किसान संगठन MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर कुछ किसान संगठन के नेतृत्व में पंजाब-हरियाणा में किसान आंदोलन चल रहा है. इस बीच देश में MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म भी हो चुका है, जिसमें चर्चा का एक विषय किसान संंगठनों की MSP गारंटी कानून की मांग को जायज और गैर जायज के पहलू पर भी तौला गया है. आइए इसी कड़ी में किसानों की MSP गारंटी कानून की मांग कितनी सही है, इसे विस्तार से समझने की काेशिश करते हैं, जिसकी शुरुआत करेंगे एक कहानी से और बात करेंगे इसके वैधानिक पहलू की!
पिछले कुछ सालों में ब्रेड की खपत भारत में बढ़ी है. ब्रेड ने भारतीयों के ब्रेकफॉस्ट के तौर पर मजबूत जगह बनाई है. ये ब्रेड आटा, मैदा,मोटे अनाज से बनता है. मसलन, ब्रेड बनाने में गेहूं की भूमिका सबसे अहम है. देश-दुनिया की बड़ी कंपनियां ब्रेड की बिक्री करती हैं, जिसे वह MRP यानी अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचती हैं.
MRP ही ब्रेड का बाजार भाव है. हालांकि दुकानदार कुछ छूट के साथ MRP से नीचे ब्रेड की बिक्री कर देता है, लेकिन MRP उस ब्रेड का बाजार भाव है, लेकिन ब्रेड के लिए जरूरी गेहूं के साथ ये नहीं होता है, जबकि गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर होती है.
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बेशक गेहूं की सरकारी खरीदी MSP पर होती है, लेकिन खुले बाजार में गेहूं के दाम मांग और आपूर्ति के गणित पर निर्भर करते हैं. मसलन, कई बार किसानों काे MSP से कम दाम मिलते हैं. हालांकि गेहूं और धान के दामों के हालात थोड़ा ठीक हैं, लेकिन सरसों, सोयाबीन समेत अन्य फसलों के दाम किसानों को MSP से कम मिलते हैं. यहीं से शुरू होती है, MSP गारंटी कानून की कहानी, जिसमें किसान चाहते हैं कि सरकार MSP गारंटी कानून बना दे. इसके बनने से फसलों की बाजार में खरीद MSP से कम भाव में नहीं होगी.
ब्रेड की कहानी के बाद MSP गारंटी कानून की मांग कितनी कानूनी है, इस पर कर लेते हैं. असल में देश के अंदर 23 फसलों की MSP घोषित हाेती है. CACP की सिफारिश पर केंद्रीय कैबिनेट 23 फसलों की MSP प्रत्येक साल जारी करती है. यानी की देश की अंदर फसलों की MSP पर आदेश निर्वाचित सरकार की कैबिनेट की तरफ से जारी किया जाता है, जो संसद के बाद देश में फैसले लेने वाली दूसरी सर्वोच्च इकाई है. इस सिक्के के दूसरे पहले की बात करें तो देश में MSP से कम दाम में फसलों की खरीद को कैबिनेट के फैसले की अवहेलना के तौर पर लिया जा सकता है. सीधी बात MSP की व्यवस्था एक सरकारी आदेश है. ऐसे में MSP गारंटी कानून की मांग को गैर जायज नहीं ठहराया जा सकता है.
MSP गारंटी कानून की मांग कितनी वैधानिक है, इस पूरे मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट पीटीशन 55112, 2000 वीएम सिंह बनान यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर के फैसले से समझा जा सकता है.
इस फैसले की जानकारी देते हुए MSP गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि MSP गारंटी कानून की मांग बहुत पुरानी है. इसी कड़ी में उनके नेतृत्व में किसानों ने यूपी में साल 2000 में आंदोलन भी किया था. साथ ही वह बताते हैं कि बाद में वह MSP पर धान की खरीदी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट गए थे, जिसमें किसानों को जीत मिली थी.
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मसलन, हाईकोर्ट ने अपने आदेश में MSP पर 20 साल तक धान तुलवाया. वीएम सिंह बताते हैं कि पहले हाईकोर्ट ने मंडी खुलवाई, फिर गाइडलाइंस निकाली गई है. हाईकोर्ट की MSP पर धान खरीदी की निगरानी करवाई. इसके लिए मुख्य खाद्य सचिव को प्रभारी बनाया गया. वह कहते हैं कि MSP गारंटी कानून की मांग बिलकुल जायज है, जो देश के प्र्त्येक किसानों से जुड़ी हुई है. ऐसे में जरूरी है कि किसानों की इस मांग पर सरकार जल्द फैसला ले.