
पिछले पांच सालों से किसान MSP की लीगल गारंटी का लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सरकार से इस मुद्दे पर कोई समाधान नहीं मिला है. हालांकि, सरकार हर साल सीजन के हिसाब से लगभग सभी महत्वपूर्ण फसलों की MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है, जिससे किसानों को उम्मीद रहती है कि उन्हें उनकी उपज का तय कीमत मिलेगा, लेकिन देश की कई मंडियों में किसानों को अपनी फसलों को MSP से कम कीमतों पर बेचने को मजबूर होना पड़ा है, जिससे किसान काफी परेशान हैं. ऐसे में आज हम इस खबर में आपको बताएंगे कि वो कौन सी फसल है जिसका हाल अधिक बेहाल है. साथ ही अन्य फसलों के बारे में भी जानिए कि किन फसलों का दाम बिल्कुल धड़ाम हो गया है.
कृषि मंत्रालय की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने गेहूं की MSP 2585 रुपये तय कि है, लेकिन किसानों को मात्र 2539 रुपये मिल रहा है. वहीं, मौजूदा समय में धान की खरीद जारी तो है, लेकिन किसानों को तय MSP 2369 रुपये की जगह 2337 रुपये में धान बेचना पड़ रहा है, जिसकी वजह से कई किसानों को सिंचाई, खाद और मजदूरों का लेबर का लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. इसके अलावा किसानों को मक्के का MSP से बहुत कम दाम मिल रहा है. वैसे तो सरकार ने मक्के की MSP 2400 रुपये तय कि है, लेकिन किसानों के जेब में मात्र 1761 रुपये ही पहुंच रहा है.
| फसल | न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) | वर्तमान बाजार भाव |
| धान | 2369 | 2337 |
| गेहूं | 2585 | 2539 |
| मक्का | 2400 | 1761 |
सरकार कि ओर से साल 2023 में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के बाद किसान बड़े पैमाने पर मोटे अनाज की खेती करने लगे हैं. लेकिन इसके लिए किसानों को पूरी MSP नहीं मिल रही है. आंकड़ों की बात करें तो ज्वार की तय MSP 3699 रुपये है, वहीं, किसानों को अपनी फसल का मात्र 3412 रुपये ही मिल रहा है. ऐसा ही बाजरे का है, जिसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य 2775 रुपये है लेकिन किसान अपनी फसल 2165 रुपये में बेचने को मजबूर हैं. वहीं, बात करें रागी कि तो उसका हाल सबसे बेहाल है. 4886 रुपये MSP वाली इस फसल का किसानों को मात्र 3773 रुपये मिल रहा है.
| मिलेट्स फसल | न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) | वर्तमान बाजार भाव |
| ज्वार | 3699 | 3412 |
| बाजरा | 2775 | 2165 |
| रागी | 4886 | 3773 |
देश में सरकार तेजी से तिलहन फसलों को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है, लेकिन जब बात आती है MSP की तो किसानों को निराशा हाथ लगी है. वैसे तो सरकार ने इस साल मूंगफली के लिए 7263 रुपये तय किया है लेकिन किसानों को अपनी फसल लगभग 1800 रुपये कम यानी 5470 रुपये में बेचना पड़ रहा है. इसके अलावा सोयाबीन किसानों को भी तय MSP 5328 रुपये नहीं मिल रहा है. किसानों को अपनी सोयाबीन की फसल लगभग 1300 रुपये के घाटे में 4065 रुपये में बेचना पड़ रहा है. तिल का भी यही हाल है. दरअसल, तिल की MSP 9846 रुपये हैं, लेकिन किसानों को 9551 रुपये ही मिल रहे हैं. सूरजमुखी की बात करें तो इसका 7721 दाम तय किया गया है, लेकिन किसानों को मात्र 6002 रुपये ही मिल रहे हैं.
| तिलहन फसल | न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) | वर्तमान बाजार भाव |
| मूंगफील | 7263 | 5470 |
| सोयाबीन | 5328 | 4065 |
| तिल | 9846 | 9551 |
| सूरजमुखी | 7721 | 6002 |
सरकार दलहनी फसलों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है. लेकिन किसानों को उनकी फसलों के सही दाम नहीं मिल रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अरहर यानी तुअर की MSP 8000 हजार रुपये हैं, वहीं, किसानों को उनकी फसल का मात्र 6659 रुपये ही मिल रहा है. चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5875 रुपये है लेकिन किसानों को तय 5792 रुपये में उपज बेचना पड़ रहा है. इसके अलावा किसानों को मसूर का MSP से बहुत कम दाम मिल रहा है. वैसे तो सरकार ने मसूर की MSP 7000 रुपये तय कि है, लेकिन किसानों के जेब में मात्र 6739 रुपये ही पहुंच रहा है. किसानों को मूंग के दाम भी तय MSP पर नहीं मिल रहा है. सरकार ने मूंग की MSP 8768 रुपये तय किया है लेकिन किसानों के हाथ मात्र 6821 लग रहा है. यही हाल उदड़ का है, 7800 का उड़द होने के बावजूद 6346 रुपये ही मिल रहा है, जिसकी वजह से कई किसानों को सिंचाई, खाद और मजदूरों का लेबर का लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
| दलहनी फसल | न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) | वर्तमान बाजार भाव |
| तुअर | 8000 | 6659 |
| चना | 5875 | 5792 |
| मसूर | 7000 | 6739 |
| मूंग | 8768 | 6821 |
| उड़द | 7800 | 6346 |