मुजफ्फरपुर (बिहार) की शाही लीची से देश भली-भांति परिचित है. अब देश को जर्दालू या जर्दा आम से परिचित होने की बारी की है. बिहार पोस्टल सर्कल ने बिहार सरकार के बागवानी विभाग के सहयोग से शाही लीची और जर्दालू आम को उचित पैकिंग में लोगों के दरवाजे तक सुरक्षित रूप से पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है. इससे दो फायदे होंगे. सबसे पहले आम और लीची प्रेमियों को घर बैठे उनका पसंदीदा फल मिलेगा. वहीं दूसरी तरफ आम और लीची की मांग में भी बढ़त होगी. आपको बता दें जर्दा आम बिहार के चंपारण में खास तौर पर उगाया जाता है. जिस वजह चंपारण को भी नई पहचान मिलती नजर आ रही है.
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को जर्दालू आम बहुत पसंद है और वे इसका भरपूर सेवन करते हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर जर्दालु आम की डिमांड बढ़ने लगी है और देशभर में लोग इसके बारे में जानने लगे हैं.
यह अपने अनोखे स्वाद, मिठास और सुगंध के लिए जाना जाता है. इसे भारत में आम की सबसे अच्छी किस्मों में से एक माना जाता है. बिहार के इस जर्दालु आम की पहचान राष्ट्रीय पटल पर भी है. जर्दालु आम को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार वर्ष 2007 से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के राज्यपालों और एलजी को उपहार के रूप में जर्दालु आम भेजती है. जिसके कारण इसे एक विशेष पहचान भी मिली है. आपको बता दें कि हर साल आम की कटाई के बाद इसे सबसे पहले दिल्ली भेजा जाता है.
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जर्दालु आम आमतौर पर जून और जुलाई के महीने में तोड़े जाते हैं. इस आम का छिलका बहुत पतला होता है और इसका आकार अंडाकार होता है. जिसके कारण इसे छीलना आसान होता है. जर्दालु आम का गूदा नरम, रसदार और फाइबर रहित होता है. इसे ताजा खाया जाता है या आम का रस, स्मूदी और अन्य मिठाइयां बनाने में उपयोग किया जाता है.
इस आम का वजन करीब 250-300 ग्राम है. आम का छिलका पतला होता है और इसका रंग हरा-पीला होता है, जो फल पकने पर सुनहरे पीले रंग में बदल जाता है. अपने स्वादिष्ट स्वाद के अलावा, जर्दालू आम विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर होता है, जो इसे एक स्वस्थ और पौष्टिक फल बनाता है. इनका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है.