पंजाब का गेहूं अभी चर्चा के केंद्र में है. वह भी गलत वजह से. पंजाब के गेहूं पर आरोप लगा है कि यह महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में लोगों को गंजा बना रहा है. दरअसल, मामला महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले का है जहां एक डॉक्टर ने दावा किया है कि यहां के कुछ लोग इसलिए गंजे हुए क्योंकि उन्होंने पंजाब से आए गेहूं को खाया जिसमें सेलेनियम की मात्रा अधिक थी. इस दावे के बाद हलचल मच गई. अब एक्सपर्ट्स और किसान नेताओं का कहना है कि यह दावा पंजाब को बदनाम करने की साजिश है.
महाराष्ट्र के जिस डॉक्टर ने दावा किया है, उनका नाम हिम्मतराव बावस्कर है जो पद्म सम्मान से नवाजे जा चुके हैं. पद्मश्री बावस्कर ने एक फाइंडिंग के बाद दावा किया पंजाब-हरियाणा के गेहूं में सेलेनियम की मात्रा अधिक है और उस गेहूं को बुलढाणा जिले के लोगों ने खाया है जिससे उनके बाल झड़ रहे हैं.
इस मुद्दे पर प्रोफेसर रणजीत सिंह घुमन (अर्थशास्त्री) ने 'आजतक' से कहा, “यह पंजाब को बदनाम करने की साजिश है. पंजाब हरित क्रांति लेकर आया और दशकों तक योगदान दिया. यह कैसे संभव है. वही गेहूं पंजाब में दशकों से खाया और उगाया जाता है. हमने इसके बारे में कभी नहीं सुना. यह किसी प्रसिद्ध संगठन के जरिये किया गया वैज्ञानिक शोध नहीं है.”
दूसरी ओर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "इससे पंजाब की बदनामी हुई है. हमारे बाल लंबे हैं. अगर यहां ऐसा गेहूं पैदा हुआ तो हम सबसे पहले प्रभावित होंगे, हमने ऐसा कभी नहीं सुना." पंधेर ने कहा कि पंजाबियों के बाल तो सबसे लंबे होते हैं. हमने आजतक किसी के बाल झड़ने की बात नहीं सुनी. यह पंजाब को बदनाम करने की बात है.
दरअसल, डॉ. बावस्कर ने एलोपेसिया टोटलाइज़ नामक बीमारी से पीड़ित 300 ग्रामीणों के बारे में सुनने के बाद इस पर शोध किया और समें 92,000 रुपये खर्च किए. फिर उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें सिर के बाल पूरी तरह से झड़ जाते हैं. उन्होंने 25 और 26 जनवरी को प्रभावित गांवों से खून, मूत्र और गेहूं सहित अलग-अलग सैंपल लिए थे और उस आधार पर उन्होंने गंजेपन का दावा किया है.
बुलढाणा जिले के 15 गावों के 300 से ज्यादा लोगों के बाल अचानक से झड़ गए थे. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया था. प्रशासन ने इस इलाके के पानी के सैंपल लेकर जांच शुरू कर दी थी. इतना ही नहीं, आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने भी इस इलाके से पानी और मिट्टी के सैंपल जांच के लिए जमा किए हुए थे.
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने भोनगांव के सरपंच के घर से गेहूं के सैंपल लिए थे. उनके भी बाल बाकी लोगों की तरह झड़ गए थे. उन्होंने कहा, हमने गेहूं में से सेलेनियम की जांच की. इसमें मेटॅलॉईड एक धातु है. इसका मतलब है कि उसमें धातु और गैर धातु दोनों के तत्व मौजूद हैं. और इसे मुख्य रूप से विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए खनिज के रूप में भी वर्गीकृत किया है. इसीलिए इसका ज्यादा सेवन करना या फिर बहुत कम सेवन करना, दोनों शरीर के लिए ठीक नहीं है.(अमन भारद्वाज का इनपुट)