खरीफ सीजन जब खत्म होने लगता है और अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए हमेशा पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है. चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल की बुवाई का समय बहुत कम होता है. ऐसे में कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. इस सीजन में भी अब तक पंजाब में पराली जलाने के 90 मामले सामने आ चुके हैं. मगर राहत की बात ये है कि जब आकड़ों पर नजर डालते हैं तो पराली जलाने का ग्राफ लगातार नीचे गिरता दिख रहा है.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में 2024 में कुल 10,909 पराली जलाने की घटनाएं हुईं. वहीं साल 2023 में यह संख्या 36,663 थी, यानी सीधे 70 प्रतिशत की कमी देखी गई. मगर जब हम आंकड़ों में और पीछे जाते हैं तो ये अंतर और भी बड़ा होता दिखता है. पंजाब में साल 2022 में 49,922 कुल पराली के मामले आए थे. 2021 में ये आंकड़ा 71,304 पर था. सबसे ज्यादा 2020 में कुल 76,590 पराली जलाने की घटनाएं आईं थी.
इससे पहले 2019 में 55,210 और साल 2018 में 50,590 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं थीं. गौरतलब है कि संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में पराली जलाने की बड़ी संख्या में घटनाएं हुईं. बता दें कि खेतों में आग लगने की घटनाओं का रिकॉर्ड 15 सितम्बर से शुरू होकर, 30 नवम्बर तक जारी रहेगी.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 15 से 27 सितंबर तक 90 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, जिनमें से करीब 47 स्थलों पर फसल अवशेष जलाने का भौतिक सत्यापन किया गया है. रविवार को ही प्रदेश में पराली जलाने के 8 नये मामले सामने आए हैं. पूरे पंजाब में पराली जलाने के अब तक सबसे ज्यादा 51 मामले अमृतसर में सामने आये हैं. इसके बाद पटियाला में 10 और तरनतारन में 9 मामले सामने आए हैं.
आंकड़ों से यह भी पता चला कि खेत में आग लगने की घटनाओं के संबंध में कुल 47 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से 22 अकेले अमृतसर में दर्ज की गईं. ये मामले भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत दर्ज किए गए हैं, जो किसी लोक सेवक द्वारा विधिवत जारी आदेश की अवज्ञा से संबंधित है.
पीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, पराली जलाने के 47 मामलों में 2,25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. कुल जुर्माने में से 1.70 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं. वहीं 49 मामलों में BNS के सेक्शन 223 के तहत FIR भी दर्ज की गई हैं. इतना ही नहीं इनमें से 32 मामलों में किसानों के जमीन रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज की गई है. जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री होने का मतलब है कि वह किसान ना तो अपनी जमीन बेच सकता है और ना ही उसे गिरवी या फिर उस जमीन पर लोन ले सकता है.
पंजाब के प्रशासनिक सचिव (कृषि) बसंत गर्ग ने बताया कि 2018-19 से अब तक राज्य के किसानों को कुल 1.58 लाख फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सक्रिय सामुदायिक सहभागिता और कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण से इस मौसम में पराली जलाने की घटनाओं में और भी कमी आएगी.
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