हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि पूरे राज्य को "आपदा प्रभावित क्षेत्र" घोषित कर दिया गया है. भारी बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से राज्य में व्यापक तबाही हुई है. राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि चंबा ज़िले में मणिमहेश यात्रा मार्ग पर फंसे 15,000 तीर्थयात्रियों में से 10,000 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है. बचाव कार्य जारी है और स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है.
मुख्यमंत्री सुखू ने कहा कि अब तक राज्य को आपदाओं से लगभग 3,560 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सबसे ज़्यादा नुकसान सड़कों, पुलों और बिजली-पानी की आपूर्ति व्यवस्था को हुआ है. उन्होंने ख़ुद हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायज़ा लिया है.
चंबा ज़िले में 25 किलोमीटर लंबा चंबा-भरमौर राष्ट्रीय राजमार्ग और चंबा-सलूणी-पादरी-जोत मार्ग खुल गया है. अब जम्मू और श्रीनगर से आने वाले मणिमहेश तीर्थयात्रियों को इसी मार्ग से आगे भेजा जा रहा है.
कुल्लू-मंडी नेशनल हाईवे को भी खोलने का काम जोरों पर चल रहा है. खेतों में फंसे किसानों की सब्जियां और फल कुल्लू रूट के माध्यम से भेजे जा रहे हैं, जिससे उन्हें नुकसान न हो.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल्लू जिले में बिजली और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से बहाल कर दिए गए हैं. लाहौल-स्पीति जिले में भी संचार सेवाएं धीरे-धीरे सुधारी जा रही हैं.
भारतीय वायुसेना ने लाहौल जिले के केलांग में राशन एयरड्रॉप किया है. इसके साथ ही एक बच्चे, एक गर्भवती महिला समेत पांच मरीजों को हवाई मार्ग से इलाज के लिए निकाला गया है.
लाहौल-रोहतांग-मनाली मार्ग को खोल दिया गया है. प्रभावित लोगों को पका हुआ खाना, सूखा राशन, कंबल और स्लीपिंग बैग दिए जा रहे हैं ताकि वे सुरक्षित रह सकें.
हिमाचल प्रदेश में आई इस भीषण प्राकृतिक आपदा ने सभी को झकझोर दिया है. लेकिन सरकार और प्रशासन राहत व बचाव कार्य में पूरी तरह से जुटे हुए हैं. मुख्यमंत्री सुक्खू ने हालात पर लगातार नजर बनाए रखी है और हर संभव सहायता पहुंचाने का भरोसा दिया है.