राज्यों के सहकारिता मंत्री, कृषि मंत्रियों संग मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, ताकि जनस्वास्थ्य और धरती दोनों का हित हो-शाह

राज्यों के सहकारिता मंत्री, कृषि मंत्रियों संग मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, ताकि जनस्वास्थ्य और धरती दोनों का हित हो-शाह

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष - 2025 के उपलक्ष्य में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ "मंथन बैठक” की अध्यक्षता की. राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ "मंथन बैठक” सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम. शाह ने कहा, मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगले 5 वर्षों में हर गांव में कोऑपरेटिव हो, इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का उपयोग होना चाहिए.

cooperative minister Amit Shahcooperative minister Amit Shah
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jun 30, 2025,
  • Updated Jun 30, 2025, 8:48 PM IST

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष - 2025 के उपलक्ष्य में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ "मंथन बैठक” की अध्यक्षता की. बैठक का आयोजन सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया. "मंथन बैठक” का सफलतापूर्वक आयोजन सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. बैठक में देशभर के सहकारिता मंत्रियों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सहकारिता विभागों के सचिवों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. मंथन बैठक का उद्देश्य भारत में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा, उपलब्धियों का आंकलन और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करना है.

अपने संबोधन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना देश में बहुत पुराने सहकारिता के संस्कार को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ नए परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर की है. उन्होंने कहा कि देश में सामाजिक परिवर्तन और नया परिदृश्य नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद आया है. उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 60-70 करोड़ लोग ऐसे थे, जिनके पास कई पीढ़ियों तक जीवन जीने की मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थीं. उन्होंने कहा कि 2014 से 2024 तक के 10 साल के कालखंड में ही मोदी सरकार ने इन करोड़ों लोगों का जीवनस्वप्न पूरा कर दिया और इन्हें घर, शौचालय, पीने का पानी, अनाज, स्वास्थ्य, गैस सिलिंडर आदि सुविधाएं प्रदान कर दीं.

सहकारिता के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं

शाह ने कहा कि ये करोड़ों लोग अब अपने जीवन को और बेहतर बनाने के लिए उद्यम करना चाहते हैं, लेकिन इनके पास पूंजी नहीं है और इन करोड़ों लोगों की छोटी-छोटी पूंजी से बड़ा काम करने का एकमात्र रास्ता सहकारिता है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए दो चीज़ें बेहद ज़रूरी हैं – जीडीपी और जीएसडीपी का विकास और 140 करोड़ लोगों के लिए काम का सृजन करना. उन्होंने कहा कि देश के हर व्यक्ति के लिए काम के सृजन के लिए सहकारिता के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं है और इसीलिए 4 साल पहले बहुत दूरदर्शिता के साथ सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई. शाह ने कहा कि हमें संवेदनशीलता के साथ देश के करोड़ों छोटे किसानों और ग्रामीणों के कल्याण के लिए सहकारिता को पुनर्जीवित करना ही होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं.

अमित शाह ने कहा कि इस चिंतन और मंथन से तभी भला हो सकता है जब देश के 140 करोड़ लोग रोज़गार प्राप्त कर परिश्रम के साथ अपना जीवन व्यतीत करें और इसे सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने 60 पहल की हैं. उन्होंने कहा कि इन पहल में से एक महत्वपूर्ण पहल है राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का निर्माण, जिसकी मदद से हम वैक्यूम ढूंढ सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस इसीलिए बनाया गया है कि राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला और तहसील स्तर की सहकारी संस्थाएं मिलकर ये देख सकें कि किस राज्य के किस गांव में एक भी सहकारी संस्था नहीं है. शाह ने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगले 5 साल में देश में एक भी गांव ऐसा न रहे, जहां एक भी कोऑपरेटिव न हो और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहकारी डेटाबेस का उपयोग करना चाहिए.

सहकारिता आंदोलन के छिन्न-भिन्न होने के कारण

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन के छिन्न-भिन्न होने के पीछे 3 मुख्य कारण हैं. उन्होंने कहा कि हमने समय के साथ कानून नहीं बदले, जो अब मोदी सरकार ने बदल दिए हैं. हमने सहकारिता की गतिविधियों को जोड़ा या समय के साथ बदला नहीं था. उन्होंने कहा कि पहले सहकारिता में सारी भर्तियां भाई-भतीजावाद से होती थीं और इसीलिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का विचार किया गया. केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने आग्रह किया कि हर राज्य की कम से कम एक सहकारिता प्रशिक्षण संस्था, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े और राज्य के कोऑपरेटिव आंदोलन की ट्रेनिंग की पूरी हॉलिस्टिक व्यवस्था त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के माध्यम से ही हो.

शाह ने कहा कि कुछ ही समय में राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा भी होगी जो 2025 से 2045 तक, यानी लगभग आजादी की शताब्दी तक अमल में रहेगी. उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तत्वाधान में ही हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की सहकारिता की स्थिति के अनुरूप बने और इसके लक्ष्य भी निर्धारित हों. उन्होंने कहा कि तभी आज़ादी की शताब्दी तक हम एक आदर्श कोऑपरेटिव स्टेट बन सकेंगे. उन्होंने कहा कि पूरे देश में सहकारिता के क्षेत्र में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम मॉडल एक्ट से होगा. उन्होंने कहा कि 2 लाख पैक्स के निर्णय के तहत वित्त वर्ष 2025-26 के लक्ष्य को फरवरी माह में ही समाप्त कर दिया जाए, तभी हम 2 लाख पैक्स के लक्ष्य तक समय से पहुंच सकेंगे.

क्रेडिट सोसायटी पर हमें विशेष ध्यान देने की ज़रूरत

अमित शाह ने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक और क्रेडिट सोसायटी पर हमें विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि अब कोऑपरेटिव बैंक को हमने बैंकिंग एक्ट के तहत ले आए हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी लचीली अप्रोच अपनाते हुए हमारी कई समस्याएं दूर की हैं. उन्होंने कहा कि बाकी बची समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं, जब हम पारदर्शिता के साथ बैंक का संचालन और कर्मचारियों की भर्ती करें. उन्होंने क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी और अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के संचालन में और अधिक पारदर्शिता लाने की ज़रूरत पर बल दिया.

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि सभी राज्यों के सहकारिता मंत्री अपने-अपने राज्यों में कृषि मंत्रियों के साथ समन्वय स्थापित कर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, ताकि आम जनमानस के साथ-साथ धरती माता का स्वास्थ्य भी सुधरे. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि Cooperation Amongst Cooperatives का गुजरात में बहुत अच्छा और सफल प्रयोग हुआ है. उन्होंने कहा कि यह हमारी राष्ट्रीय क्षमता की वृद्धि और संवर्धन, राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता की ताकत बढ़ाने और कोऑपरेटिव की शक्ति का संवर्धन करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण पहल है.

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