भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा देश है. भारत में अलग-अलग मसाला फसलें अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई मसाले अपने औषधीय गुणों के लिए तो कई अपने स्वाद और क्वालिटी के लिए जानी जाती हैं. ऐसी है एक मसाला फसल है जिसकी वैरायटी का नाम प्रतिभा है. दरअसल, ये हल्दी की एक खास किस्म है. मसाला वाली फसलों में हल्दी एक काफी महत्वपूर्ण फसल है. वहीं, हर घर के किचन में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. इसे लोग सब्जी, आयुर्वेदिक औषधि, सौंदर्य प्रसाधन की चीजों को बनाने में भी उपयोग करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी 5 उन्नत वैरायटी कौन सी है.
प्रतिभा: हल्दी की राजेंद्र सोनिया किस्म औषधीय गुणों से भरपूर है. इस किस्म कि खासियत है कि इसे किचन गार्डन में भी आसानी से उगाया जा सकता है. ये किस्म 225 दिनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति एकड़ लगभग 40 टन प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है. वहीं, ये किस्म मोटा रूट नॉट नेमाटोड के रोग के प्रति प्रतिरोधी है.
राजेंद्र सोनिया: हल्दी की राजेंद्र सोनिया किस्म औषधीय गुणों से भरपूर है. इस किस्म का उपयोग सुगंधित सामानों को बनाने के रूप से भी किया जा रहा है. राजेंद्र सोनिया को तैयार होने में 195 से 210 दिन तक का समय लगता है. इस किस्म से प्रति एकड़ लगभग 160 से 180 क्विंटल उपज मिल सकती है. राजेन्द्र सोनिया इस किस्म के पौधे छोटे यानी 60-80 सेमी होता है.
आर एच 5: हल्दी की ये किस्म करीब 80 से 100 सेंटीमीटर ऊंचे पौधों वाली होती है. इस किस्म को तैयार होने में करीब 210 से 220 दिन लगते है. इस किस्म से 200 से 220 क्विंटल प्रति एकड़ हल्दी की पैदावार प्राप्त की जा सकती है. वहीं, इस हल्दी की खेती लगभग सभी राज्यों में की जाती है
सोरमा: हल्दी की इस किस्म के कंद अंदर से नारंगी रंग के होते हैं. इस किस्म को खुदाई के लिए तैयार होने में 210 दिन लगता है. इससे प्राप्त होने वाली उपज की बात करें तो इस किस्म से प्रति एकड़ करीब 80 से 90 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है.
पीतांबर: हल्दी की इस किस्म को केंद्रीय औषधीय और सुगंध अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. हल्दी की इस किस्म की ये खासियत है कि ये सामान्य किस्मों से दो महीने पहले यानी 5 से 6 महीने में ही तैयार हो जाती है. इस किस्म में कीटों का ज्यादा असर नहीं पड़ता ऐसे में अच्छी पैदावार होती है. एक हेक्टेयर में 650 क्विंटल तक पैदावार हो जाती है.