सर्दियों की शुरुआत होते ही सब्जियों की ढेरों वैरायटी मिलने लगती हैं. वहीं, लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए कई अलग-अलग प्रकार की सब्जियां खाना पसंद करते हैं. लेकिन कुछ ऐसी सब्जियां हैं जिनका इस्तेमाल मसाले के तौर पर भी किया जाता है. वहीं, पूरे साल मार्केट में हरी सब्जियों की डिमांड बनी रहती है. खास बात यह है कि सभी सब्जियों की कई अलग-अलग किस्में भी होती हैं. ऐसी ही एक सब्जी है जिसकी वैरायटी का नाम सोलन है. दरअसल, ये लहसुन की एक खास किस्म है.
बता दें कि लहसुन का दाम अभी आसमान छू रहा है और देश के कई शहरों में 400 रुपये किलो मिल रहा है. ऐसे में किसान इसकी खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. आइए जानते हैं इसकी उन्नत किस्में कौन-कौन सी हैं और कैसे इसकी खेती करें.
सोलन किस्म: सोलन लहसुन की एक खास किस्म है. इस किस्म को हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित किया गया है. इस किस्म में पौधों की पत्तियां काफी चौड़ी और लंबी होती हैं और रंग गहरा होता है. इसमें प्रत्येक गांठ में चार ही पत्तियां होती हैं और काफी मोटी होती हैं. अन्य किस्मों की तुलना में यह अधिक उपज देने वाली किस्म है.
यमुना सफेद 2 (जी-50): लहसुन की ये किस्म 165 से 170 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती है. इस किस्म की गांठ काफी ठोस होती है. वहीं गूदा क्रीमी रंग का होता है. किसानों के बीच यह किस्म काफी लोकप्रिय है.
टाइप 56-4 किस्म: लहसुन की इस उन्नत किस्म को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया था. इसकी गांठें सफेद और आकार में छोटी होती हैं. इस किस्म की प्रत्येक गांठ में लगभग 15 से 25 कलियां निकलती हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल तक की उपज ली जा सकती है.
जी 282 किस्म: जी 282 किस्म की गांठें आकार में बड़ी होती हैं. वहीं इसका रंग सफेद होता है. इसकी फसल 140 से 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल की उपज ली जा सकती है.
एग्रीफाउंड सफेद (जी-41): इस किस्म के कंद ठोस, मध्यम आकार के सफेद और गूदा क्रीमी रंग का होता है. इसके प्रत्येक कंद में कलियों की संख्या लगभग 20 होती हैं. इस किस्म की फसल 160-165 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं, इस किस्म की प्रति हेक्टेयर औसत उपज 125-130 क्विंटल प्राप्त होती है. ये किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग से लड़ने में सक्षम है.
जिस खेत में लहसुन लगाना है, उस खेत की सही तरीके से जुताई करनी चाहिए. उस दौरान प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल कंपोस्ट, 60 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस, 80 किलो पोटाश, 20-40 किलो सल्फर का प्रयोग करना चाहिए. वहीं, लहसुन की बुवाई छोटी-छोटी क्यारियों में करनी चाहिए. इस दौरान क्यारियों की चौड़ाई एक से दो मीटर और लंबाई 03 से 05 मीटर के बीच रखनी चाहिए.