मसालों पर संग्राम...सावधान! खतरे में भारतीय मसालों की पहचान, दुनिया के कई देश हलकान 

मसालों पर संग्राम...सावधान! खतरे में भारतीय मसालों की पहचान, दुनिया के कई देश हलकान 

सिंगापुर और हांगकांग से पहले अमेरिका ने एमएडीएच मसाले की 31 फीसदी एक्‍सपोर्ट शिपमेंट को लौटा दिया था.

हांगकांग और सिंगापुर में कुछ ब्रांड के भारतीय मसालों पर प्रतिबंध के बाद भारत में अलर्ट
मनोज भट्ट
  • Noida ,
  • May 02, 2024,
  • Updated May 03, 2024, 10:39 AM IST

भारत में अंग्रेजी सल्‍तनत का सितारा मसालों की वजह से ही चमका. ईस्‍ट इंडिया कंपनी मसालों के लिए भारत आई थी. फिर ईस्‍ट इंंडिया कंपनी के सहारे ब्रिटिश सत्‍लनत ने भारत पर पैर जमाए. कुल जमा आधुनिक भारत में ईस्‍ट इंडिया कंपनी ने ही भारतीय मसालाें को वैश्‍विक पहचान दिलाई. ये भारतीय मसालों पर संग्राम की आधुनिक कहानी है. इसी तरह बीते कुछ महीनों में भारतीय मसालों पर नया संग्राम छिड़ा हुआ है.

दुनिया के कई देशों में भारतीय मसालों की पहचान पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, जिसको लेकर भारत में अलर्ट के हालात हैं ताे वहीं किसानों को सावधान रहने की जरूरत है. आइए इसी कड में मसालों पर संग्राम की वजह से दुनिया के कई देशों में खतरे में भारतीय मसालों की पहचान  की पूरी कहानी समझते हैं. 

भारतीय मसालों के विदेशी साम्राज्‍य पर बात

दुनिया के कई देशों में भारतीय मसालों की पहचान पर संकट मंडराया हुआ है. इस कहानी पर विस्‍तार से पहले भारतीय मसालों के विदेशी साम्राज्‍य पर बात कर लेते हैं. असल में भारत दुनिया का अग्रणी मसाला एक्‍सपोर्टर है. साल 2022-23 में भारत से 1,404,357 टन मसालों का एक्‍सपोर्ट किया गया, जिसका बाजार भाव 3.95 बिलियन डॉलर था. इसी तरह 2023-24 में भारत ने 692.5 मिलियन डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात किया.

MDH और एवरेस्‍ट के मसालों पर हांंगकांग और सिंगापुर में प्रतिबंध

हांगकांग और सिंगापुर ने भारत के अग्रणी मसाला कंपनी MDH और एवरेस्‍ट के कुछ मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया है. दोनों ही देशों ने मसालों में कीटनाशी एथिलीन ऑक्‍साइड (ETO) की मात्रा तय मानक से अधिक होने का हवाला देते हुए इसे मानव उपयोग के लिए अनुपयोगी बताया था. 

अमेरिका ने 31 फीसदी शिपमेंट लौटाई

वहीं सिंगापुर और हांगकांग से पहले अमेरिका ने एमएडीएच मसाले की 31 फीसदी एक्‍सपोर्ट शिपमेंट को लौटा दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीते साल एमडीएच की तरफ से भेजी गई मसालों की 31 फीसदी शिपमेंट को अमेरिका ने वापस लौटा दिया था, जो 6 महीने की अवधि के दौरान लौटाई गई थी. अमेरिका ने मसालों की इस खेप में साल्मोनेला की मात्रा होने का हवाला देते हुए इसे वापस लौटा दिया था, जो एक कीटनाशी होता है. 

एथिलिन ऑक्‍साइड और साल्‍मोनेला से क्‍या नुकसान 

एथिलीन ऑक्‍साइड एक मानव निर्मित केमिकल है, जो जलन पैदा करने वाली गैस है. जिसका प्रयोग कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. वहीं इससे होने वाले नुकसान की बात करें तो तय मात्रा से अधिक होने पर यह कैंसर का कारण भी बन सकती है. इसके साथ ही एथिलीन ऑक्‍साइड के संपर्क में आने से सिरदर्द, जी मचलाना, आंखों और त्‍वचा में जलन, ब्राेंकाइटिस और पुलमोनरी एडिमा का खतर बढ़ जाता है, जबकि एथिलीन ऑक्‍साइड की अधिक मात्रा ब्रेन और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

वहीं मसालों के एथिलीन ऑक्‍साइड में इसके प्रयोग की बात करें तो कीड़ाें से मुक्‍त करने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. इसी तरह साल्‍मोनेला भी एक कीटनाशक है. तय मात्रा से अधिक प्रयोग पर साल्‍मोनेला टाइफाइड का कारण बन सकता है. 

मसालों पर प्रतिबंध से भारत को कितना नुकसान

हांगकांग और सिंंगापुर ने एमडीएच और इवरेट के कुछ मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी तरह अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया में भारतीय मसालों पर प्रतिबंध विचारधीन है. अगर इसी तरह चीन और यूरोपियन यूनियन में भी फैसले लिए जाते हैं तो विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के 50 फीसदी से अधिक मसाला एक्‍सपोर्ट पर असर पड़ेगा.

मसाला बोर्ड की नई गाइडलाइंस 

हांगकांग और सिंगापुर की तरफ से कुछ ब्रांड के भारतीय मसालों पर लगाए गए प्रतिबंध के मामले का भारतीय मसाला बोर्ड ने संज्ञान लिया है, जिसके बाद बोर्ड ने मसाल एक्‍सपोर्टर के लिए एक नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें मसालों में एथिलीन ऑक्‍साइड को प्रतिबंधि किया गया है. इसके साथ ही बोर्ड ने पैंकिजिंग के साथ मसालों की कीटनाशक मुक्‍त करने के लिए भी कई तरह के निर्देश एक्‍सपोर्टरों को दिए हैं.

किसानों के लिए क्‍या सलाह

बोर्ड ने मसाला एक्‍सपोर्टर के लिए सलाह जारी की है, लेकिन कई एक्‍सपर्ट मानते हैं कि इस मामले में किसानों को भी आवश्‍यक सावधानी बरतने की जरूरत है. विशेषज्ञों का कहना है कि कई किसान मसालों की तुड़ाई के बाद एथिलीन ऑक्‍साइड का प्रयोग उन्‍हें कीट मुक्‍त करने के लिए करते हैं. ऐसे में अगर पैकैजिंंग के समय दोबारा प्रयोग होने से एथिलीन ऑक्‍साइड की मात्रा बढ़ जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरीके के हालात बने हैं. उसमें जो किसान बिना एथिलीन ऑक्‍साइड वाली फसल कंपनियों को देंगे, उन्‍हें बेहतर दाम  मिल सकता है. क्‍योंकि भारत को अब मसालों के अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में सशक्‍त वापसी की जरूरत है, जिसमें किसानों की भूमिका अहम हो सकती है. 

 

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