Agriculture: हिमाचल प्रदेश में गेहूं, मक्का, सब्जियां, दालों और सेब जैसी फसलों पर खतरा!  

Agriculture: हिमाचल प्रदेश में गेहूं, मक्का, सब्जियां, दालों और सेब जैसी फसलों पर खतरा!  

Agriculture News: हिमाचल प्रदेश में गेहूं, मक्का, सब्जियां, दालें और सेब सहित कई विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं. हालांकि कृषि पर असर डालने के कई कारण हैं और जिनसे उत्पादन पर गलत प्रभाव पड़ रहा है. क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार अगर इसी तरह की स्थिति आगे भी जारी रही तो फिर अगले 10 से 15 वर्षों में हिमाचल प्रदेश में कृषि की स्थिति काफी खराब हो सकती है. 

himachal pradesh agriculture himachal pradesh agriculture
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Aug 03, 2025,
  • Updated Aug 03, 2025, 6:55 AM IST

Agriculture News: पिछले कुछ सालों में अनियमित मौसम और फसल कटाई के समय में बदलाव के कारण हिमाचल प्रदेश में कृषि का भविष्य अंधेरे में जाता हुआ सा नजर आने लगा है. इससे युवा अब कृषि क्षेत्र से दूर हो रहे हैं. राज्य की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जिनमें से करीब 70 प्रतिशत खेती से जुड़ी हुई है. हिमाचल प्रदेश में गेहूं, मक्का, सब्जियां, दालें और सेब सहित कई विभिन्न फसलें उगाई जाती हैं. हालांकि कृषि पर असर डालने के कई कारण हैं और जिनसे उत्पादन पर गलत प्रभाव पड़ रहा है. क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार अगर इसी तरह की स्थिति आगे भी जारी रही तो फिर अगले 10 से 15 वर्षों में हिमाचल प्रदेश में कृषि की स्थिति काफी खराब हो सकती है. 

राज्‍य के युवाओं का पलायन

पिछले कुछ सालों में राज्य में कृषि उत्पादन में गिरावट देखी गई है. इससे खेती पर निर्भर परिवारों का जीवन लगातार कठिन होता जा रहा है. उनके पास आजीविका के दूसरे साधनों की तलाश के अलावा कोई और विकल्‍प नहीं बचा है. परिणामस्वरूप, हर साल कृषि पृष्ठभूमि से आने वाले हजारों युवा रोजगार की तलाश में पड़ोसी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और दिल्ली, और यहां तक कि महाराष्‍ट्र और गोवा तक पलायन करने लगे हैं.  

कृषि मुख्‍य व्‍यवसाय 

कृषि राज्य के प्रमुख व्यवसायों में से एक है और इसकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है. यह कुल वर्कफोर्स के करीब 53.95 प्रतिशत को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मुहैया कराती है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में, कृषि और उससे संबद्ध क्षेत्रों ने राज्य के सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में लगभग 14.70 प्रतिशत का योगदान दिया. 55.67 लाख हेक्टेयर के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से, लगभग 9.44 लाख हेक्टेयर परिचालित जोतों के तहत आता है जिस पर करीब 9.97 लाख किसान खेती करते हैं. औसत जोत का आकार लगभग 0.95 हेक्टेयर है. 

गेहूं की खेती हुई कम 

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, राज्य में गेहूं उत्पादन 2023-24 की तुलना में 2024-25 में 19.76 प्रतिशत कम हो गया. इसी तरह चावल/धान और रागी की खेती में क्रमशः 6.39 प्रतिशत और 6.25 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. रिपोर्ट में व्यावसायिक फसलों की ओर क्रमिक रुझान पर भी प्रकाश डाला गया है. इसके परिणामस्वरूप खाद्यान्न की खेती का क्षेत्रफल 1997-98 के 853.88 हजार हेक्टेयर से घटकर 2023-24 में 688.69 हजार हेक्टेयर रह गया है. 

तेजी से बदलता मौसम 

विशेषज्ञों ने हिमाचल प्रदेश में कृषि की बिगड़ती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और इस क्षेत्र को बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है. विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में अक्सर कटाई के मौसम से ठीक पहले भारी वर्षा, ओलावृष्टि और अन्य चरम मौसम की घटनाएं होती हैं, जिससे किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है. इसके अतिरिक्त, कटाई के समय में बदलाव ने कृषि उत्पादकता में गिरावट में योगदान दिया है. 

य‍ह भी पढ़ें- 

MORE NEWS

Read more!