
परंपरागत खेती से अलग राह चुनकर मुजफ्फरपुर के एक किसान ने कमर्शियल नीम की खेती से बड़ी सफलता हासिल की है. मुजफ्फरपुर जिले के शिरकोहिया गांव निवासी अनिल कुमार एक एकड़ में कमर्शियल नीम की M6 और 112 वैरायटी की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें सालाना ढाई से तीन लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है. कमर्शियल नीम की यह वैरायटी तीन से चार साल में फल देना शुरू कर देती है. नीम के बीज से निकलने वाले तेल की बाजार में भारी मांग है, जिसकी कीमत करीब तीन हजार रुपये प्रति लीटर है.
नीम तेल और आयुर्वेदिक दवाओं की सप्लाई न केवल देश में बल्कि रोमानिया, मालदीव और त्रिस्पोल जैसे देशों तक की जा रही है. अनिल कुमार ने शुरुआती पढ़ाई गांव से ही की. उन्होंने जैतपुर हाई स्कूल से दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद मुजफ्फरपुर के RDS कॉलेज से केमिस्ट्री में स्नातक किया. बीपीएससी की तैयारी के दौरान उनका वैकल्पिक विषय कृषि था, जिससे उन्हें आधुनिक और औषधीय खेती की समझ विकसित हुई.
केमिस्ट्री स्नातक होने के बाद उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर सीडलेस नींबू, मीठी इमली की खेती शुरू की और अब कमर्शियल नीम की खेती में हाथ आजमाया. एक एकड़ में करीब 250 नीम के पौधे लगाए जाते हैं, जिस पर लगभग 20 हजार रुपये की लागत आती है. शुरुआती तीन वर्षों तक नीम के साथ अन्य फसलें भी ली जा सकती हैं. चौथे वर्ष से नीम में फल आने लगता है, जिससे तेल निकाला जाता है और अच्छी आमदनी होती है. किसान अनिल कुमार ने नीम के आयुर्वेदिक-स्वास्थ्य उपयोग, कॉस्मेटिक और पर्सनल केयर और कृषि क्षेत्र और अन्य उपयोगों की जानकारी दी.
नीम का तेल: त्वचा रोग, खुजली, फंगल इंफेक्शन, सोरायसिस में
नीम की पत्तियां: खून साफ करने, इम्युनिटी बढ़ाने में
नीम की छाल: दांतों और मसूड़ों की समस्याओं में
नीम का काढ़ा: बुखार, पेट की बीमारी में
नीम कैप्सूल/टैबलेट: डायबिटीज और त्वचा रोग में
नीम युक्त साबुन, फेसवॉश, शैंपू
एंटी-बैक्टीरियल क्रीम और लोशन
डैंड्रफ और मुंहासे के इलाज में उपयोग
नीम ऑयल स्प्रे: कीट और वायरस से फसल की सुरक्षा
नीम खली: जैविक खाद और कीटनाशक
ऑर्गेनिक फार्मिंग में कीटनाशक के रूप में
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक
मच्छर भगाने के लिए नीम तेल
अनाज भंडारण में कीड़ों से बचाव
कपड़ों में कीट रोकने के लिए नीम पत्ती
बायोपेस्टिसाइड इंडस्ट्री
फार्मास्युटिकल उद्योग
हर्बल प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग
पेंट, पॉलिश और लकड़ी संरक्षण में
नीम की दातून
टूथपेस्ट और माउथवॉश
मुंह के छाले और बदबू में लाभकारी
नीम तेल, नीम खली और एक्सट्रैक्ट
आयुर्वेदिक दवाएं
यूरोप, एशिया और खाड़ी देशों में निर्यात
अनिल कुमार ने बताया कि नीम की इस वैरायटी को फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट देहरादून ने तैयार किया है. यह वैरायटी गांव या सड़कों के किनारे आमतौर पर पाए जाने वाली नीम से काफी अलग है. यह नीम कमर्शियल है और इसका पोटेंशियल उस नीम के पेड़ से चार गुना ज्यादा है. इस नीम को पेड़ को एक एकड़ में 15*12 के लंबाई चौड़ाई में इसको लगा सकते है. शुरुआती एक दो साल में इंटर्करॉपिंग कर सकते हैं.
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह वायरस और बैक्टीरिया फ्री है. कोई इसका मेंटेनेंस खर्च नहीं है. सिर्फ इस दो बार पानी और खाद देना पड़ेगा. सामान्य नीम के मुकाबले इसकी फ्रूटिंग चार गुना अधिक है. इसका ऑयल कंटेंट 42 प्रतिशत है. वहीं, सामान्य नीम के पेड़ में ऑयल कंटेंट मुश्किल से 6 परसेंट होता है. इस वैरायटी के एक पौधे की कीमत 60 रुपये पड़ती है. एक एकड़ से प्रति साल लगभग 3 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. नीम के तेल की कीमत मार्केट में तीन हजार रुपये प्रति लीटर बिक्री की जाती है.