Organic Farmer: पंजाब के किसानों का कमाल, 2027 तक हो गई ऑर्गेनिक गुड़ की बुकिंग  

Organic Farmer: पंजाब के किसानों का कमाल, 2027 तक हो गई ऑर्गेनिक गुड़ की बुकिंग  

पंजाब के जालंधर में आने वाले चरके गांव के किसान 54 साल के अमरजीत सिंह भंगू ने अपने पूरे खेत में ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दी है. उन्होंने एक ऐसा कस्टमर बेस बनाया है जो अब पूरे पंजाब में फैला हुआ है. यह कस्‍टमर बेस इतना मजबूत है कि उनके प्रोडक्ट्स, खासकर गुड़, शक्कर (गुड़ का पाउडर) और हल्दी, मार्च 2027 तक बुक हो चुके हैं. स्थिति ऐसी है कि वह बढ़ती डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

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  • New Delhi ,
  • Dec 09, 2025,
  • Updated Dec 09, 2025, 7:51 AM IST

जहां देश भर के किसान अपनी फसलों के लिए गारंटीड मार्केट पक्का करने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) की मांग कर रहे हैं तो वहीं पंजाब के जालंधर जिले के एक किसान ने अपना खुद का पक्का मार्केट बना लिया है. यह कहानी एक ऐसे किसान की है जिन्‍होंने ऑर्गेनिक खेती से पूरी स्थिति को बदलकर रख दिया है. साथ ही साथ ही वह अपने बाकी साथी किसानों के लिए भी एक प्रेरणा बन गए हैं. अब उनके साथी किसान यह जानना चाहते हैं कि आखिर भंगू ने ऐसा कौन सा जादू किया है जो हर साल बस मुनाफा ही कमा रहे हैं. 

2027 तक बुक हुए ऑर्डर 

पंजाब के जालंधर में आने वाले चरके गांव के किसान 54 साल के अमरजीत सिंह भंगू ने अपने पूरे खेत में ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दी है. उन्होंने एक ऐसा कस्टमर बेस बनाया है जो अब पूरे पंजाब में फैला हुआ है. यह कस्‍टमर बेस इतना मजबूत है कि उनके प्रोडक्ट्स, खासकर गुड़, शक्कर (गुड़ का पाउडर) और हल्दी, मार्च 2027 तक बुक हो चुके हैं. स्थिति ऐसी है कि वह बढ़ती डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे समय में जब किसानों को परिवार का खर्च चलाने के लिए अपनी जमीन बेचनी पड़ रही है, अमरजीत ने सिर्फ खेती से होने वाली कमाई से अपने परिवार की जमीन को 12 एकड़ से बढ़ाकर 17 एकड़ कर लिया है. 

पिता से मिली खेती की प्रेरणा  

अमरजीत ने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1990 के दशक में अबू धाबी में छह साल बिताए. बाद में उन्हें तीसरी बार वीजा मिला लेकिन उन्होंने जाने से मना कर दिया. अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस के अनुसार अमरजीत को लगा कि अब उन्‍होंने पूरी दुनिया देख ली है और अब उनके पिता को उनकी जरूरत है. ऐसे में उन्‍होंने खेती में उनका हाथ बंटाने का फैसला किया. इसलिए उन्‍होंने पंजाब में ही रुकने का फैसला किया.  उनके पिता ने उन्‍हें ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया. साल 2004 में अमरजीत के चचेरे भाई की ब्लड कैंसर से मौत के बाद, अवतार ने वर्मीकम्पोस्ट की यूनिट शुरू की. 

पूरी तरह से जुटे गन्ने की खेती में 

अपनी 12 एकड़ जमीन में से, परिवार ने साल 2006 में 2.5 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत की. साल 2012 तक उन्होंने अपनी पूरी जमीन को ऑर्गेनिक खेती में बदल दिया और गेहूं और धान की खेती छोड़कर पूरी तरह से गन्ने की खेती करने लगे.  अमरजीत को याद है कि पहले 4-5 सालों तक मार्केटिंग करना मुश्किल था.  उन्हें याद है जब सोशल मीडिया नहीं था तो वह कैसे किराना दुकानदारों को चाय बनाने के लिए सैंपल के तौर पर गुड़ के कुछ टुकड़े ले जाते थे. ज्‍यादातर गुड़ से चाय फट जाती है. अमरजीत चाहते थे कि लोगों को पता चले कि उनका बनाया हुआ गुड़ शुद्ध है और जब दूध के साथ चाय के लिए उबाला जाएगा, तो यह फटेगा नहीं. ऐसे में उन्‍होंने दुकानदारों से कहा कि वे हमारे गुड़ का एक छोटा हिस्सा ग्राहकों को बेचें. 

गन्ने की कौन-कौन सी किस्‍म 

वह अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग सीधे नहीं करते हैं, बल्कि यह कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर मार्केटिंग के जरिए होता है. लोग सीधे फार्म पर उनके आउटलेट पर आते हैं. शुरू में, कभी-कभी फायदा होता था, जबकि कभी-कभी प्रोडक्ट्स के लिए बिल्कुल भी बाजार नहीं होता था. अमरजीत गन्ने की किस्म COJ 85, COJ 118 (PAU) और 15023 (UP) जैसी गन्ने की किस्मों का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें वह बीज के लिए भी उगाते हैं. उन्होंने कभी हार नहीं मानी. इलेक्ट्रिक क्रशर का इस्तेमाल करके अलग-अलग फ्लेवर का अपना गुड़, शक्कर (गुड़ का पाउडर) और गुड़ की कैंडी बनाना शुरू किया. वह गुड़ अपने तय रेट पर बेचते हैं. गुड़ की कीमत 130 रुपये प्रति किलो, शक्कर 150 रुपये प्रति किलो और गुड़ की कैंडी 270 रुपये प्रति किलो में बिकती है. 

और कौन-कौन सी फसलें  

अमरजीत से कनाडा तक से लोग थोक में सप्लाई का अनुरोध करते हैं. 2015 और 2024 के बीच खरीदे गए पांच एकड़ में से, वह दो एकड़ में हल्दी उगाते हैं, और बाकी तीन एकड़ में चारे की फसलें, बासमती उगाते हैं, और डेयरी और पोल्ट्री चलाते हैं, जिससे उनकी 17 एकड़ जमीन पूरी तरह से ऑर्गेनिक हो जाती है. गन्ना और हल्दी साल भर की फसलें हैं. गन्ने की कटाई नवंबर से मार्च तक और हल्दी की कटाई जनवरी के मध्य में होती है, बासमती सिर्फ ग्राहकों की मांग पर ही उगाया जाता है.

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