भारत में उगाई जाने वाली फसलें अपनी अलग-अलग पहचान और स्वाद के लिए जानी जाती हैं. साथ ही कई फसलें अपने आयुर्वेदिक गुणों और फायदों के लिए भी जानी जाती हैं. ऐसी ही एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम हिमाचल है. दरअसल, ये अदरक की एक खास किस्म है. सब्जी और मसाले वाली फसलों में अदरक एक महत्वपूर्ण फसल है. वहीं, अदरक को सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. इसे लोग सब्जी और मसाले दोनों प्रकार से इस्तेमाल करते हैं. साथ ही किसान अदरक की खेती कर बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं अदरक की किस्म हिमाचल की खासियत. इसके अलावा ये भी जानेंगे कि अदरक की 5 उन्नत वैरायटी कौन सी हैं?
हिमाचल किस्म:- हिमाचल किस्म अदरक की एक खास वैरायटी है. इस किस्म के कंद उच्च क्वालिटी वाले होते हैं. हिमाचल किस्म का इस्तेमाल मसाला रसोई उद्यान के लिए किया जाता है. इस किस्म को घर के गमलों में आसानी से उगाया जा सकता है. वहीं, इसकी औसत उपज 30 टन प्रति हेक्टेयर है.
सुप्रभा किस्म:- सुप्रभा किस्म के पौधों में कल्ले अधिक निकलते हैं. इसके कंद का छिलका सफेद और चमकदार होता है. इस किस्म को तैयार होने में 225 से 230 दिनों का समय लगता है. ये किस्म विगलन रोग प्रतिरोधक होती है. इस किस्म से किसानों को प्रति एकड़ 80 से 92 क्विंटल तक पैदावार मिलती है.
सुरभि किस्म:- इस किस्म के अदरक की गांठें आकर्षक होती हैं. इस किस्म को पक कर तैयार होने में 225 से 235 दिनों का समय लगता है. यह किस्म प्रकंद विगलन रोग के प्रति सहनशील होती है. इससे आप प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
मरान किस्म:- ये किस्म हल्के सुनहरे रंग की होती है. वहीं ये 230-240 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज क्षमता 175 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इस किस्म में मृदु विगलन रोग नहीं लगता है. मृदु विगलन रोग में पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और पत्तियां सूख जाती हैं.
अथिरा किस्म:- इस किस्म की फसल को तैयार होने में करीब 220 से 240 दिनों का समय लगता है. प्रति एकड़ खेत से 84 से 92 क्विंटल तक अदरक की उपज होती है. इससे करीब 22.6 प्रतिशत सूखी अदरक, 3.4 प्रतिशत की मात्रा प्राप्त होती है. इस किस्म को अच्छी किस्म के रूप में माना जाता है.