स्मार्ट बनेंगे वेयरहाउस, CCTV कैमरे से होगी अनाज की निगरानी...टेक्नोलॉजी की मदद से रुकेगी गड़बड़ी

स्मार्ट बनेंगे वेयरहाउस, CCTV कैमरे से होगी अनाज की निगरानी...टेक्नोलॉजी की मदद से रुकेगी गड़बड़ी

डिपो दर्पण पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी 20 मई, 2025 को करेंगे. एफसीआई और सीडब्ल्यूसी के स्वामित्व वाले और राज्य एजेंसियों/निजी से किराए पर लिए गए गोदामों सहित कुल 2278 गोदामों को इस डिजिटल पहल में शामिल किया जाएगा. 

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 01, 2025,
  • Updated May 01, 2025, 4:30 PM IST

केंद्र सरकार ने वेयरहाउसों को स्मार्ट बनाने की शुरुआत कर दी है. इसके तहत वेयरहाउसों को टेक्नोलॉजी से लैस किया जाएगा. उनमें रखे अनाज की CCTV कैमरे से निगरानी होगी. सीसीटीवी निगरानी और IoT सेंसर, CO2 और फॉस्फीन के स्तर, आग के खतरे, आर्द्रता, अनधिकृत प्रवेश और तापमान जैसे प्रमुख मापदंडों की वास्तविक समय में निगरानी तकनीक की मदद से की जाएगी. वेयरहाउस का गेट कब बंद हुआ, कब खुला, कितने बोरी अनाज आया और बाहर निकला...इन सब बातों की मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि गड़बड़ियों को रोका जा सके.

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) ने डिपो दर्पण पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन बनाया है. इस ऐप और पोर्टल का उद्देश्य खाद्य भंडारण डिपो की उच्चतम गुणवत्ता और प्रदर्शन मानकों को पूरा करना है. यह डिपो प्रबंधकों को लगभग वास्तविक समय के आधार पर बुनियादी ढांचे, ऑपरेशन और वित्तीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में सक्षम बनाएगा. डिपो दर्पण पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी 20 मई, 2025 को करेंगे. एफसीआई और सीडब्ल्यूसी के स्वामित्व वाले और राज्य एजेंसियों/निजी से किराए पर लिए गए गोदामों सहित कुल 2278 गोदामों को इस डिजिटल पहल में शामिल किया जाएगा. 

कैसे काम करेंगा पोर्टल और ऐप?

डिपो प्रबंधक जब अपने डिपो में उपलब्ध बुनियादी ढांचे के जियो-टैग किए गए इनपुट अपलोड करेंगे, तब इससे समय पर सुधार के लिए ऑटोमेटिक रेटिंग और एक्शन पॉइंट बनेंगे. यह प्रणाली पर्यवेक्षी अधिकारियों और रैंडम थर्ड पार्टी ऑडिट के माध्‍यम से 100 प्रतिशत सत्यापन सुनिश्चित करती है.

इसमें गोदामों का मूल्यांकन दो मुख्य श्रेणियों के आधार पर होगा


पहला बुनियादी ढांचागत पहलू जिसमें सुरक्षा मानक, भंडारण की स्थिति, पर्यावरण, तकनीक अपनाना और वैधानिक मापदंड शामिल हैं.

दूसरा संचालन दक्षता पहलू, जिसमें स्टॉक टर्नओवर, घाटा, स्थान का उपयोग, जनशक्ति व्यय और लाभप्रदता शामिल हैं.

हर श्रेणी का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन किया जाता है और गोदाम को दोनों मापदंडों से समग्र स्कोरिंग के आधार पर एक स्टार रेटिंग मिलती है. डिपो दर्पण स्मार्ट वेयरहाउसिंग तकनीकों के साथ अद्वितीय रूप से इंटीग्रेटेड है, जो एक सहज डिजिटल निगरानी पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है और सीसीटीवी निगरानी और IoT सेंसर, CO2 और फॉस्फीन के स्तर, आग के खतरे, आर्द्रता, अनधिकृत प्रवेश और तापमान जैसे प्रमुख मापदंडों की वास्तविक समय में निगरानी करते हैं, जिससे खाद्यान्न भंडारण में सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित होती है.

IoT-सक्षम निगरानी में ये मापदंड शामिल 

  • परिवेश सेंसर - अनाज की नमी और तापमान की निगरानी के लिए तापमान और सापेक्ष आर्द्रता.
  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) - संभावित अनाज संक्रमण की निगरानी और संकेत देने के लिए.
  • फॉस्फीन गैस सेंसर - विषाक्त गैस के स्तर के संपर्क को रोकने के लिए प्रारंभिक चेतावनी के माध्यम से श्रमिकों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है और धूमन रिसाव का पता लगाता है, उपचार की प्रभावशीलता बढ़ाता है.
  • गेट शटर सेंसर - अनधिकृत दरवाजे की पहुंच का पता लगाना. निर्दिष्ट घंटों के बाहर अनधिकृत दरवाजे के खुलने पर अलर्ट. धूमन प्रक्रियाओं के दौरान दरवाजे की स्थिति की निगरानी करता है. आवश्यकतानुसार दरवाजे के खुलने पर नजर रखकर उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करता है.
  • आग/धुआं सेंसर- आग से संबंधित नुकसान को रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी देता है.
  • इसके अलावा, बैग गिनने के लिए AI आधारित तकनीक, वाहन की पहचान और ट्रैकिंग के लिए ANPR (स्वचालित नंबर प्लेट पहचान), और पहुंच नियंत्रण और सुरक्षा के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक (FRS) को भी पायलट आधार पर गोदामों में तैनात किया गया है.

कहीं से भी परफॉरमेंस ट्रैकिंग संभव

डिपो दर्पण मोबाइल ऐप पर्यवेक्षी अधिकारियों को किसी भी समय, कहीं भी गोदाम के प्रदर्शन को ट्रैक करने की अनुमति देता है, जिससे बेहतर निर्णय लेने में सहायता मिलती है. ऑटोमैटिक रिपोर्ट का इस्‍तेमाल नियमित समीक्षाओं में किया जाता है, जिससे बुनियादी ढांचे और दक्षता में निरंतर और निर्बाध सुधार होता है.

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