किस तिलहन फसल की वैरायटी है चित्रा, इसकी अन्य उन्नत किस्मों के बारे में जानें

किस तिलहन फसल की वैरायटी है चित्रा, इसकी अन्य उन्नत किस्मों के बारे में जानें

भारत में उगाई जाने वाली फसलें अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने अनोखे नाम के तौर पर मशहूर हो जाती हैं. ऐसी ही एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम चित्रा है. आइए जानते हैं इस किस्म की क्या है खासियत और इस फसल की कैसे की जाती है खेती.

तिलहन फसलतिलहन फसल
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Mar 03, 2025,
  • Updated Mar 03, 2025, 11:31 AM IST

भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा देश है. यहां अलग-अलग फसलें अपनी खास पहचान की वजह से मशहूर होती हैं. वहीं, कई फसलें अपने अनोखे नाम और स्वाद के लिए जानी जाती हैं. ऐसी ही एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम चित्रा है. दरअसल, ये वैरायटी सूरजमुखी की एक खास किस्म है, जिसकी खेती पूरे साल की जाती है. वहीं, बात करें सूरजमुखी की तो ये एक प्रमुख तिलहन फसल है. सूरजमुखी की खेती किसानों के लिए काफी लोकप्रिय खेती है. इस फसल की खेती कम सिंचाई और कम लागत में आसानी से हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी तीन उन्नत किस्में कौन सी हैं? और कैसे करें इसकी खेती.

सूरजमुखी की तीन उन्नत किस्में

चित्रा किस्म: ये सूरजमुखी की एक खास किस्म है. इस किस्म से उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल फसल मिलती है. खरीफ मौसम में इस किस्म को तैयार होने में 95 से 100 दिन का समय लगता है. वहीं, रबी मौसम में यह 100-105 दिन में तैयार होता है. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 165 से 170 सेमी है. बीज में तेल की मात्रा लगभग 38-40 फीसदी  तक होती है.

श्रेष्ठा-NSFH-36 किस्म: सूरजमुखी की उन्नत किस्मों में यह किस्म भी शामिल है. इसकी उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 8 से 12 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है. वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 88-93 दिन का समय लगता है. इस किस्म के पौधे की औसत ऊंचाई 175-190 सेंटीमीटर होती है. वहीं, इसकी बीज में तेल की मात्रा 42-44 फीसदी तक होती है. रबी, खरीफ और गर्मी के मौसम के लिए यह किस्म उपयुक्त है. यह अल्टरनेरिया रोग प्रतिरोधी है.

सूर्या किस्म: इस किस्म से उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 9-12 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है. खरीफ के मौसम में फसल को तैयार होने में 90-95 दिन का समय लगता है. वहीं, रबी के मौसम में फसल को तैयार होने में 95-100 दिन का समय लगता है. पौधे की ऊंचाई 160-175 सेमी है तो वहीं तेल की मात्रा लगभग 40  फीसदी तक होती है.

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कैसे करें सूरजमुखी की खेती

सूरजमुखी के बीजों की रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर उसमें सही मात्रा में उर्वरक डालें. इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें. जुताई के बाद कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें. इससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाती है. इसके बाद खेत में बीज रोपाई के 15 दिन पहले खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर जुताई करवा दें. इससे खेत की मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिल जाती है. इसके बाद खेतों में मेड़ बनाकर बीजों की बुवाई करें.

सूरजमुखी की ये है खासियत

सूरजमुखी के तेल का सेवन तो बहुत से लोगों ने किया होगा, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि इसके बहुत से फायदे हैं. सूरजमुखी के फूलों और बीजों में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसका सेवन करने से दिल स्वस्थ रहता है और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए भी फायदेमंद है. वहीं इससे लीवर भी सही रहता है. बता दें कि सूरजमुखी के पौधे मधुमक्खियों के परागण की वजह से बेहद तेजी से विकास करते हैं. इसके लिए किसानों फसल के आसापास मधुमक्खी पालन की भी सलाह दी जाती है. ऐसा करने से किसान शहद उत्पादन के जरिए अतिरिक्त आमदनी भी हासिल कर सकते हैं.

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