Kisan Diwas: 'काली गाय-भैंस में फर्क समझने वाला ही बने नेता', पर‍िवारवाद के व‍िरोध में था ये तर्क

Kisan Diwas: 'काली गाय-भैंस में फर्क समझने वाला ही बने नेता', पर‍िवारवाद के व‍िरोध में था ये तर्क

'हर एक नेता का ही बेटा-बेटी, भाई-भतीजा और बहु ही विधायक-सांसद बनती रहेगी. मैं उनके भी खिलाफ नहीं हूं, लेकिन वो जमीन से जुड़कर और पब्‍लिक के बीच से निकलकर आएं तो ही किसानों को समझ सकेंगे.' ये बातें चौधरी चरण स‍िंह ने कही थी, ज‍िनके जन्मद‍िवस को देश में क‍िसान द‍िवस के तौर पर मनाया जाता है.    

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह. पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह.
नासि‍र हुसैन
  • Dec 23, 2022,
  • Updated Dec 23, 2022, 7:31 AM IST

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह ने हमेशा से राजनीति में परिवारवाद का विरोध किया. फिर इसके लिए उन्‍हें चाहें कांग्रेस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने ही क्‍यों न खड़ा होना पड़ा हो. एक लम्‍बे वक्‍त तक उन्‍होंने राजनीति में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का विरोध किया. इस मामले में उन्‍होंने अपने बेटे अजित सिंह को भी नहीं बख्‍शा. राजनीति में आने वालों के लिए उन्‍होंने एक शर्त तय की हुई थी. वो चाहते थे कि परिवारवाद के चलते ग्रामीण युवाओं के लिए राजनीति के दरवाजे कभी बंद न हों. उन्होंने कहा था क‍ि काली- भैंस में फर्क समझने वाला ही नेता बनना चाह‍िये. उन्होंने अपने बेटे और राजीव गांधी के व‍िरोध में ये बातें कही थी.   

चौधरी चरण सिंह का कहना था कि अगर राजनीति में परिवारवाद पनप गया और हावी हो गया तो ग्रामीण क्षेत्रों के युवा राजनीति में नहीं आ पाएंगे. हर एक नेता का ही बेटा-बेटी, भाई-भतीजा और बहु ही विधायक-सांसद बनती रहेगी. मैं उनके भी खिलाफ नहीं हूं, लेकिन वो जमीन से जुड़कर और पब्‍लिक के बीच से निकलकर आएं तो ही किसानों को समझ सकेंगे.

 ये भी पढ़ें- घर के साथ बाजार में भी है इस आलू की डिमांड, इसीलिए मिला टू-इन-वन का खिताब

नेता ऐसा हो जो गेहूं-जौ की फसल और काली गाय-भैंस में फर्क बता सके

चौधरी चरण सिंह के करीबी और चार यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर रहे डॉ. केएस राना ने किसान तक को बताया कि जब इंदिरा गांधी राजनीति में आईं तो परिवारवाद के चलते सिर्फ दो लोग विरोध करने वालों में थे. पहले चरण सिंह जी और दूसरे गोबिंद वल्‍लभ पंत. उनका कहना था कि राजनीति में वो आए जो काली गाय और काली भैंस में अंतर जानता हो. जो गेहूं और जौ की फसल में फर्क बता सके. जिसे खेती-किसानी की समझ हो. किसानों के मुद्दे जानता हो.

गेहूं-जौ और गाय-भैंस में फर्क बताना वाला ही नेता बने 

चौधरी चरण सिंह के करीबी और चार यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर रहे डॉ. केएस राना ने किसान तक को बताया कि जब इंदिरा गांधी राजनीति में आईं तो परिवारवाद के चलते सिर्फ दो लोग विरोध करने वालों में थे. पहले चरण सिंह जी और दूसरे गोबिंद वल्‍लभ पंत. उनका कहना था कि राजनीति में वो आए जो काली गाय और काली भैंस में अंतर जानता हो. जो गेहूं और जौ की फसल में फर्क बता सके. जिसे खेती-किसानी की समझ हो. किसानों के मुद्दे जानता हो.

जब मीटिंग में बोले, यह पाप मेरे से नहीं होगा

डॉ. राना बताते हैं कि साल 1983-84 के आसपास चौधरी साहब की तबियत खराब रहने लगी थी. इसी के चलते उन्‍होंने अजित सिंह को विदेश से अपने पास बुला लिया. इस बीच कुछ लोगों ने उनसे कहा कि बेटे को राजनीतिक वारिस बना दिजिए. इस बात को उन्‍होंने सिरे से खारिज कर दिया. बोले, मैंने तो उसे अपनी सेवा के लिए यहां बुलाया है. राजनीति में लाने के लिए थोड़े ही बुलाया.

 

ये भी पढ़ें- मुर्गी के बड़ा अंडा देने के पीछे होती है खास वजह, जानें कब देती है 

फिर एक बार यह सोचकर की चौधरी साहब मान जाएंगे अजित सिंह को मथुरा से टिकट देकर चुनाव लड़ाने की तैयारी कर ली गई. टिकट के लिए नाम भी बोल दिया. लेकिन चौधरी साहब फिर से अड़ गए. बोले मैं पूरी जिंदगी परिवारवाद के खिलाफ नेहरू से लड़ा हूं और अब अपने बेटे के लिए उसूलों तोड़ दूं. नहीं यह पाप मेरे से नहीं होगा. और यह कहते हुए उन्‍होंने उस मीटिंग को छोड़ दिया जहां टिकट फाइनल हो रहे थे. 

ये भी पढ़ें-

 Goat Farming: बकरी पालन की बना रहे हैं योजना, पहले जान लें टॉप 20 नस्ल  

यूपी की खास जमनापरी बकरी पालना चाहते हैं तो 16 पॉइंट में जानें खासियत 

 

MORE NEWS

Read more!