
सेहोरे, मध्य प्रदेश के गांवों में खेती सदियों से लोगों का मुख्य रोजगार रही है. बहुत सालों तक छोटे और सीमांत किसान केवल गेहूं और सोयाबीन की फसल करते रहे. बारिश का भरोसा नहीं होने और फसल कम होने के कारण उनकी आमदनी बहुत कम थी. खासकर महिलाएं, जो खेती में काम करती थीं, उनका कोई पैसा नहीं होता था और फैसले लेने का अधिकार भी नहीं था.
HDFC बैंक की पहल परीवर्तन और अर्पण सेवा संस्थान द्वारा चलाए गए होलिस्टिक रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम (HRDP) ने महिलाओं की मदद करने की ठानी. यह प्रोग्राम जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक सेहोरे और नसरुल्ला गंज के 20 गांवों में चला. इसका मकसद था:
सेमली खुर्द गांव की संगीता बाई पहले केवल एक एकड़ जमीन पर गेहूं और सोयाबीन उगाती थीं. सालाना आमदनी सिर्फ 20,000–25,000 रुपये होती थी, जो घर चलाने के लिए बहुत कम थी. HRDP से जुड़ने के बाद उन्हें मिले:
तकनीकी मदद और सही खेती के तरीके अपनाने से संगीता बाई ने अपनी जमीन पर फसल को बेहतर बनाया. अब उनके अमरूद और सब्जियों से उनकी कुल आमदनी 6,13,500 रुपये और निवेश के बाद 5,78,500 रुपये हो गई.
सिर्फ पैसों में ही नहीं, HRDP ने उनके खेतों में पानी के स्तर को भी बढ़ाया. अब उनका कुआँ ज्यादा पानी दे रहा है और खेती लंबे समय तक चल सकती है.
आज संगीता बाई आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं और उनके गाँव की दूसरी महिलाएं भी उनसे सीख रही हैं. HRDP ने साबित कर दिया कि सही मदद और ज्ञान से महिलाएं अपने जीवन और खेती दोनों को बेहतर बना सकती हैं.
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