
यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने चावल को लेकर एक ऐसा फैसला किया है जो भारत समेत कई देशों को थोड़ा परेशान करने वाला है. ईयू ने भारत और दूसरे एशियाई देशों से चावल के आयात पर रोक लगाने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि अपने किसानों और मिल मालिकों को बचाने के लिए उसने यह कदम उठाया है. वहीं अब इस बात को लेकर भी बातें हो रही हैं कि उसके इस फैसले का भारत पर कितना असर पड़ेगा. आपको बता दें कि भारत, ईयू को चावल का प्रमुख निर्यातक देश है और ऐसे में उसका यह फैसला कुछ हद तक भारत को प्रभावित कर सकता है.
अखबार बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार ईयू ने अपने किसानों और मिल मालिकों के हितों की रक्षा के लिए यह फैसला किया है. एक सेफगार्ड मैकेनिज्म के जरिए वह आयात पर रोक लगाएगा. यह कदम तब उठाया गया है जब ईयू ने भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) करने का वादा किया है. इसके 23 में से 11 चैप्टर पर पहले ही सहमति बन चुकी है. चावल इंडस्ट्री से जुड़े एक सूत्र की मानें तो यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे एक दरवाजा तो खुला लेकिन दूसरा बंद कर दिया गया है.
हाल ही में यूरोपियन काउंसिल और यूरोपियन संसद ने बासमती और नॉन-बासमती चावल के इंपोर्ट के लिए एक 'खास ऑटोमैटिक सेफगार्ड मैकेनिज्म' लाने का फैसला किया है. यह मैकेनिज्म भारत और दूसरे एशियाई प्रोड्यूसर्स से होने वाले एक्सपोर्ट को टारगेट करता है. 1 दिसंबर (सोमवार) को, काउंसिल और पार्लियामेंट ने टैरिफ रेट कोटा सिस्टम के जरिए चावल इंपोर्ट के लिए एक खास ऑटोमैटिक सेफगार्ड मैकेनिज्म का इस्तेमाल करने पर सहमति जताई है.
अगर ईयू में चावल का इंपोर्ट ऐतिहासिक औसत इंपोर्ट से काफी ज्यादा बढ़ जाता है तो यह सेफगार्ड मैकेनिज्म लागू हो जाएगा. यह मैकेनिज्म यह तय करेगा कि यूरोपियन यूनियन चावल बाजार की सुरक्षा के लिए शिपमेंट एक खास समय के लिए मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) टैरिफ के तहत हों. औपचारिक तौर पर अपनाए जाने से पहले इस प्रोविजनल एग्रीमेंट को फिलहाल काउंसिल और पार्लियामेंट की मंजूरी की जरूरत होगी. अगर वो इसे मंजूरी देते हैं तो फिर यह कानून 1 जनवरी, 2027 से लागू हो जाएगा.
ईयू काउंसिल की तरफ से 12 नवंबर, 2025 को तैयार किए गए एक नोट में कहा गया है कि तीसरे देशों से यूरोपियन यूनियन में चावल का इंपोर्ट 1.5 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है, मुख्य तौर पर भारत, पाकिस्तान और EBA ('एवरीथिंग बट आर्म्स') देशों से, मुख्य तौर पर म्यांमार और कंबोडिया से-जिन्हें सभी प्रकार के चावल और प्रोसेसिंग के सभी स्टेज पर प्रेफरेंशियल ज़ीरो कस्टम टैरिफ का फायदा मिलता है.
करीब 1.42 लाख टन चावल पैकेट में बेचा जाता है. इस कदम को यूरोपियन चावल मिलर्स द्वारा अपने ब्रांड को बढ़ावा देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, पैकेट वाले बासमती या पोन्नी या सोना मसूरी जैसे खास चावल की बिक्री करीब 48,000 टन है. ईयू ने इससे पहले साल 2019 में भी इसी तरह का फैसला किया था और तब म्यांमार और कंबोडिया से चावल इंपोर्ट पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाई थी. हालांकि यह साल 2022 में खत्म हो गई. बताया जा रहा है कि ईयू के मौजूदा प्रपोजल पर बातचीत साल 2022 से ही जारी है.
साल 2004-05 में टैरिफ और ट्रेड पर जनरल एग्रीमेंट (GATT) के आर्टिकल 28 की बातचीत में, ईयू 6 लाख टन चावल आयात कर रहा था. अभी इसका चावल आयात 2.3 लाख टन है. जब ईयू चावल मार्केट में एक्सेस के लिए बातचीत हुई थी, तब कंबोडिया और म्यांमार ग्लोबल मार्केट में नहीं थे. अब ये दोनों देश कुल मिलाकर 10 लाख टन चावल भेजते हैं. ईयू ने मानवाधिकारों के उल्लंघन और ट्राइसाइक्लाजोल के ज्यादा लेवल को आयात रोकने की प्रमुख वजहों में गिनाया है.
नोट में कहा गया है, ' कुछ निर्यातक देशों में मानवाधिकारों के उल्लंघन (जैसे बाल मजदूरी का शोषण) या ईयू में बैन किए गए एक्टिव पदार्थों का प्रयोग या ईयू रेगुलेटरी लिमिट से ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल (जैसे, ट्राइसाइक्लाजोल का ज्यादा लेवल) के मामले हैं.' चावल ट्रेड के एक और सोर्स ने कहा कि ये भारत, पाकिस्तान, म्यांमार और कंबोडिया को टारगेट कर रहे हैं. हालांकि इंडस्ट्री के सूत्रों की मानें तो ईयू के GATT पैक्ट साइन करने के बाद से आयात में चार गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है और ऐसे में किसानों पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा है.
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