सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने कहा है कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, खासकर ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते संघर्ष के चलते खाद्य तेल की कीमतों में तेज उछाल आया है और आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर असर पड़ रहा है. SEA अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने अपने मासिक पत्र में कहा कि यह स्थिति भारत में भी घरेलू बाजारों को प्रभावित कर रही है, भले ही सरकार ने राहत के रूप में आयात शुल्क में कटौती की हो. उन्होंने बताया कि पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव से वैश्विक ऊर्जा बाजार में अनिश्चितता फैली है, जिससे ऊर्जा-आधारित उद्योग और आपूर्ति तंत्र पर दबाव बढ़ा है. इसका असर खाद्य तेल जैसे संवेदनशील उत्पादों पर भी देखने को मिला है. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार और गुजरात सरकार से कांडला पोर्ट पर रुके जहाजों के बढ़ते वेटिंग टाइम को लेकर भी कदम उठाने की मांग की है.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्थाना ने जानकारी दी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में सिर्फ एक सप्ताह में 40 से 50 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि भारतीय बाज़ार ने पहले आयात शुल्क में कटौती के बाद थोड़ा संतुलन बनाया था, लेकिन वैश्विक कीमतों में बढ़त के चलते घरेलू दरें दोबारा चढ़ गई हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा क्रूड और रिफाइंड तेलों के बीच आयात शुल्क में अंतर को बढ़ाकर 19.25% किए जाने के निर्णय का स्वागत किया. पहले यह अंतर 8.25% था.
अस्थाना ने बताया कि यह कदम रिफाइंड पामोलिन के सस्ते आयात को हतोत्साहित करेगा और इससे कच्चे पाम ऑयल की मांग बढ़ेगी, जिससे घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को मजबूती मिलेगी. यह नीति कुल आयात मात्रा को प्रभावित नहीं करती, लेकिन मूल्यवर्धन को बढ़ावा देती है. SEA अध्यक्ष ने कांडला बंदरगाह की स्थिति पर भी चिंता जताई, जहां बड़ी संख्या में खाद्य तेल ले जाने वाले जहाज लाइन में लगे हैं.
उन्होंने बताया कि 16 जून तक दो जहाज (45,000 टन) तेल उतार रहे थे, जबकि आठ जहाज (1.57 लाख टन) डॉक पर आने के इंतज़ार में थे. अगले कुछ दिनों में पांच और जहाज (1.59 लाख टन) पहुंचने वाले हैं, और इनका वेटिंग टाइम 9-10 दिन तक हो गया है. संभावना है कि यह समय 15–20 दिन तक बढ़ सकता है.
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह देरी बनी रही, तो स्थानीय बाजारों में खाद्य तेल की उपलब्धता पर असर पड़ेगा और इससे कीमतों में और उछाल आ सकता है. इस परिस्थिति को देखते हुए SEA ने भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय, गुजरात सरकार और कांडला पोर्ट अथॉरिटी से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि भीड़ कम हो सके और तेल की आपूर्ति सामान्य रूप से जारी रह सके.