मूंगफली की खेती प्रमुख तिलहन फसल के रूप में की जाती है. मूंगफली की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन मूंगफली की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी होता है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. बता दें कि मूंगफली को गरीबों का काजू भी कहा जाता है क्योंकि मूंगफली के अंदर प्रोटीन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है. ऐसे में अगर आप मूंगफली की खेती करना चाहते हैं तो आप इसकी टैग-73 किस्म की खेती कर सकते हैं. आइए जानते हैं कहां से ऑनलाइन खरीद सकते हैं ये बीज.
किसान आज कल व्यावसायिक फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. वहीं, मौजूदा समय में पूरे साल मूंगफली की मांग बाजारों में बनी रहती है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर सकते हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन मूंगफली का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप इस वेबसाइट के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
टैग-73 मूंगफली की एक खास किस्म है. इस किस्म के दाने थोड़े छोटे होते हैं. छोटे दानों वाली इस किस्म में तेल की 51 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है. वहीं, ये किस्म बुवाई के 100 से 110 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. वहीं, इससे प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल पैदावार ली जा सकती है. सबसे खास बात ये है कि इस किस्म की अगर सही समय पर खुदाई नहीं की जाए तो इसके दाने फिर से अंकुरित होने लगते हैं.
मूंगफली के बीज आपको बाजार की कीमतों से सस्ता मिलेगा. बात करें मूंगफली के बीज की कीमत की तो इसकी 20 किलो की बोरी फिलहाल 20 फीसदी छूट के साथ 2200 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगी. इसे खरीद कर आप आसानी से मूंगफली की खेती कर सकते हैं.
मूंगफली की खेती करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और मिट्टी का कटाव भी कम होता है. ऐसे में मूंगफली की खेती के लिए, सही मिट्टी का चयन करना चाहिए. मूंगफली की खेती के लिए, हल्की पीली दोमट मिट्टी अच्छी होती है. साथ ही खेती के लिए, जल निकासी वाली मिट्टी का चुनाव करना चाहिए. मूंगफली की खेती के लिए, खेत की तैयारी के समय, गोबर की सड़ी हुई खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए. फिर तैयार किए गए खेत में बीज की बुवाई करना चाहिए. साथ ही बुवाई के बाद सिंचाई का ध्यान रखना चाहिए.