Pulses Production: 2034 तक कितना बढ़ेगा भारत का दलहन उत्‍पादन? रिपोर्ट में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

Pulses Production: 2034 तक कितना बढ़ेगा भारत का दलहन उत्‍पादन? रिपोर्ट में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

Agricultural Outlook 2025–2034: 2034 तक वैश्विक दाल व्यापार और खपत दोनों में इजाफा होगा. भारत की भूमिका प्रमुख रहेगी, जबकि कनाडा सबसे बड़ा निर्यातक बना रहेगा. कीमतों में मामूली उतार-चढ़ाव की संभावना जताई गई है.

pulses Production estimate 2025 to 2034pulses Production estimate 2025 to 2034
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 23, 2025,
  • Updated Jul 23, 2025, 6:19 PM IST

भारत के कृषि क्षेत्र को लेकर एक अहम अनुमान सामने आया है. हाल ही OECD-FAO ने अपनी Agricultural Outlook 2025–2034 रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 10 सालों में भारत में दालों का उत्पादन लगभग 8 मिलियन टन यानी 80 लाख टन तक बढ़ सकता है. फिलहाल भारत में सालाना दाल उत्पादन 252 लाख टन से ज्‍यादा है और देश पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक है.

कैसे बढ़ेगा दलहन उत्‍पादन?

बिजनेसलाइन की रिपेार्ट के मुताबिक, OECD-FAO ने अपनी Agricultural Outlook 2025–2034 रिपोर्ट में कहा है कि उत्पादन में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से दो वजहों से हो सकती है. इसमें भूमि उपयोग की तीव्रता (Land Use Intensification) यानी अधिक क्षेत्र में दालों की खेती और उत्पादकता में निरंतर सुधार (Sustained Yield Improvements) यानी बेहतर किस्मों और तकनीकों की मदद से अधिक उपज की वजह से यह बढ़ोतरी का अनुमान संभव नजर आ रहा है. 

इंटरक्रॉपिंग निभाएगी बड़ी भूमिका!

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्पादन में बढ़ोतरी का आधा हिस्सा भूमि उपयोग के विस्तार से और शेष आधा उपज में सुधार से आएगा. इसमें खास योगदान इंटरक्रॉपिंग यानी अनाज और दालों की मिश्रित खेती का रहेगा, जो खासकर छोटे किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है.

भारत में सरकार ने दाल उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. जैसे- हाइब्रिड बीजों का विकास और प्रचार, मशीनों का उपयोग बढ़ाने की पहल, MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के जरिए किसानों की आय स्थिर रखने की कोशिश और सरकारी खरीद कार्यक्रमों में दालों को शामिल करना. हालांकि, इनकी पहुंच अभी गेहूं-चावल जैसी व्यापक नहीं है.

2024 तक इतनी बढ़ जाएगी दालों की सप्‍लाई

2034 तक वैश्विक स्तर पर दालों की आपूर्ति में 260 लाख टन की बढ़त की संभावना है, जिसमें 40% योगदान एशिया से होगा. इसमें भी खासकर यह योगदान भारत से होगा. इसके अलावा वैश्विक मांग में भी बढ़ोतरी होगी और प्रति व्यक्ति सालाना खपत औसतन 8.6 किलोग्राम तक पहुंच सकती है.

व्यापार और कीमतों की कैसी रहेगी चाल ?

दुनियाभर में दालों का व्यापार 10 वर्षों में 140 लाख टन से बढ़कर 200 लाख टन हो गया है और 2034 तक यह 230 लाख मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है. इस दौरान कनाडा इस व्यापार का सबसे बड़ा निर्यातक बना रहेगा, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया और रूस का स्थान होगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में कीमतों में थोड़ी गिरावट आ सकती है, लेकिन इसके बाद अगले दशक में नाममात्र वृद्धि देखने को मिलेगी. हालांकि वास्तविक कीमतों में गिरावट की उम्मीद है.

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