जलवायु परिवर्तन संकट ने कृषि संकट के सामने नई चुनौतियां प्रस्तुत की हैं. कुल मिलाकर जलवायु परिवर्तन ने किसानों को नए सिरे से खेती करने पर मजबूर कर दिया है. अब वो वक्त गया जब 10-10 दिन तक फसल की कटाई चलती थी या फिर अपने तौर-तरीकों से फसल को पानी लगाते थे. अब तो यही भरोसा नहीं रहा है कि कब बारिश हो जाए और कब तेज धूप निकल आए. माैसम तेजी के साथ बदलता है. एग्रीकल्चर मशीनरी ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर मुकेश जैन का ये कहना है.
कृषि दर्शन एक्सपो के दौरान किसान तक से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि बदलते मौसम चक्र के हिसाब से ही हमे खेती में मशीनों के महत्व को समझना होगा. उन्होंने कहा कि पहले फसलों पर दवा छिड़कने में कई-कई दिन लग जाते थे. खर्चा भी ज्यादा आता था. लेकिन, आज ड्रोन से दवा का छिड़काव कराने पर लागत भी कम आती है और ड्रोन एक दिन में कई एकड़ जमीन की फसल पर दवा का छिड़काव कर देता है. और काम भी एक्यूरेट होता है.
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डायरेक्टर मुकेश जैन का कहना है कि अभी भी बहुत सारे किसान परंपरागत तरीकों से खेती कर रहे हैं, जो तौर-तरीके हमारे बुर्जुगों ने दिए थे. उसी के मुताबिक खेती को प्लान कर रहे हैं. लेकिन, हमे यह नहीं भूलना चाहिए कि उस दौर में जलवायु परिवर्तन से आए बदलावों का सामना नहीं करना पड़ रहा था. आज खेती पर इसका बड़ा असर देखा जा रहा है. इसलिए मैं यही कहूंगा कि बुवाई मशीनों से करें. फसल पर दवाई का छिड़काव ड्रोन से करें. फसल की कटाई मशीन से करें. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वक्त रहते आप सभी काम कर लेंगे. साथ ही मैनपावर कम लगने से लागत भी कम आएगी.
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अगर आप छोटे किसान हैं और आप बड़ी मशीनें खरीद नहीं सकते तो मशीन किराए पर ले सकते हैं. आज ऐसी कौनसी मशीन है जो किराए पर नहीं मिलती है और सबसे बड़ी बात यह कि छोटे खेतों के लिए कम हॉर्स पावर की और बड़े खेतों के लिए ज्यादा हॉर्स पावर की मशीनें बाजार में मौजूद हैं. नई के साथ यह किराए पर भी मिल रही हैं. अगर आप मशीन खरीद सकते हैं तो अपना काम करने के साथ उसे किराए पर भी चला सकते हैं. इससे दोहरी इनकम हो जाएगी. मशीन खरीदने के लिए सरकार लोन समेत सब्सिडी भी दे रही हैं.
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