केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशव्यापी विकसित कृषि संकल्प अभियान के अनुभव और इसके आधार पर भविष्य की कार्ययोजना बनाने के संबंध में कृषि वैज्ञानिकों के साथ दिनभर वृहद चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘लैब टू लैंड’ विजन से प्रेरणा लेकर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह के निर्देशन में देशभर के सवा सात सौ से ज्यादा जिलों में 60 हजार से अधिक गांवों तक इस अभियान के माध्यम से कृषि वैज्ञानिक पहुंचे. अभियान की समीक्षा करते हुए शिवराज सिंह ने घोषणा की है कि रबी सीजन के पूर्व भी विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जाएगा.
साथ ही उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान स्वतंत्र भारत में अद्भुत है. शिवराज सिंह ने ऐलान किया कि अब दलहन, तिलहन, सोयाबीन, कपास, गन्ना आदि उपजवार और क्षेत्रवार कृषि विकास की कार्ययोजना बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान के लिए अब प्राथमिकता तय की जाएगी और किसानों की आवश्यकता अनुसार काम होगा.
शिवराज सिंह ने मंगलवार को अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पूसा, दिल्ली में इस अभियान के देशभर के नोडल अधिकारियों के प्रस्तुतीकरण को देखा. साथ ही, 29 मई से 12 जून तक चले इस अभियान के सफल आयोजन के बाद आगे की रणनीतियों पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श किया. इस दौरान अभियान के लिए गठित 2,170 टीमों के सदस्य वैज्ञानिक हाईब्रिड मोड में जुड़े. समीक्षा के दौरान अभियान के परिणामों, सुझावों, अनुभवों और भविष्य के अनुसंधान की दिशा पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह की उपस्थिति में विस्तृत चर्चा हुई.
शिवराज सिंह ने कहा कि अभियान के माध्यम से एक नया इतिहास रचा गया है. यह अभियान स्वतंत्र भारत की अद्भुत घटना रहा है. उन्होंने कहा कि यह अभियान रुकेगा नहीं, लगातार कोशिश करेंगे कि वैज्ञानिक, विभाग के अधिकारी और किसान एक टीम के रूप में कार्य करें और लगातार खेतों में जाकर अनुसंधान की दिशा तय हो. अभियान का लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना, देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, हिंदुस्तान को विश्व का फूड बास्केट बनाना है. उन्होंने कहा कि पोषक आहार के लिए बायोफोर्टिफाइड किस्मों का विकास और इसे उत्पादन प्रणाली में शामिल करना, आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित करने के लक्ष्य को इस अभियान में शामिल किया गया है.
शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों का लाभ बढ़ाने के लिए उत्पादन बढ़ाना और कृषि की लागत घटाने के लिए यह अभियान निरंतर जारी रहेगा. इस अभियान का उद्देश्य बहुत उपयोगी और व्यापक है. अभियान के जरिए प्राप्त जानकारी से किसानों की जिंदगी बदलेगी, साथ ही देश में अन्न, फल और सब्जियों का भंडार भी भरेंगे.
दिनभर समीक्षा के बाद शिवराज सिंह ने कहा कि अभियान में जो देखा, जो सुना, जो अनुभव किया, वो आंकड़े नहीं बल्कि देशवासियों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब हैं. छोटी जोत के बावजूद देश में अन्न के भंडार भर रहे हैं. विकसित कृषि संकल्प अभियान ने यह भी सिखाया कि समाधान ऊपर से नीचे नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की तरफ होते हैं. सरकारी दफ्तरों में बैठकर योजनाएं नहीं बनाई जा सकती असली प्रयोगशालाएं हैं खेत. जिसके पास अनुभव है वो हैं किसान. इसी को जोड़ने और खेती में चमत्कारी परिणाम अर्जित करने के लिए ही अभियान की कल्पना की गई. इस अभियान के जरिए वैज्ञानिकों ने जो परिश्रम किया, उसी आधार पर आगे का रोडमैप बनाया जाएगा.
शिवराज सिंह ने कहा, वैज्ञानिकों का पूरा परिश्रम काम आएगा, निष्कर्षों को प्रधानमंत्री जी के समक्ष भी रखा जाएगा और उनसे मार्गदर्शन लिया जाएगा. योजनाओं का वृहद मूल्यांकन होगा. अप्रासांगिक योजनाओं को समाप्त कर नई योजनाओं को लाने की कोशिश करेंगे. किसानों की जरूरत के हिसाब से अनुसंधान होगा, इसके लिए प्राथमिकता के आधार तैयारी की जा रही है. अमानक खाद और कीटनाशक बनाने वालों को बिल्कुल छोड़ा नहीं जाएगा. इससे संबंधित कार्रवाई के लिए कड़ा कानून भी लाएंगे और विशेष टीमों का भी गठन किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि दलहन, तिलहन, सोयाबीन, कपास, गन्ना इत्यादि उपजों के साथ समग्र कृषि विकास के लिए उपजवार और क्षेत्रवार योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा. यंत्रीकरण, मृदा स्वास्थ्य, क्लीन प्लांट, कीटनाशक, वॉटरशेड क्षेत्र, हेल्थ एग्रीकल्चर, कोस्टल एग्रीकल्चर, पशुपालन पर भी कार्य होगा. कृषि मंत्रियों की भागीदारी के साथ ही विभिन्न योजनाओं पर कार्ययोजना बनेगी.
शिवराज सिंह ने कहा कि विभिन्न टीमें तैयार की जाएंगी. किसानों के नवाचारों के प्रसार और वेल्यू एडिशन के लिए भी टीम बनेगी. कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) को सुदृढ़ीकरण के लिए काम करना होगा, नोडल अधिकारी की नियुक्ति होगी, केवीके के वैज्ञानिकों को तीन दिन खेतों में जाना होगा, संतुलित कीटनाशकों के प्रयोग पर भी गंभीरतापूर्वक काम की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान ने कई व्यावाहारिक पक्षों को उजागर और रेखांकित करने का भी काम किया. भावी रणनीतियों में तर्कों के साथ ठोस प्रयास किए जाएंगे. रबी की फसल के लिए सम्मेलन अब दो दिवसीय होगा. पहले दिन अधिकारियों और दूसरे दिन मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श करके रोडमैप तैयार करेंगे.
इस अभियान के जरिए कृषि प्रथाओं का विश्लेषण करना, आईसीएआर संस्थानों के बीच पारस्परिक शिक्षण को सुगम बनाना, अगले चरण के लिए प्राथमिकता वाले विषय तय करना, भावी कार्यों की पहचान करना, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और राज्य विभागों के साथ आईसीएआर के समन्वय को मजबूत करने के साथ-साथ अनुसंधान-विस्तार रणनीतियों को विकसित भारत के लक्ष्यों के साथ संरेखित करना है. इस दिशा में सफलतम प्रयास हुए हैं.
इस अवसर पर हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा सहित कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित रहे, वहीं विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्री भी वर्चुअल जुड़े थे.