
असम के कार्बी आंगलोंग क्षेत्र में कृषि के विकास और किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है. यह अहम समझौता कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) और कृषि-क्षेत्र की विशेषज्ञ कंपनी 'एर्डे एग्रो इकोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड' के बीच हुआ है. इस समझौते का मुख्य उद्देश्य 'पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप फॉर एग्रीकल्चर वैल्यू चेन डेवलपमेंट' पहल को जमीन पर उतारना है. इनमें सांसद अमर सिंग तिस्सो, मुख्य कार्यकारी सदस्य (CEM) श्तुलीराम रोंगहांग और प्रमुख सचिव मुकुल कुमार साइकिया हैं जिन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर किए. इनके साथ विभाग के सचिव इबोन तेरोन भी मौजूद थे. एर्डे एग्रो की तरफ से निदेशक सुकृत मेहता और निदेशक संजीव मसालिया ने हस्ताक्षर किए और अभिजीत भुजबल और अभिलाष अमुला ने उपस्थित रहे.
इस समझौते में विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई एक कंपनी का गठन किया गया है, जिसका नाम 'हिल एग्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (HADCL) रखा गया है. यह नई कंपनी कार्बी काउंसिल और एर्डे एग्रो के बीच एक जॉइंट वेंचर रूप में काम करेगी. इस वेंचर में एर्डे एग्रो इकोसिस्टम्स की 51% हिस्सेदारी होगी, जो परियोजना के कार्यान्वयन और विशेषज्ञता को सुनिश्चित करेगी. वहीं, कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल के पास 49% हिस्सेदारी होगी, जो यह सुनिश्चित करेगी कि परियोजना का लाभ सीधे तौर पर क्षेत्र की जनता और किसानों तक पहुंचे. यह पीपीपी मॉडल इस बात का सटीक उदाहरण है कि कैसे सरकारी निगरानी और निजी क्षेत्र की कुशलता मिलकर बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.
इस पूरी परियोजना का अहम कार्य होगा बुनियादी ढांचे का विकास. HADCL के तहत, क्षेत्र में अत्याधुनिक 'फ़ूड पार्क' और 'क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स हब' स्थापित किए जाएंगे. इन पार्कों का मुख्य उद्देश्य कृषि-औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है. किसानों के लिए इसका सीधा मतलब है कि उनकी उपज को स्टोर करने, उसकी प्रोसेसिंग करने, चिप्स, जैम, अचार बनाने और उसे सही समय पर बाजार तक पहुंचाने की सुविधा मिलेगी. लॉजिस्टिक्स हब बनने से न केवल कार्बी आंगलोंग बल्कि आसपास के क्षेत्रों के किसानों के लिए भी बाजार तक पहुंच आसान हो जाएगी. इससे उनकी उपज की बर्बादी कम होगी और उन्हें अपनी मेहनत का बेहतर दाम मिल सकेगा.
यह पहल सिर्फ बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा फायदा किसानों को व्यक्तिगत स्तर पर भी मिलेगा. HADCL एक 'फार्मर स्कीम सपोर्ट सेल' की स्थापना करेगा. यह सेल एक सलाहकार केंद्र की तरह काम करेगा, जो किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कृषि योजनाओं और सब्सिडी जैसे कि बीज, खाद या मशीनरी पर छूट का लाभ उठाने में मदद करेगा.
अक्सर जानकारी के अभाव में किसान इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते, यह सेल उस कमी को पूरा करेगा. इसके अतिरिक्त, किसानों को अप्रत्याशित जोखिमों से बचाने के लिए एक इवेंट-बेस्ड क्रॉप की अभिनव व्यवस्था भी शुरू की जाएगी. यह पारंपरिक बीमा से अलग होगा और किसानों को जलवायु परिवर्तन, असमय बारिश, सूखा या अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण होने वाले फसल नुकसान से वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा.
इस पूरी परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य 10,000 से अधिक किसानों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाना है. यह लाभ केवल एक बार की मदद नहीं होगी, बल्कि उनकी आय में स्थायी वृद्धि, आधुनिक कृषि के लिए बेहतर प्रशिक्षण और नई सेवाओं तक पहुंच के रूप में होगा. लेकिन इस योजना का दृष्टिकोण सिर्फ कार्बी आंगलोंग तक सीमित नहीं है. इस परियोजना के तहत कार्बी में एक 'सेंट्रल हब' स्थापित किया जाएगा. यह हब एक मॉडल के रूप में काम करेगा और इसका अनुभव और सेवाएं पांच अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों तक पहुंचाई जाएंगी.
इसका मतलब है कि यह पहल भविष्य में पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों के एक बड़े समुदाय तक अपना लाभ पहुंचाएगी और इस क्षेत्र की कृषि-अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगी.