Khejri: खेत की मेड़ पर लगाएं ये पेड़, बढ़ेगी पैदावार और जेब में आएगी भरपूर कमाई

Khejri: खेत की मेड़ पर लगाएं ये पेड़, बढ़ेगी पैदावार और जेब में आएगी भरपूर कमाई

शमी या खेजड़ी का पेड़ सिर्फ धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि पोषण, पर्यावरण और किसानों की कमाई – तीनों के लिए वरदान है. इसकी फलियां ‘सांगरी’ से बनते हैं स्वादिष्ट पकवान और बढ़ती है खेत की उर्वरता.

Moringa FarmingMoringa Farming
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 30, 2025,
  • Updated Oct 30, 2025, 11:36 AM IST

आपने खेजड़ी का नाम सुना होगा. खेजड़ी के नाम से भले ही परिचित न हों, लेकिन शमी का नाम जरूर जानते होंगे. वही शमी का पेड़ जिसकी पूजा होती है. तभी इसे थार का कल्पवृक्ष भी कहते हैं. अब आप इसे जरूर जान गए होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि खेजड़ी और उससे निकलने वाली सांगरी कई मायनों में लाभदायक है. यहां तक कि स्वास्थ्य के साथ-साथ कमाई के लिहाज से भी इसका बहुत नाम और काम है. आइए, खेजड़ी और सांगरी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी जान लेते हैं.

खेजड़ी का सबसे बड़ा काम पोषण देना है. खान पान में इसका इस्तेमाल कई तरह के रोग और व्याधियों से दूर रखता है. वैसे समय में जब पर्यावरण प्रदूषण हमारी सेहत को बेहद प्रभावित कर रहा है, खेजड़ी उस प्रभाव को कमतर करने में बड़ा रोल निभाता है. खेजड़ी से भले हमें सीधा पोषण न मिले, मगर अतिरिक्त पोषण में इसका बहुत बड़ा रोल हो सकता है.

सेहत और कमाई से भरपूर खेजड़ी

  • खेजड़ी सूखे क्षेत्र जैसे कि मरुस्थल का अहम वृक्ष है. इसका पूरा हिस्सा मनुष्य और पशुओं के लिए लाभदायक है. खेजड़ी से निकलने वाली कच्ची सांगरी में प्रोटीन औसतन 8 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 58 प्रतिशत, फाइबर 28 प्रतिशत, वसा 2 प्रतिशत, कैल्शियम 0.4 प्रतिशत और आयरन 0.2 प्रतिशत पाया जाता है. 
  • इसी तरह खेजड़ी की पकी फली में प्रोटीन 8-15 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 40-50 प्रतिशत, फाइबर 9-21 प्रतिशत और शर्करा 8-15 प्रतिशत पाया जाता है. 
  • खेजड़ी की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिससे मरुस्थल के किसान बहुत लाभ हासिल करते हैं. इसी में एक प्रजाति है थार शोभा खेजड़ी जिससे प्राप्त सांगरी आय का एक मुख्य स्त्रोत है. सांगरी की कच्ची फलियां, ताजी और सूखी हुई दोनों अवस्थाओं में उपयोग में ली जाती हैं. 
  • सांगरी से आचार भी बनता है जो लंबे समय तक उपयोग में लिया जा सकता है. इसकी पकी हुई सूखी फली का पाउडर बनाया जा सकता है, जिससे बिस्कुट जैसे बेकरी आइटम तैयार की जा सकती है. अब बाजारों में खेजड़ी और सांगरी के प्रोडक्ट मिल रहे हैं जिनकी मांग बढ़ रही है. इससे किसानों की कमाई में इजाफा है.
  • खेजड़ी के बारे में एक बेहद दिलचस्प जानकारी है. एक्सपर्ट बताते हैं कि खेजड़ी के साथ जो फसल बोई जाती है उस फसल की पैदावार सामान्य से अधिक होती है. यह मिट्टी की उर्वरता क्षमता को बढ़ाता है. इस वृक्ष की फलियां स्थानीय रूप से सांगरी के रूप में जानी जाती हैं, जिसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. 

मोरिंगा भी खेजड़ी से कम नहीं

रेगिस्तान या मरुस्थल के इलाके में जिस तरह से खेजड़ी और सांगरी का महत्व है, ठीक उसी तरह मोरिंगा भी एक चमत्कारी पेड़ है. सांगरी और खेजड़ी की तरह मोरिंगा भी किसानों की कमाई बढ़ाने के साथ सेहत सुधारता है. मोरिंगा का हर हिस्सा पोषण  के लिए उपयोगी है. इसकी पत्तियां खनिज तत्वों, विटामिनों और अन्य जरूरी फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती हैं. 

औषधीय हिसाब से देखें तो मोरिंगा अनेक गुणों से भरपूर है. यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, कैंसर रोकने वाला, मधुमेह रोकने वाला और रोगाणुओं को फैलने से रोकने वाले एजेंट के रूप में काम करता है. इन विशेषताओं के कारण मोरिंगा को सही मायनों में चमत्कारी वृक्ष कहा जाता है. इसकी पत्तियां मुख्य रूप से कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन ए, डी, सी से भरपूर होती हैं.

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