पिछले दिनों एक ऐसा फैसला केंद्र सरकार की तरफ से लिया गया है जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इस फैसले के तहत भारत से फल, सब्जियां और बाकी ऐसे सामान जो जल्दी खराब हो सकते हैं, उनका निर्यात अब बहुत आसान होने वाला है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC)ने हवाई माल ढुलाई को आसान बनाने और सरकारी प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने के लिए सुधारों का ऐलान किया है. माना जा रहा है कि इससे किसानों, निर्यातकों और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को मदद मिलेगी और उन्हें बड़ा फायदा हो सकता है.
इन बदलावों का मकसद भारत के एयरपोर्ट्स के जरिये से माल, खासतौर पर ज्यादा कीमत और जल्दी खराब होने वाले उत्पादों जैसे अंगूर, आम, प्याज और प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स को तेजी से पहुंचाना और सस्ता बनाना है. लॉजिस्टिक्स से जुड़ी मुश्किलों को कम करने के लिए पिछले लंबे समय सुधारों का इंतजार हो रहा था. ये बदलाव ऐसे समय में हुए हैं जब भारत का फल और सब्जी निर्यात लगातार बढ़ रहा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले 11 महीनों में, ताजा उपज का निर्यात पांच फीसदी बढ़कर 3.39 बिलियन डॉलर हो गया. पिछले साल 112 मिलियन टन से ज्यादा फलों और 204 मिलियन टन सब्जियों के बड़ा उत्पादन भारत में हुआ था.
इन सुधारों के तहत सीबीआईसी ने 24 अप्रैल, 2025 से ट्रांसशिपमेंट परमिट के लिए ड्यूटी को खत्म कर दिया है. नोटिफिकेशन के तहत लागू किए गए इन सुधारों से इंटर-टर्मिनल कार्गो मूवमेंट से जुड़ी प्रॉसेस में होने वाली देरी और लागत में कमी आने की उम्मीद है. इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है कि इससे समय और लागत में महत्वपूर्ण बचत हो सकती है. बड़ी मात्रा में कार्गो को संभालने वाले लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर्स को इससे फायदा होगा.
अब तक, पोर्ट्स या फिर सीमा शुल्क (कस्टम) स्टेशनों के बीच माल ले जाने के लिए एक खास परमिट की जरूरत होती थी. साथ ही साथ एक तय रकम बतौर फीस अदा करनी पड़ती थी. अब उस फीस को खत्म कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि कंपनियां माल को और ज्यादा स्वतंत्रता के साथ ट्रांसपोर्ट कर सकेंगी. इससे इस प्रक्रिया में समय और पैसे की बचत होगी. यह एक छोटा सा बदलाव है जिसका प्रभाव बड़ा होने वाला है, खासकर उन लोगों के लिए जो बड़ी कार्गो को संभालते हैं.
एयर कार्गो क्षेत्र की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दूर करते हुए, सीबीआईसी ने सीमा शुल्क क्षेत्र के बाहर यूनिट लोड डिवाइस (यूएलडी) के अस्थायी आयात के लिए एक आसान प्रक्रिया शुरू की है. यह कदम मौजूदा समुद्री कंटेनर प्रोटोकॉल को बताता है. साथ ही एयर कैरियर या कंसोल एजेंटों को लगातार बॉन्ड के जरिये से फिर से निर्यात की जिम्मेदारी संभालने की मंजूरी देता है. पहले, यह जिम्मेदारी सिर्फ आयातकों के पास थी. इस बदलाव को भारतीय सीमा शुल्क प्रथाओं को अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स स्टैंडर्ड के साथ रखने की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इससे जल्दी खराब होने वाली चीजों और फार्मास्यूटिकल्स को मदद मिलेगी.
एयर कार्गो को अक्सर यूनिट लोड डिवाइस या यूएलडी नामक कंटेनरों में पैक किया जाता है. निर्यातकों और एयरलाइनों को इन कंटेनरों को एयरपोर्ट कस्टम क्षेत्रों से बाहर ले जाने के लिए कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था. अब, सीबीआईसी ने एक सरल प्रणाली शुरू की है जिसके तहत अब आयातकों की जगह एयरलाइनों या लॉजिस्टिक्स एजेंटों को कंटेनरों की जिम्मेदारी लेनी होगी. इससे फलों, सब्जियों और दवाओं जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की हैंडलिंग में तेजी आएगी.
ऑल इंडिया नेशनल ट्रांस-शिपमेंट बॉन्ड सिस्टम को भी अब बड़े स्तर पर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस सुविधा से एयरलाइनों को अलग-अलग सीमा शुल्क जगहों पर कई बॉन्ड जमा करने की कोई जरूरत नहीं होगी. इससे बार-बार आयातित कार्गो ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा. इससे पहले, एयरलाइनों को अलग-अलग जगहों पर कार्गो ले जाने के लिए हर कस्टम ड्यूटी स्टेशन पर कई बॉन्ड जमा करने पड़ते थे. अब, पूरे देश में एक ही ऑल इंडिया ट्रांसशिपमेंट बॉन्ड को प्रयोग किया जाएगा. इससे डॉक्यूमेंटेशन की जटिल प्रक्रिया खत्म होगी.
CBIC ने ICEGATE, भारतीय सीमा शुल्क EDI गेटवे के जरिये ट्रांसशिपमेंट अप्लीकेशन प्रॉसेस को भी डिजिटल कर दिया है. इससे सर्विस सेंटर्स पर फिजिकल प्रजेंट रहने की कोई जरूरत नहीं होगी. निर्यातक और लॉजिस्टिक्स एजेंट अब किसी भी सेवा केंद्र पर व्यक्तिगत रूप से जाए बिना ICEGATE (भारतीय सीमा शुल्क पोर्टल) के माध्यम से ऑनलाइन अप्लाई कर सकेंगे.
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