
महाराष्ट्र में हल्दी किसानों को उचित दाम दिलाने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है. स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रेसिडेंट और पूर्व सांसद राजू शेट्टी और एडवोकेट योगेश पांडे के जरिये से अब इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई शुरू करने की तैयारी की जा रही है. संगठन का कहना है कि हल्दी के फ्यूचर्स मार्केट में बड़े स्तर पर गड़बड़ी हो रही है. इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है. इस ऐलान से माना जा रहा है कि सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के जिला अध्यक्ष हनुमंत राजेगोर ने बताया कि इस पूरे मामले को लेकर जल्द ही नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के प्रेसिडेंट से मुलाकात की जाएगी. उनका आरोप है कि महाराष्ट्र में असंगठित हल्दी किसानों और छोटे व्यापारियों को फ्यूचर्स मार्केट के नाम पर लूटा जा रहा है. राजेगोर के मुताबिक, NCDEX से जुड़े अधिकारी किसानों की अज्ञानता का फायदा उठाकर कृत्रिम तेजी और मंदी का खेल खेल रहे हैं.राजेगोर ने कहा कि फ्यूचर्स मार्केट के माध्यम से हल्दी की कीमतों में जानबूझकर उतार-चढ़ाव पैदा किया जा रहा है, जिससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने यह आरोप लगाया कि यह पूरा खेल कागजी लेन-देन और सट्टेबाजी के जरिए संचालित हो रहा है, जबकि वास्तविक बाजार की स्थिति इससे अलग है. इस मुद्दे पर बोलते हुए स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि हल्दी के फ्यूचर मार्केट में करीब 25 हजार करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई है. शेट्टी ने इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी बताते हुए कहा कि अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे.
संगठन की ओर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है. राजेगोर ने बताया कि मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि हल्दी के फ्यूचर्स ट्रेडिंग की जांच सीबीआई से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर कार्रवाई हो. दिलचस्प बात यह है कि जैसे ही सीबीआई जांच की मांग तेज हुई, वैसे ही हल्दी की कीमतों में अचानक उछाल देखने को मिला. राजेगोर का दावा है कि पिछले 30 दिनों में हल्दी की कीमत प्रति क्विंटल 4 से 5 हजार रुपये तक बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि इससे यह साफ होता है कि ट्रेडर्स जांच से दबाव में हैं और कीमतों के जरिए माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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