Cashew farming: काजू से होती है बंपर कमाई,जानिए इसकी खेती का आसान तरीका 

Cashew farming: काजू से होती है बंपर कमाई,जानिए इसकी खेती का आसान तरीका 

काजू की खेती में ऊष्णकटिबंधिय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है. इसके अलावा गरम और आद्र जलवायु जैसी जगहों पर इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है. काजू के पौधो को अच्छे से विकसित होने के लिए 600-700 मिमी बारिश की जरुरत होती है. जानिए इसकी मिट्टी और किस्मों के बारे में 

जानिए काजू की खेती के बारे में सबकुछ जानिए काजू की खेती के बारे में सबकुछ
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Jun 29, 2023,
  • Updated Jun 29, 2023, 5:52 PM IST

भारत में पिछले कुछ समय में खेती में कई तरह के नए बदलाव आए हैं. किसान अब परंपरागत खेती के साथ-साथ अलग और मुनाफा प्रदान करने वाली फसलों की तरफ रुख करने  सरकार भी अपने स्तर पर किसानों को लगातार जागरूक करने की कोशिश कर रही है. इसकी खेती केरल, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में में ठीक-ठाक स्तर पर की जाती है. हालांकि, अब इसकी खेती झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी की जाने लगी है. 

 इसका उपयोग मिठाई बनाने में और उसे सजाने में किया जाता है. काजू का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए भी किया जाता है. यही कारण है कि बड़े पैमाने पर काजू की खेती की जाती है. काजू एक्सपोर्ट का एक बड़ा बिजनेस है. इसके पेड़ लगाकर किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. काजू पेड़ में होता है. इसके पेड़ों की लंबाई 14 से 15 मीटर तक होती है. फल देने के लिए इसके पेड़ तीन साल में तैयार हो जाते हैं. काजू के अलावा इसके छिलको को भी प्रयोग में लाया जाता है. इसलिए इसकी खेती फायदेमंद मानी जाती है. पौधा तैयार करने का उपयुक्त समय मई-जुलाई का महीना होता है. 

विशेषज्ञों के अनुसार काजू के एक पौधे से आराम से 10 किलो तक की फसल हासिल होती है.  एक किलो का उत्पादन तकरीबन 1200 रुपये में बिकता है. ऐसे में सिर्फ एक पौधे से आप 12000 हजार का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं. ऐसे में अधिक संख्या में इसके पौधे लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है. 

काजू का पौधा कैसा होता है

काजू का पेड़ तेजी से बढऩे वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है. काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है. किंतु आजकल इसकी खेती दुनिया के अधिकांश देशों में की जाती है. सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है. हालांकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है, जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है. काजू के पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.

कैसे होती है काजू की खेती

ऊष्णकटिबंधीय स्थानों पर इसकी अच्छी पैदावार होती है. जिन जगहों पर तापमान सामान्य रहता है वहां पर इसकी खेती करना अच्छा माना जाता है. इसके लिए समुद्रीय तलीय लाल और लेटराइट मिट्टी को इसकी फसल के लिए अच्छा माना जाता है. इसलिए दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है. इसकी खेती समुद्र तल से 750 मीटर की ऊंचाई पर करना चाहिए. अच्छी पैदावार के लिए इसे नमी और सर्दी बचाना होता है. क्योकि नमी और सर्दी की वजह से इसकी पैदावार प्रभावित होती है. अगर अच्छी तरह से देखभाल की जाए तो काजू की खेती कई तरह मिट्टियों में की जा सकती है.

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इन राज्यों में होती है अधिक पैदावार 

एशियाई देशों में अधिकांश तटीय इलाके में काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं.भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से केरल, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा एवं पं. बंगाल में की जाती है परंतु झारखंड राज्य के कुछ जिले जो बंगाल और उडीसा से सटे हुए हैं वहां पर भी इसकी खेती की अच्छी संभावनाएं हैं.अब तो मध्यप्रदेश में इसकी खेती होने लगी है.  

किस मौसम में होती है खेती 

काजू की खेती में ऊष्णकटिबंधिय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है. इसके अलावा गरम और आद्र जलवायु जैसी जगहों पर इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है. काजू के पौधो को अच्छे से विकसित होने के लिए 600-700 मिमी बारिश की जरुरत होती है. सामान्य से अधिक सर्दी या गर्मी होने पर इसकी पैदावार प्रभावित हो सकती है. सर्दियों में पड़ने वाला पाला भी इसकी फसल को नुकसान पहुंचाता है.

काजू की प्रमुख किस्में

काजू की प्रमुख किस्मों में वेगुरला-4, उल्लाल -2, उल्लाल -4, बी.पी.पी.-1, बी.पी.पी.-2, टी.-40 आदि अच्छी किस्में मानी जाती है. 

कैसी होनी चाहिए मिट्टी

वैसे तो काजू की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन समुद्र तटीय प्रभाव वाली लाल एवं लेटराइट मिट्टी वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त रहते हैं.इसके साथ ही मिट्टी का पीएच स्तर 8.0 तक होना चाहिए.काजू उगाने के लिए खनिजों से समृद्ध शुद्ध रेतीली मिट्टी को भी चुना जा सकता है. 


 

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