जैविक फसल की कटाई और भंडारण के दौरान करें ये जरूरी काम, मिलेगा अधिक मुनाफा-बढ़ेगी कमाई

जैविक फसल की कटाई और भंडारण के दौरान करें ये जरूरी काम, मिलेगा अधिक मुनाफा-बढ़ेगी कमाई

अगर आपने रबी फसल गेहूं, चना, अरहर, मटर, मसूर, सरसों, मसाला फसलें धनिया, जीरा की जैविक तरीके से बुवाई से लेकर फसल में उपज आने तक के कार्यों को सही तरीके निपटा लिया है तो, जैविक फसल की कटाई के बाद के कार्यों को बड़ी सावधानी और बारीकी तरीके से करना होगा ताकि ऑर्गेनिक उत्पाद की क्वालिटी मेंटेन रहे. केमिकल खेती की तुलना में ऑर्गेनिक उपज से दोगुना से चार गुना दाम मिल जाते हैं, इसलिए इस वक्त ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

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जेपी स‍िंह
  • Noida,
  • Mar 13, 2025,
  • Updated Mar 13, 2025, 2:53 PM IST

मार्च में मौसम के बदले मिज़ाज के कारण लोग ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि इस महीने रबी मौसम की तमाम फसलों की कटाई का सिलसिला शुरू हो जाता है. रबी फसलों की अगर आपने जैविक तरीके से खेती की है तो, जैविक फसल की कटाई और कटाई के बाद के कार्यों को बड़ी सावधानी और बारीकी तरीके से करना होता है जिससे कि ऑर्गेनिक उत्पाद की क्वालिटी मेंटेन रहे. अजैविक उत्पाद और जैविक उत्पाद एक जैसा दिखता है, इसलिए जरूरी है कि जैविक उत्पाद की पहचान सुऱक्षित रहे जिससे कि किसान जैविक उपज का भरपूर लाभ उठा सकें.

सबसे पहले तो, किसान जिस सीजन में जैविक खेती कर रहा है, उस सीजन और फसल का नाम, खेत का खसरा नंबर, बोई गई फसल का रकबा देना जरूरी होता है. जैविक खेती कर रहे किसान जो कि प्रमाणीकरण संस्था में रजिस्टर्ड है, उसे फसल की कटाई जैविक प्रमाणीकरण संस्था के मापदंडों के अनुसार करना चाहिए और फसल कटाई के समय प्रमाणीकरण संस्था का कोई ना कोई प्रतिनिधि का रहना अनिवार्य है. जैविक खेती में क़टाई-मड़ाई में इस्तेमाल किए गए औजारों और यंत्रों का ब्योरा रखने के साथ कटाई-मड़ाई के बाद जैविक तरीके से मिली फसल की उपज की मात्रा कितनी है, इसे संस्था के प्रतिनिधि को लिखित रूप में बताना पड़ता है.

जैविक रजिस्टर्ड किसान के लिए ये काम जरूरी

जैविक खेती कर रहे हैं तो फसल की कटाई और मड़ाई के बाद फसल की उपज का स्टोरेज के वक्त विशेष खयाल रखने की जरूरत होती है. इसमें सबसे पहले इस बात का ध्यान दें कि जैविक तरीके से प्राप्त उपज की दूसरी अन्य फसल के बीजों से मिलावट न हो. इसलिए जैविक उपज को अलग और सुरक्षित स्टोरेज करना चाहिए, और इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जैविक उपज में किसी प्रकार का केमिकल आधारित दवाओं का इस्तेमाल ना हो.

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किसान ने अगर जैविक खेती में, खेत के चयन से लेकर जुताई, बुवाई, फसल प्रबंधन और कटाई-मड़ाई तक के सभी कार्यों को जैविक नियमों के अनुसार सही तरीके से पालन कर लिया है, तो इसके बाद जैविक प्रमाणीकरण संस्था के वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षण के आधार पर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने के लिए अनुशंसित करेंगे. इसके बाद जैविक प्रमाणीकरण संस्था सभी कार्यों को अपने स्तर पर जांच पड़ताल कर और पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद, अपनी तरफ से किसान को जैविक उत्पाद पंजीयन प्रमाणपत्र प्रदान करती है. जैविक खेती के राष्ट्रीय मानक के आधार पर इंडियन आर्गेनिक लोगो NSOP प्रदान किया जाता है. इस लोगो के इस्तेमाल के लिए किसान को लाइसेंस लेना पड़ता है.

जैविक उत्पाद के निर्यात के लिए जरूर करें ये काम

जैविक प्रमाणीकरण संस्था की तरफ से किसान को जब ऑर्गेनिक उत्पाद का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है, तो बाहरी देशों को जैविक उपज को निर्यात कर अधिक से अधिक से मुनाफा कमाने और  मार्केटिंग के लिए जैविक खेती के राष्ट्रीय मानक के आधार पर इंडियन आर्गेनिक लोगो NSOP प्रदान किया जाता है. इस लोगो के इस्तेमाल के लिए किसान को लाइसेंस लेना पड़ता है जिसके लिए किसान की उपज किसी मान्यता प्राप्त जैविक प्रमाणीकरण संस्था से प्रमाणित होना जरूरी है.

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लाइसेंस प्राप्त होने के बाद किसान ट्रेडमार्क को अपनी उपज और अपनी जैविक सेवाओं में इस्तेमाल करने का हकदार होगा. जैविक उत्पाद को निर्यात करने की अनुमति तभी दी जाती है, जब NAB के किसी अधिकृत प्रमाणीकरण संस्था के द्वारा किसान के उपज को पैक किया गया हो और ट्रेडमार्क जारी किया गया हो. जैविक उत्पाद बेचने की जानकारी कृषि की वेबसाईट पर प्रसारित की जाती है.देश की अधिकृत निर्यात संस्थाएं, अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप जैविक उत्पाद को बेचने के लिए स्वतंत्र होंगी और उपज के मूल्य निर्धारण का काम उपभोक्ता या संस्थाएं और उत्पादकों द्वारा स्वयं किया जाता है. 

 

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