग और व्याधियों से दूर रखता है. वैसे समय में जब पर्यावरण प्रदूषण हमारी सेहत को बेहद प्रभावित कर रहा है, खेजड़ी उस प्रभाव को कमतर करने में बड़ा रोल निभाता है. खेजड़ी से भले हमें सीधा पोषण न मिले, मगर अतिरिक्त पोषण में इसका बहुत बड़ा रोल हो सकता है.
रेगिस्तान या मरुस्थल के इलाके में जिस तरह से खेजड़ी और सांगरी का महत्व है, ठीक उसी तरह मोरिंगा भी एक चमत्कारी पेड़ है. सांगरी और खेजड़ी की तरह मोरिंगा भी किसानों की कमाई बढ़ाने के साथ सेहत सुधारता है. मोरिंगा का हर हिस्सा पोषण के लिए उपयोगी है. इसकी पत्तियां खनिज तत्वों, विटामिनों और अन्य जरूरी फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती हैं.
औषधीय हिसाब से देखें तो मोरिंगा अनेक गुणों से भरपूर है. यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, कैंसर रोकने वाला, मधुमेह रोकने वाला और रोगाणुओं को फैलने से रोकने वाले एजेंट के रूप में काम करता है. इन विशेषताओं के कारण मोरिंगा को सही मायनों में चमत्कारी वृक्ष कहा जाता है. इसकी पत्तियां मुख्य रूप से कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन ए, डी, सी से भरपूर होती हैं.