Aroma Crops: एसेंशियल ऑयल का बिजनेस बना किसानों के लिए कमाई का नया जरिया

Aroma Crops: एसेंशियल ऑयल का बिजनेस बना किसानों के लिए कमाई का नया जरिया

Aroma Crops: एसेंशियल ऑयल्स प्राकृतिक सुगंधित तेल होते हैं जो पुदीना, लेमनग्रास, तुलसी, पचौली, रोजमेरी, चंदन, खस, लौंग, इलायची, नीम, लैवेंडर जैसे पौधों से निकाले जाते हैं. इनका उपयोग कॉस्मेटिक्स, दवाइयों, खुशबूदार प्रोडक्ट्स, अरोमा थेरेपी और मसाज ऑयल में होता है. इनकी कीमतें बहुत ज्यादा होती हैं. 

Aroma crops  Aroma crops
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 09, 2025,
  • Updated Aug 09, 2025, 9:00 AM IST

देश के कई हिस्सों में अब किसान पारंपरिक गेहूं, धान और गन्‍ना जैसी फसलों के बजाय एरोमा क्रॉप्स यानी सुगंधित पौधों की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. इन फसलों से निकाले गए एसेंशियल ऑयल की घरेलू और अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में भारी मांग है, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है. एसेंशियल ऑयल की खेती न सिर्फ किसानों को परंपरागत खेती से निकलने का विकल्प दे रही है, बल्कि कम जमीन और संसाधनों में अधिक कमाई का रास्ता भी बना रही है. सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों के सहयोग से यह सेक्टर आने वाले वर्षों में ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है. 

क्‍या होते हैं एसेंशियल ऑयल 

एसेंशियल ऑयल्स प्राकृतिक सुगंधित तेल होते हैं जो पुदीना, लेमनग्रास, तुलसी, पचौली, रोजमेरी, चंदन, खस, लौंग, इलायची, नीम, लैवेंडर जैसे पौधों से निकाले जाते हैं. इनका उपयोग कॉस्मेटिक्स, दवाइयों, खुशबूदार प्रोडक्ट्स, अरोमा थेरेपी और मसाज ऑयल में होता है. इनकी कीमतें बहुत ज्यादा होती हैं – जैसे पचौली ऑयल 4000–5000 प्रति लीटर, लेमनग्रास 800 से 1000 रुपये प्रति लीटर और तुलसी ऑयल 2000 से 3000 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है. 

कहां-कहां होती है खेती 

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कई किसान अब लेमनग्रास, तुलसी और मेंथा जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं. इनसे एसेंशियल ऑयल निकालकर वो हर साल सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में करीब 5000 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में मेंथा की खेती होती है. यहां एक एकड़ जमीन से औसतन 40–50 किलो मेंथा ऑयल निकाला जा सकता है, जिसकी बाजार में कीमत 1000 रुपये से 1200 रुपये प्रति किलो तक होती है. यानी एक एकड़ में 40–60 हजार रुपये तक की कमाई संभव है.

वहीं झारखंड के गढ़वा जिले में किसान तुलसी और लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं. यहां कई किसानों ने 1 एकड़ में एक लाख रुपये तक की आमदनी की है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में महिला स्व-सहायता समूहों ने लैवेंडर और तुलसी की खेती शुरू की और अब स्वयं एसेंशियल ऑयल निकालकर बाजार में बेच रही हैं. 

सरकार की योजनाएं 

सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए CSIR-CIMAP (लखनऊ), FRI (देहरादून) और AROMA Mission जैसे संस्थानों के जरिए प्रशिक्षण, पौध, और तकनीकी मदद देना शुरू किया है. AROMA मिशन, जिसे 'पर्पल रिवोल्यूशन'  भी कहा जाता है, खासकर लैवेंडर, रोजमेरी और लेमनग्रास जैसी फसलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था. एसेंशियल ऑयल वाली फसलों की एक खास बात यह भी है कि इनमें ज्यादा पानी, रासायनिक खाद या कीटनाशक की जरूरत नहीं होती. इससे खेती का खर्च कम होता है और मुनाफा ज्यादा. लेमनग्रास, तुलसी और पचौली जैसे पौधे सूखे क्षेत्रों में भी अच्छे से उग जाते हैं. इससे उन इलाकों के किसानों को भी फायदा हो रहा है जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है. 

भारत बना बड़ा बाजार 

भारत अब दुनिया के सबसे बड़े एसेंशियल ऑयल उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक बनता जा रहा है. यूरोप, अमेरिका, जापान और खाड़ी देशों में इसकी भारी मांग है. ऐसे में किसान अपने उत्पाद सीधे बाजार समितियों, कंपनियों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और निर्यातकों को बेचकर ज्यादा दाम हासिल कर पा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- 

MORE NEWS

Read more!