खेती-किसानी को और बेहतर करने के साथ ही इसे इसको मुनाफे का सौदा बनाने के लिए बीते वर्षों से काफी तेजी से काम हो रहा है. खासकर कृषि क्षेत्र में पढ़ाई और ट्रेनिंग को लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है. देश में कई एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और कॉलेज तेजी से खुले हैं. यही वजह है कि कृषि के क्षेत्र में युवाओं को कैरियर बनाने के लिए काफी अवसर मिलने लगे हैं. अगर आपकी रुचि खेती-किसानी में है तो 12वीं के बाद एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन करना सरकारी अधिकारी बना सकता है. जबकि, आगे एग्रीकल्चर में मास्टर्स, पीएचडी और रिसर्च के रास्ते भी खुले हैं. एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन करने के लिए औसत फीस 23 हजार रुपये से 40 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर है.
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के कुल सचिव डॉक्टर रामजी सिंह ने किसान तक को बताया कि एग्रीकल्चर में युवा 12वीं के बाद ग्रेजुएशन कर सकते हैं, जिसके बाद उनके पास कई विभागों में सरकारी अधिकारी बनने के रास्ते खुल जाते हैं. उन्होंने बताया कि 12वीं के बाद युवा B.Sc एग्रीकल्चर या B.tech एग्रीकल्चर कर सकते हैं. यह स्नातक कोर्स हैं. उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय के अलावा कई दूसरे कृषि विश्वविद्यालय यह कोर्स संचालित कर रहे हैं.
डॉक्टर रामजी सिंह ने कहा कि इन कोर्स की पढ़ाई के बाद प्रदेश स्तर पर राज्य सरकार के उद्यानिक, खाद्य संस्करण विभाग, गन्ना विभाग, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग, मंडी विभागों में सरकारी नौकरी हासिल कर सकते हैं. इन सभी विभागों में तकनीकी सहायक, वरिष्ठ तकनीकी सहायक, उपसंभागी कृषि अधिकारी एवं जिला कृषि अधिकारी के पद पर हर साल भर्तियां होती हैं. उन्होंने कहा कि इन पदों के लिए सिर्फ और सिर्फ एग्रीकल्चर से ग्रेजुएट युवाओं से आवेदन मांगे जाते हैं.
चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय (Chandra Shekhar Azad University of Agriculture) कानपुर के डॉक्टर सीएल मौर्य ने बताया कि सीएसए में बीएससी एग्रीकल्चर हॉनर्स कोर्स की अवधि 4 साल की है. इस कोर्स में प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटी के कानपुर कैंपस में या फिर लखीमपुर खीरी कैंपस में प्रवेश लिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स की पढ़ाई 8 सेमेस्टर में होती है. पहले सेमेस्टर में फीस 40,000 रुपये है. पूरे कोर्स की कुल फीस लगभग 3.20 लाख रुपये होती है.