AQI: 6 साल में स‍िर्फ 9 दिन ही साफ रही द‍िल्ली की हवा, बाकी समय प्रदूषण का पहरा....ज‍िम्मेदार कौन?   

AQI: 6 साल में स‍िर्फ 9 दिन ही साफ रही द‍िल्ली की हवा, बाकी समय प्रदूषण का पहरा....ज‍िम्मेदार कौन?   

AQI: दिल्ली की हवा में 365 दिन रहता है 'जहर' फ‍िर सवाल सिर्फ पराली पर क्यों? साल 2025 में एक द‍िन भी यहां के लोगों को नसीब नहीं हुई साफ हवा. प्रदूषण से बचाव की परीक्षा में द‍िल्ली को जीरो नंबर मिला है. अगर एक्यूआई 50 या उससे कम होता है तभी हवा को Good कैटेगरी में रखा जाता है.

द‍िल्ली वालों को क्यों नहीं म‍िलती साफ हवा?द‍िल्ली वालों को क्यों नहीं म‍िलती साफ हवा?
ओम प्रकाश
  • New Delhi,
  • Dec 19, 2025,
  • Updated Dec 19, 2025, 4:47 PM IST

द‍िल्ली में बढ़ती ठंड के बीच प्रदूषण पर स‍ियासत गर्म है. पॉल्यूशन पॉल‍िट‍िक्स करने वाले नेता खुद को ऐसा साब‍ित करने पर तुले हुए हैं क‍ि जैसे उनसे बड़ा पर्यावरण प्रेमी कोई है ही नहीं. खैर राजनीत‍िक लोग हैं तो करेंगे तो राजनीत‍ि ही, लेक‍िन इसके इतर एक च‍िंता बढ़ाने वाला तथ्य सामने आया है. ज‍िसमें पता चला है क‍ि साल 2025 में एक द‍िन भी लोगों को साफ हवा नहीं म‍िली. ऐसा कोई द‍िन नहीं रहा, जब द‍िल्ली की हवा को ‘गुड क्वालिटी’ में रखा जा सके. पराली जले या न जले दिल्ली पूरे साल जहरीली गैस का चैंबर बनी रही. यकीन मानिए प‍िछले 6 साल में महज 9 द‍िन ही द‍िल्ली के लोगों को साफ हवा नसीब हुई है. इस सामूह‍िक व‍िफलता के ल‍िए द‍िल्ली वाले अगर क‍िसानों को कोसने बी बजाय अपनी गलत‍ियों को स्वीकार करेंगे तो शायद उसे सुधारने के रास्ते भी न‍िकाले जा सकें, वरना हालात का बद से और बदतर होना तय है.

अब यह साफ तौर पर कहा जा सकता है क‍ि द‍िल्ली के लोगों को पराली के ल‍िए क‍िसानों पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं है. इस समय पराली न जलने और पटाखे न चलने के बावजूद एयर क्वाल‍िटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार है. हवा साफ रखने के ल‍िए जो काम पूरे साल होने चाह‍िए थे वह अब क‍िए जा रहे हैं. आग लगने पर कुआं खोदने जैसा काम हो रहा है. ऐसे में प्रदूषण पर द‍िल्ली वालों की च‍िंता स‍िर्फ द‍िखावा नजर आती है. बहरहाल, aqi.in ने साल 2025 के एक्यूआई का एनाल‍िस‍िस क‍िया तो पाया क‍ि द‍िल्ली वालों को एक द‍िन भी 50 या उससे कम एक्यूआई वाली हवा नहीं म‍िली. मतलब साफ है क‍ि प्रदूषण से बचाव की परीक्षा में द‍िल्ली को जीरो नंबर मिला है. 

कब म‍िली साफ हवा? 

  • साल 2020 के दौरान अगस्त महीने में दो ही ऐसे द‍िन थे जब एक्यूआई 50 या उससे कम था. अगर एक्यूआई 50 या उससे कम होता है तभी हवा को Good कैटेगरी में रखा जाता है. 
  • वर्ष 2021 में एक द‍िन भी हवा साफ नहीं थी. यानी तब भी हालात 2025 की तरह ही थे. 
  • साल 2022 के दौरान स‍ितंबर में 1 द‍िन और अक्टूबर में 2 द‍िन हवा शुद्ध थी. यानी एक्यूआई 50 या उससे कम था. 
  • साल 2023 में स‍ितंबर महीने के दौरान 2 द‍िन ही ऐसे थे जब द‍िल्ली में एक्यूआई 50 या उससे कम रहा. 
  • वर्ष 2024 में 1 द‍िन जुलाई और 1 द‍िन अगस्त में एक्यूआई 50 या उससे कम रहा.  

क‍िसानों का कसूर नहीं 

दिल्ली के लोग अपनी लाइफस्टाइल बदलने को तैयार नहीं हैं. बड़ी कारें बढ़ती जा रही हैं और दोष देते हैं किसानों को. जबक‍ि धूल, ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन और पारंपर‍िक उद्योगों की वजह से द‍िल्ली की हवा पूरे साल खराब रहती है. लेक‍िन ताज्जुब की बात यह है क‍ि यहां के लोगों को चिंता सिर्फ उन 15 दिनों में होती है, जब यहां से काफी दूर पंजाब, हर‍ियाणा में पराली जल रही होती है. असल में, द‍िल्ली वालों की चिंताएं उन स्थानीय कारणों पर ज्यादा होनी चाहिए जिनकी वजह से यहां की हवा साल भर तक जहरीली बनी रहती है.

कौन ज‍िम्मेदार?

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से जुड़ी एक संस्था है ‘सफर’ (SAFAR), ज‍िसका काम वायु प्रदूषण की निगरानी करना है. इसने 2018 में दिल्ली के प्रदूषण पर एक रिपोर्ट दी थी. ज‍िसमें ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और डस्ट को प्रदूषण का बड़ा कारण बताया गया था. रिपोर्ट के अनुसार उबर, ओला की हर टैक्सी सालाना औसतन 1.45 लाख किलोमीटर चलती हैं. यही नहीं, दिल्ली की प्रमुख सड़कों पर वाहनों की औसत गति मात्र 20 से 30 क‍िलोमीटी प्रति घंटा ही रह गई है. वायु प्रदूषण बढ़ने की यह भी एक वजह है. इसी तरह‍ द‍िल्ली की अपनी गाड़‍ियों के अलावा अन्य राज्यों से दिल्ली के आठ अलग-अलग एंट्री-पॉइंट से हर रोज करीब 11 लाख गाड़ियां यहां आती-जाती हैं.

AQI क्या होता है? 

एयर क्वालिटी इंडेक्स इंडेक्स यानी एक्यूआई प्रदूषण की समस्या मापने के लिए बनाया गया है. यह आठ प्रदूषकों से बनता है. य‍ह इंडेक्स बताता है कि हवा में पीएम 10, 2.5, PM10, PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मानकों के तहत है या फ‍िर नहीं.

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