Parali Management: पराली की परेशानी का धांसू समाधान, कृषि विभाग ने किसानों को दी कमाल की सलाह

Parali Management: पराली की परेशानी का धांसू समाधान, कृषि विभाग ने किसानों को दी कमाल की सलाह

किसानों का बताया गया है कि पराली को जलाने के बजाय मिट्टी में मिलाने से प्राकृतिक खाद बनाने में मदद मिली. उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाने से कार्बनिक पदार्थ बढ़ते हैं, मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और अगली फसल के लिए जरूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 10, 2025,
  • Updated Nov 10, 2025, 10:32 AM IST

हरियाणा में किसानों को पराली न जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग की तरफ से एक खास अपील की गई है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने किसानों को पराली न जलाकर फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाने का अनुरोध किया गया है. कृ‍षि विभाग ने किसानों को बताया है कि अगर वह फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाते हैं तो उसके उन्‍हें कितने फायदे हो सकते हैं. आपको बता दें कि पंजाब की ही तरह हरियाणा में भी किसान अक्‍सर आलोचकों के निशाने पर रहते हैं. उनका कहना है कि किसानों की तरफ से पराली जलाने की वजह से ही दिल्‍ली-NCR में वायु प्रदूषण बढ़ता है. 

पराली जलाएंगे तो क्‍या होगा 

अखबार द ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग ने किसानों को बताया है कि फसल अवशेषों को जलाने के बजाय उनका बेहतर प्रबंधन करने से मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो सकता है, वायु प्रदूषण कम हो सकता है और साथ ही किसानों और पर्यावरण को फायदे भी हो सकते हैं. कृषि विभाग के डिप्‍टी डायरेक्‍टर सुखदेव सिंह ने कहा है कि पराली जलाने से जहरीली गैसें और धुआं निकलता है जिससे सांस और आंखों से जुड़ी बीमारियां होती हैं.

उनका कहना था कि इस समस्या से निपटने के लिए, विभाग और जिला प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाए हैं. इन अभियानों के जरिये किसानों को पराली प्रबंधन के वैज्ञानिक तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.  पिछले दिनों विभाग की टीमों ने इस संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए मल्लेवाला, जीवन नगर, जोधपुरिया, धनूर, पन्नीवाला मोटा, रामपुर थेरी, कुत्ताबढ़, मिर्ज़ापुर, केलानिया, माधोसिंघाना, करीवाला, नारायणखेड़ा और जोतनवाली सहित कई गांवों का दौरा किया. जीवन में, स्थानीय सरकारी स्कूल के छात्रों ने पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए एक रैली का आयोजन किया. 

पराली नहीं जलाने के हैं फायदे 

सिंह ने बताया कि पराली को जलाने के बजाय मिट्टी में मिलाने से प्राकृतिक खाद बनाने में मदद मिली. उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाने से कार्बनिक पदार्थ बढ़ते हैं, मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और अगली फसल के लिए जरूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं. इससे खेती की लागत कम होती है और साथ ही साथ उत्पादकता भी बढ़ती है. 

सिंह के अनुसार सरकार प्रभावी पराली प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, रोटावेटर, बेलर और मल्चर जैसी आधुनिक मशीनें उपलब्ध करा रही है. सुखदेव सिंह की मानें तो इनसे किसान पराली को जलाए बिना उसे काटकर मिट्टी में मिला सकते हैं या इसका उपयोग बायोगैस, बायो-फ्यूल, पशु चारा और ऑर्गेनिक  खाद बनाने में कर सकते हैं. ये वो विकल्‍प हैं जिससे किसानों क के लिए अतिरिक्त आय के स्रोत भी पैदा होंगे.

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