
कश्मीर घाटी में इस बार ठंड में पड़ रहे सूखे ने केसर किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. लगातार सूखे से हजारों किसान परेशान हैं और उनकी आय पर संकट मंडराने लगा हैं. केसर न सिर्फ कश्मीर बल्कि पूरे भारत का गौरव है और मौसम की मार ने उसकी खेती को मुश्किल में डाल दिया है. विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर दिसंबर भर मौसम ऐसा ही ड्राई रहा तो उत्पादन में और गिरावट आ सकती है. अक्टूबर से ही घाटी में लगातार सूखा बना हुआ है, जिससे किसान केसर के कंद (Corms) के बचाव और अगले सीजन की फसल को लेकर परेशान हैं.
पंपोर जो कश्मीर में केसर की खेती का केंद्र है, वहां के किसान इरशाद अहमद ने बताया कि इस समय बारिश बहुत जरूरी है. लंबे समय तक सूखा रहने से अगले साल की फसल पर गंभीर असर पड़ेगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पुलवामा और बडगाम, जो दो प्रमुख केसर उत्पादन जिले हैं, वहां पर बारिश नहीं हुई है. दोनों ही जगहों पर 1 अक्टूबर से 3 दिसंबर 2025 के बीच बारिश में भारी कमी दर्ज की गई है. पुलवामा में सामान्य 47.6 मिमी के मुकाबले सिर्फ 29.4 मिमी बारिश हुई, यानी 38 प्रतिशत की कमी. वहीं बडगाम में सामान्य 54.2 मिमी के मुकाबले केवल 23.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 57 प्रतिशत की कमी है जो सबसे ज्यादा है.
अधिकारियों की मानें तो बारिश में कमी से नमी की कमी और बढ़ने की आशंका है, जिससे कंदों की वृद्धि, ग्राउंड वॉटर रिफिलिंग और सर्दियों के भी प्रभावित होने की आशंका है. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST), कश्मीर के एसोसिएट प्रोफेसर तारीक रसूल ने कहा, 'अगर मौजूदा मौसम इसी तरह जारी रहा, तो इसका असर केसर के कंदों की वृद्धि पर पड़ेगा. नमी की कमी से न्यूट्रीशियन अब्जॉर्व नहीं हो पाता है और इसलिए कंद ठीक से विकसित नहीं हो पाएंगे.
किसानों ने कहा कि इस साल बारिश की कमी ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं क्योंकि इस वर्ष केसर उत्पादन में पहले ही 60–70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इसका कारण अनियमित मौसम, लंबे सूखे और पोर्क्यूपाइन (साही) के हमले बताए जा रहे हैं. पुलवामा के किसान अली मोहम्मद ने कहा, 'अगर यह सूखा ऐसे ही जारी रहा और समय पर बारिश या बर्फबारी नहीं हुई तो हमारे केसर के खेतों को और बड़ा नुकसान होगा. इस साल हम पहले ही करीब 70 प्रतिशत उत्पादन खो चुके हैं.' कश्मीर में लगभग 20,000 से 25,000 परिवार केसर की खेती पर निर्भर हैं और सामान्य परिस्थितियों में सालाना 13–14 टन केसर उत्पादन होता है.
लगातार उतार-चढ़ाव वाले उत्पादन और बढ़ती लागत के कारण किसानों के पास अब कोई अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा नहीं बची है. दूसरी असफल फसल का डर बढ़ने के साथ ही उनकी चिंताएं भी गहरी होती जा रही हैं. कई किसान मांग कर रहे हैं कि अगर सूखा और बढ़ता है तो सरकार को तुरंत सहायता, आपातकालीन राहत और सिंचाई सहायता उपलब्ध करानी चाहिए. फिलहाल, किसान आसमान की ओर देख रहे हैं, उम्मीद कर रहे हैं कि मौसम बदले, बारिश या बर्फ गिरे, और आने वाली फसल को बचाया जा सके, ताकि हालात और ज्यादा खराब न हों.
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