गोरखमुंडी के बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे. यह एक जड़ी-बूटी है. इससे शरीर को बहुत अधिक फायदे मिलते हैं. इसका प्रयोग अनेक रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में गोरखमुंडी के बारे में विस्तार से कई अच्छी बातें बताई गई हैं. वर्षों से आयुर्वेदाचार्य मरीज को स्वस्थ करने के लिए गोरखमुंडी का उपयोग करते आ रहे हैं. गोरखमुंडी तिल्ली के विकार, पीलिया, पित्त विकार, वात-विकार, कंठमाला, टीबी (क्षयरोग) के कारण बनी गांठें, खुजली, दाद, कुष्ठ तथा गर्भाशय के दर्द के उपचार में काम आती है. यह अपच, मिर्गी, गलकंड एवं हाथी पांव आदि रोगों को ठीक करने में भी सहायक है.
कृषि वैज्ञानिक कैलाश विशाल और अंजली पटेल बताते हैं कि गोरखमुंडी के पत्तों और फूलों का स्वाद कड़वा और तीखा होता है. गोरखमुंडी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला पौधा है.- यह जीवाणुरोधी एवं कवकरोधी है. इन्द्राक्त रसायन, अमृतादि तेल तथा चन्दनादि तेल में इसका प्रयोग किया जाता है. गोरखमुंडी एकवर्षीय, प्रसार वनस्पति है, जो 30-60 सेमी ऊंची, गंधयुक्त तथा जमीन पर फैली हुई होती है. ठंड के मौसम में गोरखमुंडी के पौधों में पहले फूल और फिर बाद में फल लगते हैं.
पूरे भारत में विशेष तौर पर हिमाचल प्रदेश में 1800 मीटर की ऊंचाई तक गोरखमुंडी के पौधे अपने आप पैदा होते हैं. धान के खेतों तथा नम जंगलों में इसके पौधे अधिक मिलते हैं. इसके फूल बैंगनी रंग के तेज गंध वाले तथा गोल घुडियों में लगे हुए होते हैं. इन्हीं घुडियों को मुंडी कहा जाता है. इनमें कालापन लिए हुए लाल रंग का तेल और कड़वा सत्व होता है.
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गोरखमुंडी के 3-5 मिली रस में 500 मिग्रा कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने से सिर के रोगों में लाभ होता है. काले व लंबे बालों के लिए गोरखमुंडी की जड़ या पंचांग को फूल लगने से पहले थोड़ा सुखा लें. इतनी ही मात्रा में भृंगराज का चूर्ण मिलाकर इसे 2-3 ग्राम तक मधु व घी के साथ 40-80 दिनों तक सेवन करने से बाल मजबूत व काले होते हैं. पौधों को छाया में सुखाकर व पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करने से बाल सफेद नहीं होते हैं.
वैज्ञानिकों ने बताया कि 1 से 2 ग्राम गोरखमुंडी पंचांग के सूखे चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर इसे 200 मिली गाय के दूध के साथ सुबह-शाम खाने से आंखों के बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं. आंखों की रोशनी कम हो जाने पर गोरखमुंडी के फूल या पत्तों के रस को दिन में दो बार आंखों में लगाते रहने से लाभ होता है.
ताजे गोरखमुंडी पंचांग के रस को तांबे के बरतन में रख लें. इसे नीम के डंडे से खूब रगड़ें, जब वह काला हो जाए, उसमें रूई को अच्छी तरह भिगोकर सुखा लें. आंखों में दर्द होने पर इस रूई को जल में भिगोकर नेत्रों पर रखने से बहुत लाभ होता है.
गोरखमुंडी पंचांग को पीसकर गले में लगाने से घेघा रोग यानी थायराइड ग्रंथि की सूजन में लाभ होता है. इसके जड़ के 1 से 2 ग्राम चूर्ण का शहद मिलाकर सेवन करने से सूखी खांसी में लाभ होता है. इसके पत्तों के 5 मिली रस को दूध के साथ उबालकर उसमें चीनी मिलाकर पीने से खांसी में फायदा होता है.
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