अरहर खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. भारत में अरहर को अरहर, तुअर, रेड ग्राम और पिजन के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खेती हमेशा से किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है, लेकिन अरहर की खेती करने वाले किसानों के सामने ये आती है कि वो आखिर किन किस्मों की खेती करें जिससे कम समय में बंपर मिल सके. ऐसे में किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने अरहर की कुछ ऐसी भी किस्में तैयार की हैं, जो न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि उत्पादन भी अच्छा देती हैं. ऐसे में आज हम उन किसानों को अरहर की पांच ऐसी किस्मों के बारे में बताएंगे जो अपने बेहतर उत्पादन के लिए फेमस है. आइए जानते हैं इन किस्मों की खासियत.
पूसा अरहर-16 की जानिए खासियत
- अरहर की एक अगेती किस्म है जिसकी खेती जुलाई के महीनें में ही की जाती है.
- इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी और दाना मोटा होता है.
- यह किस्म 120 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
- वहीं, इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर तक है.
- इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है.
अरहर की TS-3R की ये है खासियत
- TS-3R अरहर की एक पछेती किस्म है जिसकी खेती मॉनसून आने पर की जाती है.
- इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी और दाना मोटा होता है.
- वहीं, ये किस्म समान रूप से परिपक्व होती है और विल्ट और बांझपन मोज़ेक जैसे प्रमुख कीटों के प्रति प्रतिरोधी है.
- यह किस्म 150-170 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
- वहीं, इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर तक है.
- इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है.
कितने दिनों में तैयार होती है पूसा 992 किस्म
- ये अरहर की जल्द तैयार होने वाली किस्म है.
- भूरे रंग का मोटा, गोल और चमकदार दाने वाली इस किस्म को वर्ष 2005 में विकसित किया गया था.
- ये किस्म लगभग 120 से 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है.
- साथ ही प्रति एकड़ भूमि से 6 क्विंटल तक की उपज है.
- इसकी खेती सबसे ज्यादा पंजाब , हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, और राजस्थान में की जाती है.
आईपीए 203 की भी जान लें खासियत
- इस किस्म की खास बात ये है कि इस किस्म में बीमारियां नहीं लगती है.
- इस किस्म की बुवाई करके फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता है.
- साथ में अधिक पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं.
- इसकी औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है.
- इस किस्म की अरहर की बुवाई जून महीने में कर देनी चाहिए.
आईसीपीएल 87 किस्म की खासियत
- इस किस्म में फसल की लंबाई कम होती है.
- वहीं, इस फसल के पकने की अवधि 130 से 150 दिन की होती है.
- अरहर की इस किस्म में फलियां मोटी और लंबी होती हैं और यह गुच्छों में आती हैं और एक साथ पकती हैं.
- इस किस्म की औसत उपज 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.